हर आवाज की अपनी एक पहचान होती है। अपनी आवाज का पिच जानना बेहद जरूरी है, किसी की कॉपी नहीं करनी चाहिए। आवाज की गुणवक्ता, वोकल ताकत, मॉड्यूलन टेक्निक्सेस, सही पिच सिंगिंग, श्वास व्यायाम जैसी बातें वाइस क्लचर के अंतर्गत आती है। वाइस कल्चर को समझना बहुत आवश्यक है। यह बातें रविवार को वाइस कल्चर की एक दिवसीय वर्कशॉप में डॉ.सुप्रिया भारतीयन ने लोगों से प्रियदर्शनी कला मंदिर में कहीं।
अग्रज नाट्य दल की ओर से एक दिवसीय वाइस कल्चर कार्यशाला का आयोजन इंदिरा विहार स्थित प्रियदर्शनी कला मंदिर में किया गया। कार्यक्रम में आकाशवाणी की प्रोगाम एक्सक्यूटिव डॉ.सुप्रिया भारतीयन ने वाइस क्लचर के विषय में लोगों को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वाइस मॉड्यूलेशन से व्यक्ति की इंद्रिया प्रभावित होती हैं। सही तरह से बात करने से शरीर भी रिलेक्स महसूस करता है। अग्रज नाट्य दल की सदस्य संज्ञा टंडन ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य वाइस कल्चर के विषय में लोगों को बताना है। पहली बार शहर में इतना भव्य आयोजन वाइस कल्चर पर हो रहा है। इसमें अंबिकापुर, मनेंद्रगढ़, पाली, बैकुंठपुर, रायगढ़ जैसे शहरों से उद्घोषक, सिंगर, थिएटर आर्टिस्ट सहित युवा पहुंचे हैं। सभी ने वाइस कल्चर के माध्यम से आवाज पर कैसे कंट्रोल किया जाए और कब, कैसी आवाज निकाली जाए, इसका गुर सीखा।
कराया गया अभ्यास- कार्यशाला के दौरान वाइस कल्चर में बात करते समय सही समय पर सांस लेना और छोडऩा चाहिए। सांस लेते समय पेट अंदर होना सही ठंग है। आवाज निकालना पूरे शरीर का काम है। योग को हर दिन में शामिल करने की बात कहीं गई। इस सब बातों का अभ्यास कराया गया।
वाइस कल्चर में पीएचडी-डॉक्टर सुप्रिया भारतीयन आकाशवाणी बिलासपुर में प्रोग्राम एक्सक्यूटिव हैं। उन्होंने वाइस कल्चर पर पीएचडी की है। साइंस की स्टूडेंट रही हैं। इस वजह से वाइस कल्चर को बहुत अच्छे से समझा है। वाइस कंट्रोल के माध्यम से वाइस कल्चर की सही जानकारी दी। अपनी आवाज में मधुरता लाने के लिए सही तरीके सिखाए, साथ ही समय के मुताबिक कब और कहा कितना बोलना इस पर लगभग 4 घंटे तक जानकारी दी।इस अवसर पर सुनिल चिपड़े, योगेश, अनिल, सुनिल, श्वेता पांडे, चंपा, एेश्वर्यलक्ष्मी बाजपेयी सहित बड़ी संख्या में शहर के नागरिक उपस्थित थे।
द्वारा अग्रेषित :- Shri. Jhavendra Dhruwjhavendra.dhruw@gmail.com