कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) से बचने अथवा इसे फैलने से रोकने में सामुदायिक रेडियो स्टेशन (Community Radio Station) बेहद अहम भूमिका निभा रहे हैं और स्थानीय लोगों को उन्हीं की बोलचाल की भाषा में जानकारियां दे रहे हैं. सामुदायिक रेडियो (सीआर) के स्टेशन प्रबंधकों का मानना है कि इस गंभीर संक्रमण को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर प्रयास बेहद जरूरी हैं. सामुदायिक मीडिया पर यूनेस्को (Unesco) के अधिकारी विनोद पवराला कहते हैं कि सीआर स्टेशनों की भूमिका इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आबादी का जो कमजोर तबका है उसे कोरोना वायरस (Coronavirus) से बचाव के संबंध में विश्वस्नीय सूचना चाहिए, वह भी स्थानीय भाषा में.
फेक न्यूज़ को लेकर दूर किए जा रहे भ्रम
शिमला में विश्वविद्यालय समुदायिक रेडियो के प्रबंधक सुरेन्द्र सिंह बनोल्टा ने कहा, ‘‘ऐसे वक्त में जब फर्जी सूचनाएं बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंच रही हैं तो उस श्रृंखला को तोड़ना और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है. ऐसा सिर्फ वायरस के संबंध में नहीं बल्कि फर्जी सूचनाओं के बारे में भी है. ’’ बनोल्टा ने कहा, ‘‘हमारा एक शो है‘ब्रेक द फेक न्यूज चेन’ और इसमें हमें गृहणियों से लेकर रिक्शाचालकों तक के फोन आते हैं कि व्हाट्सऐप पर किया गया ये दावा सही है अथवा गलत.’’
मार्च से लोगों को दी जा रही जानकारी
बेंगलुरु के रेडियो एक्टिव सीआर 90.4 मेगाहर्ट्ज की स्टेशन निदेशक पिंकी चंद्रन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ हम मार्च से कई कार्यक्रमों पर काम कर रहे हैं जिसमें विभिन्न सरकारी विभागों के आधिकारिक बयानों को शामिल करते हैं, स्वास्थ्य पर कार्यक्रम, शराब छोड़ने के बाद होने वाली समस्याओं से कैसे निपटना है, लोगों द्वारा अथवा एनजीओ के द्वारा उठाए गए कदमों के बार में लोगों को जानकारी देना तथा तथ्यों को समझना और गलत सूचनाओं के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत के बारे में उन्हें बताते हैं.’’ एमिटी विश्वविद्यालय सामुदायिक रेडियो स्टेशन ‘पंचतंत्र का कोरोना मंत्र’ नामक कार्यक्रम चला रहा है जिसमें पंचतंत्र की अनेक कहानियों का इस्तेमाल कोरोना वायरस से जुड़े संदेश देने के लिए किया जा रहा है.
देश में फिलहाल 270 कम्युनिटी रेडियो
देश में फिलहाल 270 से अधिक सामुदायिक रेडियो स्टेशन चल रहे हैं. सामुदायिक रेडियो संगठन के अध्यक्ष एन ए शाह अंसारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा,‘‘सामुदायिक रेडियो देश के दूरदराज के इलाकों में लोगों को शिक्षित करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. ये सब कोष की कमी से जूझ रहे हैं क्योंकि कारोना वायरस महामारी ने इनके सीमित संसाधनों को और सीमित कर दिया है.’’...............
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द्वारा अग्रेषित :- श्री. श्री. झावेंद्र कुमार ध्रुव
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