लोक गीतों को किया जा रहा है सुरक्षित अब तक 20 हजार से ज्यादा गीत रिकॉर्ड....
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देश की लोक संपदा को संरक्षित करने का ऐतिहासिक संकल्प हमने लिया है। इसके अंदर सभी प्रकार के पारंपरिक गीतों और लोकगीतों और खास कर लुप्त होती लोक बोली, भाषा को रिकाॅर्ड कर संरक्षित करना है। यह कहना है आकाशवाणी महानिदेशालय के महानिदेशक डाॅ. शैलेन्द्र कुमार का। वे गुरुवार को आकाशवाणी महानिदेशालय द्वारा लोक संपदा संरक्षण महापरियोजना पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे।
आकाशवाणी पटना के सहायक निदेशक और कार्यक्रम प्रमुख डाॅ. किशोर कुमार सिन्हा ने यहां कार्यक्रम होने पर आभार जताया। इस परियोजना के अंतर्गत आकाशवाणी पटना द्वारा मगही बोली में दुर्लभ संस्कार गीतों की रिकाॅर्डिंग महानिदेशालय भेजी गई है।
कार्यशाला में बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से कार्यक्रम प्रमुख ने भाग लिया। कार्यक्रम में कथाकार हृषिकेश सुलभ ने कहा कि लोक संपदा हमारी अमूल्य धरोहर है और अगर इसे संरक्षित नहीं किया गया तो हमारे आने वाली पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेंगी।
प्रेस सम्मेलन भी रखा गया जिसमें डाॅ. शैलेन्द्र कुमार ने कहा अभी तक 20,000 से ज्यादा गीतों की रिकाॅर्डिंग कर ली गई है। इसके जरिए छोटी से छोटी बोली, भाषा और लोक संस्कृति को सुरक्षित किया जा सकता है। गीतों को सर्टिफाई कई चरणों में किया जाता है, पहले गांव के बुजुर्गों से पूछा जाता है फिर राज्य के साहित्यकार और विद्वानों से। दिल्ली के साहित्य अकादमी द्वारा भी गीतों की जांच होती है। तब उसे लोक गीत माना जाता है। कई गीतों को छांटा जाता है।
कार्यक्रम में सोमदत्त शर्मा, के सी पांडे, राजीव रंजन श्रीवास्तव, ब्रजकिशोर रजक मौजूद रहे।
साभार : दैनिक भास्कर, 06 अक्टूबर 2017
साभार : दैनिक भास्कर, 06 अक्टूबर 2017
Source : Akashvani Dillee &