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Foundation day of Akashvani Sangli

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आज सहा ऑक्टोबर... 
आकाशवाणी सांगली केंद्राचा वर्धापन दिन....
सर्वांना हार्दिक शुभेच्छा.....

आकाशवाणीचा चेहरा म्हणजे निवेदक..श्रोत्यांच्या समोर प्रामुख्यानं तोच असतो.माझ्या नोकरीच्या काळात आकाशवाणी सांगली वर मी पाच मुख्य निवेदक अनुभवले..प्रत्येकाच्या आवाजाचा बाज व प्रत वेगळी..निसर्गदत्त आवाजाला अनुरूप अशी त्यांची निवेदन शैली...भलती बाप माणसं...
मला त्यांचा सहवास लाभला, हे मी मोठं भाग्य समजतो.श्रोत्यांनी त्यांना डोकीवर घेतलं. जीवात मुरवलं.
आकाशवाणीच्या घडणीतले ते बांधीव चिरेच...

त्यातलं एक नाव,म्हणजे प्रभाकर वेलणकर..
अत्यंत तडफदार बोलणं.वाक्यांचे छोटे छोटे तुकडे करत,तोडून बोलल्यासारखे, क्रियापदाच्या जागा बदलत,प्रत्येक वेळी नवीच वाक्यरचना ते करत असंत.नितांतसुंदर आवाज..पलीकडं कुणीतरी खानदानी भरदार व्यक्ती बोलतेय,असा भास व्हायचा..भलंमोठं अक्षर.एका पानावर फक्त चार ओळी लिहायचे..वागणं फकिरीमस्तीत.. पुढच्यांन काहीही मत मांडावं, ते यांनी खोडून काढलच..""नाही नाही,माझं म्हणणंच असं आहे ""अशीच वाक्याची सुरवांत...दिलदार माणूस..नाट्यसंगीताच्या उद्घोषणा खूप सुंदर द्यायचे...

दुसरा स्मरणात राहिलेला आवाज,जयश्री हंचे यांचा..गोड मधाळ आवाज..स्वरात कमालीची मार्दवता..आत माजघरातल्या देव्हाऱ्यात,कुणी शांतपणे पूजा करतय,तिच्या हातातल्या बांगड्यांची नाजूक किणकिण तेवढी,वाऱ्यावर लहरत येतेय,असा त्यांना ऐकताना भास व्ह्यायचा....स्वरात सोज्वळ आदब आणि शालीनता...सप्रेम नमस्कार कार्यक्रमातील त्यांची ताई,म्हणजे जणू मायेची थोरली बहीण बोलतेय, असं वाटायचं........

प्रसारीत करीत आहोत,काही घटना माहिती आणि संगीतावर आधारित कार्यक्रम ..प्रभातीचे रंग.......
ही छोटीशी ओळ..पण तिचं लयबध्द उच्चारण ऐकताना,अंगातून उत्साहाची लहर दौडायची.. ती वामन काळे यांच्या आवाजाची जादू होती..अत्यंत बेस असलेला आवाज,इतक्या खुबीनं वापरायचे की नुसतं ऐकत राहावं सांगली केंद्राचा आवाज म्हणजे त्यांचाच , ईतका प्रभाव लोकांवर...प्रभातचे रंग ला त्यांनी अफाट उंची मिळवून दिली, हे सत्यय..

चौथ्या माझ्या आवडत्या निवेदिका म्हणजे चित्रा हंचनाळकर.. स्वच्छ नितळ स्वर.लखलखीत..काहीसा धारदार.. श्रूतिकेमधील त्यांचा अवखळ उत्साही स्वर आणि झुंबर फुटल्यागत खळाळून मुक्त हसणं..व्वा..
बालसभा सादर करताना त्या मुलात मुल व्हायच्या..
अत्यंत सहृदयी आणि शिस्तबध्द...खूप साध्या..श्रोत्यांमध्ये लोकप्रिय..त्यांच्याच होवून राहिलेल्या..

दत्ता सरदेशमुख...........
आवाजावर मोठी हुकमत.. जणू पहाडच...
लवचिक ,आणि प्रचंड कमांड असणारा स्वर..
जसे स्क्रिप्ट तसा आवाजात बदल करायचे.. स्वताच्या आवाजावर मनस्वी प्रेम करणारे.. भाषेतल्या वळणावळणाचा सगळा ठिकाणा त्याना ठावूक..कादंबरी वाचन आणि नभोनाट्य म्हणजे सरदेशमुख.आवाजातली फिरकत न्यारीच.. अर्थपूर्ण पॉज सहज भिडायचे..कवेत न मावणारा प्रचंड ताकदीचा कलावंत.........
या सगळ्यांच्या सहवासातल्या खूप आठवणी आहेत..मर्यादा असतानाही आवाज कसा वापरावा हे त्यांच्याकडून घेण्यासारख..प्रत्येकाची शैली आणि धाटणी वेगळी. श्रोते अजूनही त्यांची आठवण काढतात.. आकाशवाणीला आज जी प्रतिष्ठा मिळाली आहे ती अशा कलाकारांमुळे..
माझ्या नजरेत ले हे बिनीचे शीलेदार...अशा अनेक कलावंतांनी आकाशवाणी समृद्ध केली आहे..

या पाच जणांचे,स्टुडिओत माईक समोर बोलत असलेले फोटो कोलाज करुन इथं पोस्ट करण्याची इच्छा होती..पण कुणाचाच तसा एकही फोटो मिळाला नाही..
मात्र थोडंसं आत डोकावून, चित्त, कानाशी नेलं की अजूनही त्यांचे स्वर ऐकु येतात..मन जुन्या आठवणीत उचंबळून येतं.... काळजाशी रेडिओ गुणगुणू लागतो....

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( संजय जगन्नाथ पाटील )

Source : Sanjay Patil

All India Radio organizes Two-day workshop on Folk Wealth Preservation Mega Project in Patna

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लोक गीतों को किया जा रहा है सुरक्षित अब तक 20 हजार से ज्यादा गीत रिकॉर्ड....
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देश की लोक संपदा को संरक्षित करने का ऐतिहासिक संकल्प हमने लिया है। इसके अंदर सभी प्रकार के पारंपरिक गीतों और लोकगीतों और खास कर लुप्त होती लोक बोली, भाषा को रिकाॅर्ड कर संरक्षित करना है। यह कहना है आकाशवाणी महानिदेशालय के महानिदेशक डाॅ. शैलेन्द्र कुमार का। वे गुरुवार को आकाशवाणी महानिदेशालय द्वारा लोक संपदा संरक्षण महापरियोजना पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे।
आकाशवाणी पटना के सहायक निदेशक और कार्यक्रम प्रमुख डाॅ. किशोर कुमार सिन्हा ने यहां कार्यक्रम होने पर आभार जताया। इस परियोजना के अंतर्गत आकाशवाणी पटना द्वारा मगही बोली में दुर्लभ संस्कार गीतों की रिकाॅर्डिंग महानिदेशालय भेजी गई है।
कार्यशाला में बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से कार्यक्रम प्रमुख ने भाग लिया। कार्यक्रम में कथाकार हृषिकेश सुलभ ने कहा कि लोक संपदा हमारी अमूल्य धरोहर है और अगर इसे संरक्षित नहीं किया गया तो हमारे आने वाली पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेंगी।
प्रेस सम्मेलन भी रखा गया जिसमें डाॅ. शैलेन्द्र कुमार ने कहा अभी तक 20,000 से ज्यादा गीतों की रिकाॅर्डिंग कर ली गई है। इसके जरिए छोटी से छोटी बोली, भाषा और लोक संस्कृति को सुरक्षित किया जा सकता है। गीतों को सर्टिफाई कई चरणों में किया जाता है, पहले गांव के बुजुर्गों से पूछा जाता है फिर राज्य के साहित्यकार और विद्वानों से। दिल्ली के साहित्य अकादमी द्वारा भी गीतों की जांच होती है। तब उसे लोक गीत माना जाता है। कई गीतों को छांटा जाता है।
कार्यक्रम में सोमदत्त शर्मा, के सी पांडे, राजीव रंजन श्रीवास्तव, ब्रजकिशोर रजक मौजूद रहे।
साभार : दैनिक भास्कर, 06 अक्टूबर 2017



Source Akashvani Dillee &
झावेन्द्र कुमार ध्रुव

हिंदी पखवाड़ा DDK भोपाल 2017

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दूरदर्शन केंद्र भोपाल में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी हिंदी पखवाड़े का आयोजन किया गया । उद्घाटन समारोह 14 सितंबर को डॉ सुरेंद्र बिहारी गोस्वामी , संचालक मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ । इस पखवाड़े के दौरान विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गई जिनमें MTS वर्ग के लिए हिंदी शुद्ध लेखन , सभी हिंदी और हिंदीतर भाषियों के लिए तात्कालिक निबंध प्रतियोगिता ,टिप्पण एवं प्रस्ताव लेखन ,पोस्टर आधारित कथा लेखन तात्कालिक भाषण प्रतियोगिता प्रमुख रही। इसी दौरान केंद्र में एक हिंदी कार्यशाला का भी आयोजन किया गया जिसे प्रशासनिक अधिकारी श्री अरविंद गुप्ता ने संबोधित किया आज पखवाड़े के समापन पर अतिरिक्त महानिदेशक (प्रशासन), मप्र पुलिस, सुश्री अनुराधा शंकर मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रहीं। और उन्होंने पुरस्कार वितरण भी किया इस पखवाड़े में हिंदी अधिकारी श्री राजेंद्र कुमार बाजपेई ने केंद्र में आयोजित इस भव्य आयोजन के लिए सभी सहयोगियों का आभार प्रकट किया। आशीष पोतनीस केंद्र प्रमुख एवं उपमहानिदेशक अभियांत्रिकी, सुश्री मालती सिंह कार्यक्रम प्रमुख, सुश्री पूजा पी वर्धन ,उपनिदेशक व समाचार प्रमुख और अन्य अधिकारी ने विशेष योगदान और मार्गदर्शन दिया।कर्मचारियों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।कार्यक्रमों का संचालन श्री संजय गुप्ता, अभि सहायक द्वारा किया गया ।

इस अवसर पर केंद्र प्रमुख श्री आशीष पोतनिस की परिकल्पना व हिंदी अधिकारी श्री राजेन्द्र बाजपेई के अथक प्रयासों से पहली e-patrika "शब्द निवेश"का मुख्य अतिथि सुश्री अनुराधा शंकर द्वारा विमोचन किया गया।

योगदान :राजेन्द्र कुमार बाजपेयी,हिन्दी अधिकारी,Sanjay Gupta esaarjee@gmail.com

How to Get Your Money Back if You Fall Victim to Online Fraud

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Online Fraud – Narendra Pal, a government school teacher in Zirakpur near Chandigarh, got the shock of his life when he received an sms just before midnight that Rs 10,000 has been withdrawn from his account through an ATM in Surat. By the time he could realise what was happening, he got two more messages about withdrawal of Rs 10,000 and Rs 20,000. He had fallen victim to online fraud. As the first debit happened a few minutes before 12 midnight, the fraudster was able to transact again immediately as withdrawal limit for the next day set in.

As more and more people use online banking services, which are now reaching the unbanked under the financial inclusion programmes of the government, banking frauds are rising. Also, post demonetisation, there has been a sharp rise in online transactions. Pal informed his bank about the transactions immediately by calling on the helpline number. He also wrote to the bank branch and the RBI that he had not shared details of his bank account and ATM card with anyone. He also filed a complaint with the crime branch’s cyber cell. The officers took him to the petrol pump where he had last used the card but nothing came out of it. Pal says the bank staff was cooperative but still it took him more than two months and two-three visits to the branch to get his money. He had to forgo the interest.

People like Pal need not worry now. The RBI has come out with guidelines that say the bank will have to make good the entire loss if the customer notifies it about the unauthorised/fraudulent transaction within a stipulated period. The RBI has taken forward the draft guidelines on customer liability in case of online fraudulent transactions that it had issued in August 2016. “Considering the recent surge in customer grievances associated with unsanctioned electronic transactions, the recent notification shared by RBI entails a more specific guideline to protect customers from potential cases of fraud or misuse.Banks will therefore have to set up robust frameworks around fraud identification and early warning mechanisms covering the online and digital space”, says Vikram Babbar, Partner, Fraud Investigation & Dispute Services, EY India.
Onus On Bank
While earlier, the onus was on the customer to prove that he or she has not shared his bank details with anyone, now it is the bank that has to prove that the customer was at fault and not careful enough while using online banking facilities. The earlier system used to result in the customer suffering losses or the bank taking long to pay the money as there were no clear guidelines or stipulated period for refunds. “Many people are apprehensive about online transactions. These guidelines will build trust among bank customers,” says Kalpesh J. Mehta, Partner, Deloitte Haskins and Sells.
This is a big step, believes Mahesh Patel, President and CTO, AGS Transact Technologies, as this will encourage banks to use better fraud monitoring systems.
“As the onus was on the customer, the cost of a good fraud monitoring system was more than the cost of actual fraud for banks. As a result of this, barring the top few banks, the rest refrained from investing in fraud monitoring systems,” says Patel. The RBI guidelines ask banks to implement a robust and dynamic fraud detection and prevention mechanism and assess and fill gaps if any.
Customer to get full refund
Banks will pay for the entire loss in the following cases.
When a fraudulent transaction has happened due to deficiency or negligence on the part of the bank irrespective of the fact that the customer has reported it or not. “A digital transaction goes through various intermediary platforms such as the payer bank, the payee bank, the payment gateway, etc, and the transaction has to be encrypted. No data should be stored with either of the intermediaries but only transferred. Therefore, if a fraud happens during this process, the customer should not be held liable. As per RBI recommendations, the bank will have to refund to the customer,” says Mehta of Deloitte Haskins and Sells.
When there is a third-party breach where the deficiency lies neither with the bank nor the customer but with the system somewhere else and the customer notifies the bank regarding the transaction within three working days.

For example, last year, the systems of Hitachi Payment Service, to which some banks had outsourced their ATM transaction processing, were compromised, affecting around 3.2 million cards across banks such as ICICI, SBI, YES and HDFC.

In this scenario, if the customer informs the bank about the fraudulent transaction within three working days after receiving the communication, the bank will have to make good the entire loss to the customer.

Limited liability If the fraud has happened due to the negligence of the customer, he or she will have to bear the entire loss till the bank is informed about the transaction.
If the customer shares confidential information like ATM PIN, card number, etc, with somebody knowingly or unknowingly, he or she will have to bear the entire loss till the bank is informed about the transaction.
If neither the bank nor the customer is responsible but the fraud has happened due to the fault in the system and the customer informs the bank within four or seven days, the customer liability will be limited to the transaction value or Rs 10,000, whichever is less. The limit applies in case of savings bank accounts, credit cards with limit of up to Rs 5 lakh, and current accounts with annual average balance limit up to Rs 25 lakh. If a person informs within three days, the entire amount is paid back. For current accounts, overdraft accounts and credit cards with limit above Rs 5 lakh, the maximum limit is Rs 25,000.
For basic saving bank deposit accounts, that is, no-frills accounts, the limit is Rs 5,000.
If there is a delay of more than seven days, the customer’s liability will be decided as per the policy approved by the bank’s board.
Banks convey to their customers who have registered their mobile number and email with banks about every transaction through email and sms. Now, the RBI has advised banks to ask for a mobile number if the customer wants to take the online transaction facility so that he or she is notified about every transaction. The banks may not offer the facility of electronic transactions, other than ATM cash withdrawals, to customers who do not provide mobile numbers to the bank. At present, banks charge for the SMS service. However, RBI guidelines do not mention anything about who will bear the SMS charges. At present, the charges are borne by account holders.
Reply Option
Apart from multiple channels like website, phone banking, SMS, e-mail, IVR, a dedicated toll-free helpline, reporting to the home branch, etc, for reporting fraudulent transactions, banks will have to provide the customer an option to reply to an SMS and email alerts. Further, the RBI has directed banks to provide a direct link for lodging complaints, with specific option to report unauthorised electronic transactions on home page of bank’s website.
The fraud reporting system of banks shall also ensure that immediate response (including auto response) is sent to customers acknowledging the complaint along with the registered complaint number. The communication systems used by banks to send alerts and receive their responses thereto must record the time and date of delivery of the message and receipt of customer’s response, if any, to them. This shall be important in determining the extent of a customer’s liability.
Timeline for Refund
After the customer has informed the bank about the transaction, the bank shall credit the amount to the customer’s account within 10 working days as per the new guidelines.
Apart from this, in cases where the customer liability is to be decided by the bank’s board, the complaint should be addressed within 90 days and if the board is unable to decide the customer liability, he or she should be compensated as per zero liability and limited liability provisions.

Source and Credit :- http://www.gconnect.in/news/get-money-back-fall-victim-online-fraud.html

आकाशवाणी संगीत सम्मेलन - रसिकों को सादर आमंत्रण

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प्रसार भारती, आकाशवाणी, मुंबई ने शनिवार दि. 7 अक्टूबर 2017 को शाम 5 बजे 'संगीत संमेलन'का आयोजन 'आकाशवाणी सभागृह, चर्चगेट, मुंबई - 400 020'में किया गया है। जिसमें पं. शंतनु भट्टाचार्यजी, हिंदुस्तानी संगीत के गीत गायेंगे। उन्हें अनीश प्रधान (तबला) और सुधीर नायक (संवादिनी) साथ देगें । उसके बाद कर्नाटक संगीत में मा. कुडमलूर जनार्दनन इनका बांसुरी वादन होने वाला है। उनको पारुपल्ली फाल्गुन ( मृदंगम) और कोट्टायम उन्नीकृष्णन( घटम्) साथ सहयोग देंगे। 

यह आकाशवाणी का विशेष 'संगीत सम्मेलन'एवं प्रसिद्द कार्यक्रम है। इसके लिए ​​प्रवेश मुक्त है। इस कार्यक्रम की प्रवेशिका आकाशवाणी, चर्चगेट स्थित कार्यालय के संगीत विभाग में उपलब्ध हैं। आप सभी को इस कार्यक्रम में उपस्थित रहने के लिए अपर महानिदेशक महोदय का सादर आमंत्रण है।

रचना- शब्द चित्र : मन को शांति चाहिए ? पांडिचेरी आइये !

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नवरात्रि और दशहरे की छुट्टी हम किसी ज़माने में फ्रांस का हिस्सा रहे दक्षिणी भारत के पांडिचेरी में बिता रहे हैं। हमारी पांडिचेरी यात्रा का एक महत्वपूर्ण मक़सद अरविंद आश्रम और उससे जुड़े स्थानों को देखना और उन स्थलों की शांति को आत्मसात करना था।इसीलिए हमनें अपना होटल अरबिंद आश्रम के पास ही लिया है।यहां अरविंद आश्रम परिसर बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है।महर्षि अरविंद और मां की समाधि का स्थल सचमुच सिद्ध स्थल है।मां ने अरविंद की कल्पनाओं पर बसाये गये ओराविला(उनकी कल्पनाओं का संसार)नामक इंटरनेशनल विलेज को और भी ख़ूबसूरत बनाया है।

क्रांतिकारी महर्षि अरविन्द का जन्म 15 अगस्त 1872 को कोलकाता (बंगाल की धरती) में हुआ। उनके पिता के.डी. घोष एक डॉक्टर तथा अंग्रेजों के प्रशंसक थे। पिता अंग्रेजों के प्रशंसक लेकिन उनके चारों बेटे अंग्रेजों के लिए सिरदर्द बन गए।बंगाल के महान क्रांतिकारियों में से एक महर्षि अरविन्द देश की आध्यात्मिक क्रां‍ति की पहली चिंगारी थे। उन्हीं के आह्वान पर हजारों बंगाली युवकों ने देश की स्वतंत्रता के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदों को चूम लिया था। सशस्त्र क्रांति के पीछे उनकी ही प्रेरणा थी।वैसे तो अरविन्द ने अपनी शिक्षा खुलना में पूर्ण की थी, लेकिन उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए वे इंग्लैंड चले गए और कई वर्ष वहां रहने के पश्चात कैंब्रिज विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र की पढ़ाई की। वे आईसीएस अधिकारी बनना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने भरपूर कोशिश की पर वे अनुत्तीर्ण हो गए। उनके ज्ञान तथा विचारों से प्रभावित होकर गायकवाड़ नरेश ने उन्हें बड़ौदा में अपने निजी सचिव के पद पर नियुक्त कर दिया।

बड़ौदा से कोलकाता आने के बाद महर्षि अरविन्द आजादी के आंदोलन में उतरे। कोलकाता में उनके भाई बारिन ने उन्हें बाघा जतिन, जतिन बनर्जी और सुरेंद्रनाथ टैगोर जैसे क्रांतिकारियों से मिलवाया। उन्होंने 1902 में उनशीलन समिति ऑफ कलकत्ता की स्थापना में मदद की। उन्होंने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के साथ कांग्रेस के गरमपंथी धड़े की विचारधारा को बढ़ावा दिया।सन् 1906 में जब बंग-भंग का आंदोलन चल रहा था तो उन्होंने ने बड़ौदा से कलकत्ता की ओर प्रस्थान कर दिया। जनता को जागृत करने के लिए अरविन्द ने उत्तेजक भाषण दिए। उन्होंने अपने भाषणों तथा 'वंदे मातरम्'में प्रकाशित लेखों के द्वारा अंग्रेज सरकार की दमन नीति की कड़ी निंदा की थी। अरविन्द का नाम 1905 के बंगाल विभाजन के बाद हुए क्रांतिकारी आंदोलन से जुड़ा और 1908-09 में उन पर अलीपुर बम कांड मामले में राजद्रोह का मुकदमा चला। जिसके फलस्वरूप अंग्रेज सरकार ने उन्हें जेल की सजा सुना दी।

अरविन्द ने कहा था चाहे सरकार क्रांतिकारियों को जेल में बंद करे, फांसी दे या यातनाएं दे पर हम यह सब सहन करेंगे और यह स्वतंत्रता का आंदोलन कभी रूकेगा नहीं। एक दिन अवश्य आएगा जब अंग्रेजों को हिन्दुस्तान छोड़कर जाना होगा। यह इत्तेफाक नहीं है कि 15 अगस्त को भारत की आजादी मिली और इसी दिन उनका जन्मदिन मनाया जाता है।जब सजा के लिए उन्हें अलीपुर जेल में रखा गया। जेल में अरविन्द का जीवन ही बदल गया। वे जेल की कोठी में ज्यादा से ज्यादा समय साधना और तप में लगाने लगे। वे गीता पढ़ा करते और भगवान श्रीकृष्ण की आराधना किया करते। ऐसा कहा जाता है कि अरविन्द जब अलीपुर जेल में थे तब उन्हें साधना के दौरान भगवान कृष्ण के दर्शन हुए। कृष्ण की प्रेरणा से वह क्रांतिकारी आंदोलन को छोड़कर योग और अध्यात्म में रम गए।

जेल से बाहर आकर वे किसी भी आंदोलन में भाग लेने के इच्छुक नहीं थे। अरविन्द गुप्त रूप से पांडिचेरी चले गए। वहीं पर रहते हुए अरविन्द ने योग द्वारा सिद्धि प्राप्त की और आज के वैज्ञानिकों को बता दिया कि इस जगत को चलाने के लिए एक अन्य जगत और भी है।सन् 1914 में मीरा नामक फ्रांसीसी महिला की पांडिचेरी में अरविन्द से पहली बार मुलाकात हुई। जिन्हें बाद में अरविन्द ने अपने आश्रम के संचालन का पूरा भार सौंप दिया। अरविन्द और उनके सभी अनुयायी उन्हें आदर के साथ ‘मदर’ कहकर पुकारने लगे।अरविन्द एक महान योगी और दार्शनिक थे। उनका पूरे विश्व में दर्शनशास्त्र पर बहुत प्रभाव रहा है। उन्होंने जहां वेद, उपनिषद आदि ग्रंथों पर टीका लिखी, वहीं योग साधना पर मौलिक ग्रंथ लिखे। खासकर उन्होंने डार्विन जैसे जीव वैज्ञानिकों के सिद्धांत से आगे चेतना के विकास की एक कहानी लिखी और समझाया कि किस तरह धरती पर जीवन का विकास हुआ। उनकी प्रमुख कृतियां लेटर्स ऑन योगा, सावित्री, योग समन्वय, दिव्य जीवन, फ्यूचर पोयट्री और द मदर हैं। 

महर्षि अरविन्द का देहांत 5 दिसंबर 1950 को हुआ। बताया जाता है कि निधन के बाद चार दिन तक उनके पार्थिव शरीर में दिव्य आभा बने रहने के कारण उनका अंतिम संस्कार नहीं किया गया और अंतत: 9 दिसंबर को उन्हें आश्रम में समाधि दी गई।आगे चलकर मां ने उनके मिशन को आगे बढ़ाया ।ओराविला का मातृ मंदिर आधुनिक शिल्प का अद्भुत नमूना है।इस परिसर में अनेक विदेशी भक्त अपना शेष जीवन बिता रहे हैं।

यहां रहकर तीन से चार दिनों में सभी पर्यटन स्थल और बीच घूमे जा सकते हैं।समुद्र के बीच का पैराडाइज बीच अवश्य ही देखना चाहिए।यहां के अन्य दर्शनीय स्थल हैं-मनाकुला विनयागार मंदिर,पुडुचेरी गवर्नमेंट म्यूजियम,कुन्नाम्बेर वाटर स्पोर्ट्स काम्पलेक्स,बोटेनिकल गार्डेन,सीक्रेट हर्ट जीसस चर्च,औरा बीच आदि।यहां पुराने मंदिरों की भरमार है।पुडुचेरी टूरिज्म भी साइट सीन दिखाने की व्यवस्था करता है।कुल मिलाकर मेरे हिसाब से रिटायरमेंट के बाद जीवन के उत्तरार्ध में घूमने वाली कुछ जगहों में पांडिचेरी को भी शीर्ष पर रखा जा सकता है।

ब्लाग रिपोर्ट-प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी,कैम्प-पांडिचेरी,ईमेल;darshgrandpa@gmail.com

Suggestions invited on Draft Notification on Cyber Security Products Public Procurement Last date : 11th October, 2017.

60 yrs Celebration of VividhBbharti

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03 अक्टूम्बर 2017 को विविध भारती सेवा की 60 वी वर्षगांठ को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।कार्यालय के कार्यक्रम प्रमुख श्री विजय दीपक छिब्बर व तकनीकी प्रमुख पंकज मेहता ने दीप प्रज्वलित कर समारोह का आरंभ किया और कुछ सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी की गई।

Contributed By:BHAVANA SINDAL ,harshalyajat@gmail.com

AIR Pune conferred 'Special Category' and 'Best Employee of the Month' awards.

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On 2nd Oct.2017 during 65th anniversary celebration, Shri. Ashish Bhatnagar [DDG (Engg.) and Head of Office] announced names of "Best Employee of the Month" awards and Special Category awards who extraordinarily contributed AIR Pune during this year. Smt. Sangeeta Upadhye [Asst. Director(Engg.)] who earlier had achieved "Best women Engineer from West Zone" award for 2013, was conferred Special Category award. Memento was presented by Shri. Autee [Deputy Director (Prog.) and Head of Prog. section] for her dedicated work in office. Shri. Dilip Palde (Head Clerk) was awarded Special Category award. His contribution in refixation of pension according to 7th pay commission. Total 133 pensioners cases were settled in record time, was well appreciated. Shri. Bhatnagar presented memento to Shri. Palde. From programme section Shri. Arun Solanki [Asst. Director (Prog.)]was selected for Special Category award. Smt. Bhatnagar presented Memento to Shri. Solanki.

Best Employee of the Month award for Programme section was achieved by Shri. Rajendrakumar Ghadge (TREX.) His contribution in maintaining library deserved him to achieve this award. Shri. Vijay Sonavane (Tech.) received Best Employee of the Month award from Engineering section. His dedication in installation and maintenance of 11 Ton and 17 Ton package type AC plants in control room made him eligible to get this award. From Administrative section Smt. Bindu Nair (Steno and P.A. to DDG) was honored with Best Employee of the Month award. Her initiative to display motivational videos in conference hall apart from her routine work was acknowledged and she received this award. All the "Best Employee of the Month" award winners received Memento.

Prasar Bharati Parivar Congratulatee all Prize Winners. 

Play it again, Akashvani!

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- By Basudha Banerji

File Photo

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It is that time of the year again! When “the hill side is dew pearled” at “mornings at seven”! Robert Browning’s Pippa’s Song is playing out in the mindscape. Yes, it is that time of the year when the long hot summer looks forward to a little respite, when the mist waits in the wings for its entry cue, when festivals and fiestas line up to unfold their special brands of magic. And when All India Radio is all geared up for its annual date with its listeners… where the music moves out of its studios to grace a score and more of stages across the country. Studded with a galaxy of artistes. Serving up a cornucopia of music. 

Yes, we are talking of the annual Akashvani Sangeet Sammelan organizedsimultaneously in 24 different cities acrossthe country.The annual music festival whose rich legacy goes back to 1954 and which has built anenduring bond between artiste and listener and served both well. To preserve, propagatea heritage, to patronise the musical arts, to present and promote it to generation after generation. Akashvani has done it with elan. And devotion. In the true spirit of public service.

Let us take you back to 23 October 1954. To Sapru House, New Delhi. Where the Sammelan started with a three-day concert. Around the same time when the pandits and ustads had lost the patronage of more than 600 princes and nawabs. When there were very few institutions and patrons that could fund and organize music concerts. With this endeavour of Akashvani, the State would take over the role of princely patrons and ensure transparency and fair play by introducing a system of grading artistes. A system was in place for music auditions.

Today, while we mark the 64th year of this festival, we can proudly claim that the system has stood the test of time. That most of the present day luminaries in our musical firmament still abide by it. 

While Akashvani plays on, it has also changed its beat with the times. And today we are proudly moving this system to the digital age. Along with this year’s Sangeet Sammelan on 7 October 2017, we shall launch our online music audition system. 

Come, join us at the high table of music on 7 October! 24 different venues! 68 artistes! Come, feel the magic!

बेगम अख्तर जयंती की पूर्व संध्या पर आकाशवाणी लखनऊ में आयोजन

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लखनऊ : गजल गायिका बेगम अख्तर की जयंती की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को आकाशवाणी सभागार में मलिका-ए-गजल कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संगीत प्रेमियों ने उनकी मशहूर गजलों का खूब आनंद लिया। कार्यक्रम के अतिथि इतिहासकार डॉ. योगेश प्रवीन और डॉ. वीके ओहरी थे ने बेगम अख्तर की संगीत यात्रा के किस्सों को साझा किया।

इसके बाद सजी गजलों की शाम की शुरुआत आकाशवाणी की कलाकार रुमी दत्ता ने अपनी मनमोहक आवाज से की। उन्होंने बेगम अख्तर की ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया...... सुनाकर संगीत प्रेमियों की वाहवाही लूटी। वाराणसी के विजय कपूर ने वो जो हम में तुम में करार था... गजल सुनाई। कार्यक्रम के आखिर में रुमी दत्ता और विजय कपूर ने बेगम साहिबा की मशहूर गजल मेरे हम सफर मेरे हम नवा......सुनाकर दर्शकों का दिल जीत लिया।

Source and Credit : https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/lucknow/other-news/those-who-were-in-agreement-with-you-/articleshow/60975214.cms
Forwarded byJhavendra Dhruw  jhavendra.dhruw@gmail.com

Engineers working at AIR & DD Transmitters are not less Tigers

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Clipping of TOI Sept. 2017
Broadcast Engineers working at AIR and Doordarshan Transmitters at Sinhgarh, Pune have to have a brave heart apart from sharp mind. 

PB Parivar salutes them and all other broadcast engineers who are operating transmitters at remote, isolated locations with difficult conditions.

Show Must Go On - A broadcaster's memoir

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Here is a memoir of Shri Mohan P Rao, retired Cameraman, Doordarshan, captured from comments from PB Parivar facebook page. It's so touching. We call upon other Parivar members too, particularly our retired friends to share such memoirs for possible publication on PB parivar Blog, which will be highly inspiring for the current generation of broadcasters. Just mail them to pbparivar@gmail.com


I remember recording her (Begum Akhtar) prog at Srinagar DDK in 1975 special prog for 26th Jan. During that one hour prog recording only i got the shocking news thro telegram about my fathers death news from chennai. My colleagues from panel were not able to convey it to me as there was no edit facilities those days to stop and continue. Without knowing any reason i was working on camera with full of tears and after completing the prog when we came out of studio entire staff friends told me the news and shared their condolences. So i never forget the great queen of gazals Begum Akthar in my lifetime.

Source : Mohan PRao

आकाशवाणी परभणी में हिन्दी कार्यशाला

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आकाशवाणी परभणी में दिनांक 27 सितम्‍बर 2017 को हिन्‍दी कार्यशाला का उदघाटन कार्यक्रम उपनिदेशक (अभि.)/केन्‍द्र प्रमुख श्री.शेषराव बगाटे की अध्‍यक्षता में पुर्वान्‍ह 11:45 बजे कार्यलय के सम्‍मेलन कक्ष में संपन्‍न हुआ । हिन्‍दी कार्यशाला में व्‍याख्‍याता के रूप में श्री गणेश महादप्पा मठपती, राजभाषा प्रभारी , भारत संचार निगम लिमिटेड, महाप्रबंधक का कार्यालय, टेलिफोन भवन, लातुर को आमंत्रित किया गया था ।

कार्यशाला के आरंभ में हि.अ. पीयूष गौतम ने व्‍याख्‍याता एवं उपस्थित अधिकारियों / कर्मचारियों का स्‍वागत करते हुए कार्यशाला के आयोजन एवं विषय ‘’ कार्यालयीन कार्यव्‍यवहार में हिंदी का प्रयोग एवं मानक हिंदी ‘’ के बारे संक्षिप्‍त जानकारी प्रदान की । उपनिदेशक (अभि.)/केन्‍द्र प्रमुख श्री.शेषराव बगाटेजी ने सभी से कार्यशाला का लाभ ले कर अपने दैनंदिन कार्य में इसके प्रयोग और प्रचार की अपेक्षा व्‍यक्‍त की । कार्यशाला दो सत्रों में संपन्‍न हुई । हिंदी कार्यशाला में व्‍याख्‍याता के रूप में आमंत्रित श्री गणेश महादप्पा मठपती, राजभाषा प्रभारी ,भारत संचार निगम लिमिटेड,महाप्रबंधक का कार्यालय,टेलिफोन भवन, लातुर ने कार्यालय में किए जा रहे हिंदी कार्य एवं सभी के प्रयासों की भरपुर सराहना की और अपेक्षा व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि हम सभी के द्वारा किए जा रहे प्रयासों के माध्‍यम से राजभाषा का कार्य प्रगती प्राप्‍त कर सकता है। हिंदी कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए उपनिदेशक (अभि.)/केन्‍द्र प्रमुख श्री.शेषराव बगाटेजी ने हिंदी एकक को बधाई देते हुए एवं साथ में कार्यालय के सभी अनुभागों के सहयोगियों द्वारा उत्‍साहपूर्वक कार्यशला में सहभागी होने के लिए धन्‍यवाद देते हुए हिंदी कार्यशाला संपन्‍न होने की घोषणा की ।

हिन्‍दी कार्यशाला में अभियांत्रिकी अनुभाग, कार्यक्रम अनुभाग, लेखा एवं प्रशासन अनुभाग एवं मल्‍टी टास्‍क फोर्स कर्मचारियों ने सहभाग लिया ।

Contributed By:AIR Parbhani ,airpbn544@gmail.com

आकाशवाणी भोपाल में हिन्दी पखवाड़े का आयोजन

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आकाशवाणी भोपाल में गत् 03 अक्तूबर, 2017 को, ‘‘हिन्दी पखवाड़ा समापन व पुरस्कार वितरण समारोह’’ का आयोजन किया गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि, मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, भोपाल के मंत्री-संचालक, श्री कैलाश चन्द्र पंत थे श्री पंत ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम को आरंभ किया। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता आकाशवाणी भोपाल के, उप निदेशक (अभियांत्रिकी) व केन्द्राध्यक्ष श्री धर्मेन्द्र श्रीवास्तव ने की, जबकि कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में आकाशवाणी भोपाल के कार्यक्रम प्रमुख श्री एम. रईस सिद्दीकी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन पूर्व सहायक निदेशक/समन्वयक (राजभाषा) राजीव श्रीवास्तव ने किया।

समापन समारोह में मुख्य अतिथ श्री कैलाश चन्द्र पंत ने अपने आशीर्वचन में कहा कि, हम भारतीय ‘‘वसुधेव कुटुम्बकम्’’ के संस्कारों के साथ पले बढ़े हैं तथा पूरे विश्व को अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं। इसी प्रकार विश्व की समस्त भाषाएं हमारे लिए सम्मानीय है, लेकिन हमारे देश की संपर्क भाषा हिन्दी हमारी ‘‘माथे की बिंदी है’’। आपने आगे कहा कि, राज-काज और संपर्क भाषा के रूप में हिन्दी हमारे लिए सर्वोपरि स्थान रखती है, इसी बात को ध्यान में रखते हुए 14 सितम्बर, 1949 को हिन्दी को ‘‘संघ की राजभाषा’’ के रूप में अंगीकार किया गया। केन्द्र सरकार के राज-काज की भाषा, अर्थात राजभाषा के रूप में हिन्दी के साथ-साथ हमारे देश की अन्य भारतीय भाषाएं भी हमारे लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि हिन्दी। अतः हमें अन्य भारतीय भाषाओं का भी उतना ही सम्मान करना चाहिए जितना की हिन्दी का। श्री पंत ने अपने अंतिम उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि, अन्य भारतीय भाषा भी प्रादेशिक स्तर पर अलग-अलग प्रदेशों में प्रचलित हैं और वहां के राज्य सरकारों के काम-काज की, अर्थात् राजभाषाएं हैं। हम सबका यह दायित्व है कि, केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों में राजभाषा हिन्दी को, उचित स्थान दिलाने हेतु अपने लक्ष्य निर्धारित करें तथा ‘‘मिशन’’ के रूप में, इसके विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें, ताकि राजभाषा हिन्दी को उसका उचित स्थान मिल सके। 

इस अवसर पर केन्द्राध्यक्ष श्री धर्मेन्द्र श्रीवास्तव ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि, राजभाषा हिन्दी में काम-काज केवल औपचारिकता नहीं बल्कि समय की और हमारी जरूरत है। आपने आगे कहा कि, नियमानुसार राजभाषा हिन्दी में अपना अधिकाधिक काम-काज करना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। श्री श्रीवास्तव ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि, वे सभी अधिकारी/कार्मिकगण बधाई के पात्र हैं जो यहंा पुरस्कृत होने जा रहे हैं तथा भविष्य में इस प्रोत्याहन से, उन्हें हिन्दी में काम-काज करने हेतु और अधिक ऊर्जा मिलेगी व वे आगे भी हमेशा अपना हिन्दी में काम-काज जारी रखेंगे। इसके पूर्व कार्यक्रम प्रमुख श्री एम. रईस सिद्दीकी ने पखवाड़े के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगितओं में पुरस्कृत होने वाले अधिकारियों/कार्मिकों को बधाई देते हुए आव्हान् किया कि, सभी लोग मिलकर अपना अधिकाधिक काम-काज राजभाषा हिन्दी में करें ताकि हिन्दी की प्रगति में और तेजी आ सके।

कार्यक्रम मेें मुख्य अतिथि, केन्द्राध्यक्ष व कार्यक्रम प्रमुख द्वारा हिन्दी प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत होने वाले अधिकारियों/कार्मिकों सर्वश्री शरिक नूर, पवन सिंह कुशवाह, सौरभ अवस्थी, विक्रम कुमार रंजन, योगेश नागर, पुरुषोत्तम श्रीवास, प्रताप सिंह, विजय एस. गजभिये, संजय कुमार गजरे, आनंद कमाविसदार, दत्ता वामनराव पाठक, सचिन भागवत, काशी प्रसाद, रघुवीर चिराड़, अरविन्द कुमार शेंडे, मोहन सिंह, मिथलेश कुमार पाण्डेय, हर्षद व्यास, पंकज नागर, मिलिंद वडीतलवार, राजेश भट, सुधांशु कुमार व दीपक सचदेव तथा श्रीमती सजिता सुरेश, श्रीमती विजी अशोक, श्रीमती अनीता रविन्द्रन, श्रीमती सुलोचना रामटेककर, श्रीमती विजी वर्गीस, श्रीमती उर्मिला पौराणिक, श्रीमती शर्ली जाॅर्ज, श्रीमती पर्णिता सक्सेना, श्रीमती मंजुशा पांढरीपांडे, श्रीमती संगीता कोष्टा, श्रीमती सिंधु एस कुमार व प्रमीला नायर को नक़द पुरस्कार व प्रमाण पत्र प्रदान किए उल्लेखनीय है कि, जिन अधिकारियों/कार्मिकों को पुरस्कृत किया गया है, उन्हें प्रथम पुरस्कार के रुप में रु. 4,000/-, द्वितीय पुरस्कार के रुप में रु. 3,000/-, तृतीय पुरस्कार के रुप में रु. 2,000/- तथा प्रोत्साहन पुरस्कार के रुप में रु. 1,500/- की नक़द राषि व प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। 

आकाशवाणी भोपाल राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा गत 14 सितम्बर, 2017 हिन्दी दिवस से आरंभ हुये हिन्दी पखवाड़े के अंतर्गत प्रतिदिन हिन्दी प्रतियोगिताएं, एक दिवसीय पूर्णकालिक हिन्दी कार्यशाला तथा हिन्दी दिवस समारोह/हिन्दी पखवाड़ा उद्घाटन समारोह व दिनांक 03 अक्तूबर, 2017 को हिन्दी पखवाड़ा समापन व पुरस्कार वितरण समोराह का आयोजन किया गया। उल्लेखनीय है कि, 14 सितम्बर, 2017 को हिन्दी दिवस समारोह के साथ-साथ हिन्दी पखवाड़ा उद्घाटन समारोह का आयोजन किया गया। हिन्दी दिवस समारोह/हिन्दी पखवाड़ा उद्घाटन समारोह का शुभारंभ हिन्दी की जानी-मानी कथा लेखिका, उपन्यासकार पद्मश्री श्रीमती मेहरुन्नीसा परवेज ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात् दीप प्रज्जवलन कर किया। समारोह की अध्यक्षता आकाशवाणी भोपाल के उप निदेशक (अभियांत्रिकी) व केन्द्राध्यक्ष श्री धर्मेन्द्र श्रीवास्तव ने की, जबकि कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में आकाशवाणी भोपाल के कार्यक्रम प्रमुख श्री एम. रईस सिद्दीकी मौजूद थे। हिन्दी पखवाड़ा शुभारंभ के अवसर पर मुख्य अतिथि पदमश्री श्री मेहरुन्नीसा परवेज ने अपने संबोधन में कहा कि, भारत के नागरिक होने के नाते संपर्क भाषा के रूप में हिन्दी ही एक मात्र ऐसी सर्वमान्य भाषा है जिसे देश के अधिकांश भागों में बोला और समझा जाता है। राजभाषा हिन्दी के रूप में उसे उच्च स्थान दिलाने के लिए हम सबको अथक परिश्रम करने की अब भी जरूरत है। आपने अपनी बात को समाप्त करते हुए कहा कि, हम सबका ये दायित्व है कि, न केवल अपने देश में, बल्कि विदेशों में भी हिन्दी को सम्मान मिले इसलिये इसे विश्व भाषा के रूप में स्थान दिलाने का प्रयास लगातार हम सबको करना चाहिए। शुभारंभ के अवसर पर केन्द्राध्यक्ष श्री धर्मेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि, केन्द्र सरकार के राजकाज की भाषा हिन्दी निरंतर अपनी गति से आगे बढ़ रही है और हम सबको इस दिशा में लगातार सार्थक प्रयास करते रहना चाहिए ताकि हम अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर सकंे। इस अवसर पर कार्यक्रम प्रमुख श्री एम. रईस सिद्दीकी ने कहा कि, हिन्दी पखवाड़े का आयोजन राजभाषा हिन्दी को उचित स्थान दिलाने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने का एक अहम हिस्सा है ताकि अधिकारीगण/कार्मिक अपना समस्त कार्यालयीन कार्य राजभाषा हिन्दी में करें। 

हिन्दी पखवाड़े के दौरान दिनांक 15/09/2017 को कविता पढ़ेंः तत्काल कहानी लिखें प्रतियोगिता में 32 प्रतिभागियों, दिनांक 18/09/2017 को हिन्दी श्रुतिलेख, सुलेख एवं शुद्ध लेखन प्रतियोगिता में 40 प्रतिभागियों, दिनांक 19/09/2017 को हिन्दी में टिप्पण-आलेखन एवं प्रारूप लेखन प्रतियोगिता में 33 प्रतिभागियों, दिनांक 20/09/2017 हिन्दी वर्ग पहेली प्रतियोगिता में 35 प्रतिभागियों, दिनांक 21/09/2017 को कम्प्यूटर पर हिन्दी टंकण प्रतियोगिता में 16 प्रतिभागियों दिनांक 22/09/2017 को हिन्दी वाद-विवाद प्रतियोगिता 22 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। 

इसी क्रम में दिनांक दिनांक 25/09/2017 को स्टाफ के अधिकारियों/कार्मिकों के लिए स्टाफ काव्य गोष्ठी आयोजित की गई जिसमें लगभग 15 अधिकारियों/कार्मिकों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया, जबकि दिनांक 27/09/2017 को एक दिवसीय पूर्णकालिक हिन्दी कार्यषाला का आयोजन किया गया जिसका शुभारंभ आकाशवाणी भोपाल के केन्द्राध्यक्ष श्री धर्मेन्द्र श्रीवास्तव ने किया कार्यक्रम में आकाशवाणी भोपाल के कार्यक्रम प्रमुख श्री एम. रईस सिद्दीकी तथा आयकर विभाग के उप निदेशक (राजभाषा) श्री देवेश त्यागी विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे। हिन्दी कार्यशाला के अवसर पर केन्द्राध्यक्ष कार्यक्रम प्रमुख ने सभी अधिकारियों/कार्मिकों को अपने संबोधन में कहा कि, कार्यशाला आयोजन से हिन्दी के काम-काज में आने वाली कठिनाईयों को दूर करना तथा हिन्दी के प्रति झिझक को दूर करना तथा अधिकारियों/कार्मिकों की जिज्ञासाओं/प्रश्नों वा शंकाओं का समाधान करना एक उद्देश्य होता है। कार्यशाला में आयकर विभाग के उप निदेशक श्री देवेश त्यागी ने पहले सत्र में हिन्दी में पत्र व्यवहार तथा पत्रों के विविध रूप तथा दूसरे सत्र में हिन्दी की पारिभाशिक वा मानक शब्दावली विषय पर व्याख्यान दिया। कार्यशाला के अंत में श्री देवेश त्यागी श्री धर्मेन्द्र श्रीवास्तव तथा पूर्व सहायक निदेशक/समन्वयक (राजभाषा) राजीव श्रीवास्तव ने कार्यशाला में अधिकारियों/कार्मिकों की जिज्ञासाओं, प्रश्नों व शंकाओं के समाधान प्रदान किये। कार्यशाला में 30 से भी अधिक अधिकारियों/कार्मिकों ने हिन्दी में प्रशिक्षण प्राप्त किया।
पखवाड़े के दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं, कार्यशाला तथा आकाशवाणी भोपाल व विज्ञापन प्रसारण सेवा कार्यालय में निरीक्षण व मार्गदर्शन कार्यक्रम आयोजित किये गए।

हिन्दी पखवाड़े के दौरान 14 सितम्बर, 2017 से 03 अक्तूबर, 2017 तक समस्त आयोजनों में पूर्व सहायक निदेशक/समन्वयक (राजभाषा) राजीव श्रीवास्तव द्वारा कार्यक्रमों का समन्वय व संचालन किया गया तथा इन आयोजनों का प्रबंधन प्रभारी राजभाषा अधिकारी श्री राजेश वंजानी की देख रेख में संपन्न हुआ। उल्लेखनीय है कि 14 सितम्बर, 2017 से 03 अक्तूबर, 2017 तक आयोजित यह हिन्दी पखवाड़ा आकाशवाणी भोपाल, विज्ञापन प्रसारण सेवा आकाशवाणी भोपाल, अतिरिक्त महानिदेशक कार्यालय मध्य क्षेत्र-2 भोपाल तथा सिविल निर्माण स्कंध (आकाशवाणी), भोपाल के संयुक्त तत्वाधान में संपन्न हुआ।

Contributed By:Rajeev Shrivastava ,shrivastavarajeev914@gmail.com

Open Gov Data Hackathon. Last Date is 13th November, 2017.

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....NIC, in association with IAMAI & StartUp India has organized a Hackathon –“#Open Gov Data Hack”, for Students, Entrepreneurs, Innovators, Start-ups, Developers and Community to create unique and innovative service delivery Applications & Info-Graphics to foster innovation.....

Source & full details pl. click here : https://www.mygov.in/task/open-gov-data-hackathon/

Obituary - Debasish ,Cameraman Doordarshan Bhubaneswar expires

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Our Beloved Brother Debasish ,Cameraman Doordarshan Bhubaneswar Is No More .R I P.

Prasar Bharati Parivar condoles the demise of Debashish and prays for the peace of the departed Soul.

DDK BHOPAL HINDI PAKHWADA PHOTOs

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Contributed by :- Shri. Sanjay Gupta ,esaarjee@gmail.com

आकाशवाणी सम्बलपुर में हिन्दी पखवाड़ा समापन समारोह

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विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी आकाशवाणी सम्बलपुर केंद्र में 14 सितंबर 2017 को हिन्दी दिवस मनाया गया । ‘हिन्दी दिवस’ को यादगार बनाने के लिए कार्यालय के प्रतीक्षा कक्ष में केंद्राध्यक्ष श्री एम आर के राव की अध्यक्षता में 14 सितंबर 2017 को शाम 4 बजे एक सभा का आयोजन किया गया । सभा के दौरान प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं महानिदेशक आकाशवाणी से प्राप्त संदेश का पठन किया गया । उसके उपरांत केंद्र में हिन्दी पखवाड़ा आयोजित करने और प्रतियोगिताओं का आयोजन करने के लिए विचार विमर्श के बाद तिथि और समय के बारे में निर्णय लिया गया । हिन्दी पखवाड़ा के दौरान एक हिन्दी कवि संगोष्ठी का भी आयोजन करने के लिए बैठक में निर्णय लिया गया । अध्यक्षीय अभिभाषण में केंद्राध्यक्ष ने आग्रह किया कि हिन्दी दिवस को महज एक औपचारिकता न समझकर राष्ट्रभाषा हिन्दी को राजभाषा के रूप में कार्यालईन कार्यों में व्यापक व्यवहार करें । उन्होने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा कार्यालय द्वारा हिन्दी में हो रहे कार्यों तथा हिन्दी में 80 प्रतिशत कार्यसाधक रखनेवाले कार्मिकों के मद्देनजर सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने आकाशवाणी सम्बलपुर केंद्र को राजभाषा (संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग) नियम, 1976 के नियम 10 के उप नियम (4) के अनुसरण में अधिसूचित किया है । प्रारम्भ में श्री क्षेत्रमणि बिभार ने स्वागत भाषण एवं श्री संतोष पिंग ने धन्यवाद अर्पण किया ।
आकाशवाणी महानिदेशालय से जारी स्थायी अनुदेश अनुसार 15 सितंबर 2017 से 30 सितंबर 2017 तक केंद्र में हिन्दी पखवाड़ा मनाया जाना चाहिए । परंतु दुर्गा पुजा के लिए अवकाश हेतु पखवाड़ा को 27 सितंबर तक मनाया जाने का निर्णय लिया गया । इस अवसर पर केंद्र में 18 सितंबर से 22 सितंबर तक विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया । इन प्रतियोगिताओं में केंद्र के अधिकारियों और कर्मचारियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया । इस क्रम में 18 सितंबर को टिप्पण एवं प्रारूप लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । इस प्रतियोगिता में श्री क्षेत्रमणि बिभार, वरिष्ठ आशुलिपिक प्रथम, श्री टी राजेश, अभियांत्रिकी सहायक द्वितीय और श्री जगदीश पटनायक, टकनिसियन ने तृतीय स्थान प्राप्त किया । सर्वश्री युधिस्थिर भूए, प्रवर श्रेणी लिपिक एवं एस के भोई, प्रवर श्रेणी लिपिक ने प्रोत्साहन पुरस्कार प्राप्त किए ।
19 सितंबर को प्रबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । इसमें सुश्री एस के आर्या, प्रवर श्रेणी लिपिक ने प्रथम, श्रीमती सुशीला प्रीसीला मींज, पुस्तकालय एवं सूचना सहायिका ने द्वितीय एवं श्री अजय कुमार साहू, टकनिसियन ने तृतीय स्थान प्राप्त किया । श्रीमती प्रतिभा रानी पंडा, वरिष्ठ उद्घोषिका एवं श्री श्यामपद सरकार, अवर श्रेणी लिपिक और श्री चैतन्य प्रसाद बेश्रा, प्रवर श्रेणी लिपिक युग्म रूप से प्रोत्साहन पुरस्कार प्राप्त किए ।
उसी दिन विशेष रूप से एम.टी.एस कर्मचारियों के लिए श्रुत एवं दृश्य लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । इसमें श्री देवेंद्र नाथ चौबे, स्टुडियो परिचर ने प्रथम श्री विष्णु प्रसाद नायक, मोटर चालक ने द्वितीय, श्री मालिक मुंडा, सुरक्षा कर्मचारी ने तृतीय एवं श्री लंबोदर बुदुला, चपरासी, दीपक ओरम, एम टी एस एवं उपेंद्र कलेत, चपरासी सांत्वना पुरस्कार प्राप्त हुए ।
21 सितंबर को वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें स्थानीय राष्ट्रीय गोपाल विद्यामन्दिर के हिन्दी प्राध्यापिका श्रीमती तारा सडांगी को निर्णायक के रूप में बुलाया गया । इसमें श्री संतोष पिंग प्रथम, कार्यक्रम निष्पादक, श्री मनोज कुमार पुजारी,कार्यक्रम अधीसासी द्वितीय, श्री सत्यरंजन पंडा, टकनिसियन तृतीय, श्री प्रबिर कुमार मोहंती, अभियांत्रिकी सहायक एवं श्री हिमांशु कुमार पाढ़ी, वरिष्ठ टकनिसियन ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया ।
अंत में 22 सितंबर को प्रश्नमंच प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें ज़्यादातर कार्मिकों ने योगदान दिया । इसमें श्रीमती प्रतिभा रानी पंडा, वरिष्ठ उद्घोषिका एवं सुशीला प्रीसीला मींज, पुस्तकालय एवं सूचना सहायिका ने प्रथम स्थान, कसिफ़ जमील,अभियांत्रिकी सहायक एवं चन्दन सिंह, अभियांत्रिकी सहायक ने द्वितीय स्थान, मनोज कुमार पुजारी, प्रसारण निष्पादक एवं जगदीश पटनायक, तकनिसियन ने तृतीय स्थान तथा क्षेत्रमणि बिभार, वरिष्ठ आशुलिपिक एवं विष्णु प्रसाद नायक, मोटर चालक और प्रबिर कुमार मोहंती, अभियांत्रिकी सहायक एवं श्री कृष्ण चन्द्र भोई, वरिष्ठ तकनीसियन ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किए । प्रश्न मंच कार्यक्रम को श्रीमती तारा सडांगी ने संचालन किया ।
गौरतलब है कि 25 सितंबर को केंद्र में हिन्दी कवि संगोष्ठी का आयोजन किया गया । इस क्षेत्र के जानेमाने हिन्दी कवि डॉक्टर सुशील दाहिमा(अभय), डॉक्टर राधाकृष्ण विश्वकर्मा, डॉक्टर वासुदेव साहू (चमन), श्री अनिल कुमार सिंहदेव एवं डॉक्टर मीना सोनी ने स्वरचित कविता पाठ किए । कार्यक्रम का संचालन श्री एम आर के राव जी ने किया । केंद्र के समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी इस कार्यक्रम का भरपूर आनंद उठाया ।
27 सितंबर 2017 को केंद्र परिसर में हिन्दी पखवाड़े का समापन समारोह मनाया गया । केंद्राध्यक्ष श्री एम आर के राव की अध्यक्षता में हुई समारोह में डॉक्टर मुरारीलाल शर्मा, सेवानिवृत्त हिन्दी रीडर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे । केंद्र के कार्यक्रम प्रमुख श्री जयराम मुंडा एवं क्षेत्रीय समाचार विभाग के उप निदेशक(समाचार) श्री सीतानाथ मिश्र भी मंचासीन थे । मुख्य अतिथि नें अपनी करकमलों से कृति प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरण किए । श्री क्षेत्रमणि बिभार ने स्वागत भाषण के साथकार्यक्रम के समापन पर धन्यवाद ज्ञापन किया ।

Contributed by :- AIR SAMBALPUR,airsambalpur@gmail.com

प्रोफेसर राम स्वरुप सिंदूर की याद में आयोजन !

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आकाशवाणी लखनऊ के लोकप्रिय संगीत संयोजक और उ.प्र.संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त उस्ताद युगान्तर सिन्दूर ने अपने गीतकार पिता प्रोफेसर राम स्वरुप सिंदूर को उनकी 87वीं जयंती पर लखनऊ के साहित्य और संगीत प्रेमियों की उपस्थिति में एक नायाब आयोजन करके याद किया ।सिंदूर मेमोरियल अकादमी के बैनर तले 7अक्टूबर को गाडगे प्रेक्षागृह में सम्पन्न इस आयोजन के मुख्य अतिथि उ.प्र.के राज्यपाल श्री राम नाइक और अध्यक्ष पर्यटन मंत्री प्रोफे.रीता बहुगुणा जोशी थीं।डा.ऊषा सिन्हा ने प्रोफे.सिन्दूर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर सारगर्भित प्रकाश डाला।इसके बाद उर्दू में मुम्बई के शायर जनाब इब्राहिम अश्क और हिन्दी में मुरादाबाद के कवि श्री माहेश्वर तिवारी को प्रोफे.राम स्वरुप सिन्दूर सम्मान 2017 से राज्यपाल महोदय के कर कमलों से नवाजा गया।तदुपरान्त राज्यपाल महोदय और प्रोफे.रीता बहुगुणा जोशी ने अपने विचार व्यक्त किये।अंत में गंगा जमुनी कवि सम्मेलन-मुशायरे ने इस आयोजन में चार चांद लगा दिये।आयोजन में ब्लाग लेखक सहित लखनऊ के अनेक गणमान्य लोग ,कवि,संगीतकार,कलाकार लोग उपस्थित थे।

ब्लाग रिपोर्टर /चित्र सौजन्य :- श्री. प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी,लखनऊ।,darshgrandpa@gmaul.com
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