लखनऊ के सांस्कृतिक वैभव को बढ़ाने में हमेशा तत्पर , संगीत, साहित्य और कलासाधक, आकाशवाणी-दूरदर्शन में विभिन्न पदों और केन्द्रों पर अपनी मूल्यवर्द्धक सेवाएं दे चुके 86वर्षीय श्री नित्यानंद मैठाणी का कल रात लखनऊ स्थित आवास पर निधन हो गया है। वे आकाशवाणी-दूरदर्शन लखनऊ, गोरखपुर,जम्मू- श्रीनगर, नजीबाबाद आदि केन्द्रों पर रह चुके थे ।उनके परिवार में उनकी पत्नी श्रीमती उमा मैठाणी और एकमात्र पुत्री हैं।कल 16सितंबर की सुबह उनका अंतिम संस्कार होगा।लेखक की उनके साथ अंत तक अत्यंत अंतरंगता बनी हुई थी ।आकाशवाणी गोरखपुर में भी उनका सानिध्य लेखक को मिला था।
10नवम्बर1934को श्रीनगर, गढ़वाल में उनका जन्म हुआ था।पौड़ी तथा श्रीनगर में प्रारंभिक शिक्षा के बाद प्रयागराज वि.वा.से उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा ली।दूरदर्शन के लिए उन्होंने पूना फिल्म इंस्टीट्यूट से विशेष प्रशिक्षण लिया।रंगकर्म, लोकसाहित्य व संगीत की रुचि के कारण वे हमेशा सुर्खियों में रहे हैं।उन्होंने ग्वालियर घराने के प्रोफेसर एस.एस.मावलंकर से संगीत की बारीकियां सीखीं।वे भारतीय प्रसारण सेवा के प्रथम बैच के अधिकारी थे और लगभग 35वर्षों की सेवा देकर केन्द्र निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए थे।सेवानिवृत्त होने के बाद भी उनकी सक्रियता बनी रही और उन्होंने निमाणी(गढ़वाली उपन्यास),रामदेई(गढ़वाली कविता संग्रह),याद-ए-राहत अली,पं.भास्करानंद मैठाणी , गजल साम्राज्ञी बेगम अख़्तर आदि के व्यक्तित्व और कृतित्व पर तथा "लखनऊ का सांस्कृतिक वैभव"नामक पुस्तकें लिखीं।मशहूर गजल गायक उस्ताद गुलाम अली जब भारत आए थे तो लखनऊ दूरदर्शन के लिए उन्होंने उनका इंटरव्यू लिया था।गज़ल क्वीन कही जानेवाली बेगम अख़्तर से रेडियो कार्यक्रम को लेकर उनकी निकटता अंत तक बनी रही।
प्रसार भारती अपने इन पुरोधा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त कर रहा है और भगवान से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहा है।
दिवंगत पुरोधा के परिजनों से आप स्वयं भी शोक व्यक्त कर सकते हैं। उनकी पत्नी का मोबाइल नं. -9621640603 और 9453830241 है ।
द्वारा योगदान - प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी ,लखनऊ।