आज बसंतपंचमी के पावन पर्व पर आकाशवाणी और दूरदर्शन की टाप ग्रेड कलाकार मालिनी अवस्थी को फिल्मों के अद्वितीय संगीतकार नौशाद के नाम पर प्रतिष्ठित नौशाद सम्मान दिया जा रहा है ।उनके साथ ही प्रख्यात गायक सोनू निगम को भी इससे नवाजा जा रहा है। इस अवसर पर भावुक होकर मालिनी अवस्थी ने कहा है कि "..नौशाद साहब सदा से हमारे पसंदीदा संगीतकार रहे। शायद इसकी वजहात यूँ थी कि जिन गानों के साथ मेरी परवरिश हुई, मेरी संगीत की समझ को गहरा किया, उनमें से अधिकांश नौशाद जी के नग़मे थे।घर के रिकॉर्ड प्लेयर पर जब उड़नखटोला ,मदर इंडिया और बैजू बावरा मुग़ल-ए-आज़म के गाने बजते तो मन कहता यही है हमारी माटी की खुशबू, हमारा संगीत, यही है!
उनके गानों में रागदारी भी असरदार अंदाज़ में दिखती और उत्तर भारत के गाँव की सादगी भी! ठुमरी, दादरा, क़व्वाली, नात, भजन, ग़ज़ल, होली, कजरी, ब्याह के गीत क्या नही गवाया नौशाद जी ने।नौशाद साहब यानी गंगा जमुनी विरासत के रौशन चिराग़! उन्होंने आगे बताया कि "सन 87 की बात है, एक बार मैं अमीनाबाद में अल्लन मियाँ के पास अपना हारमोनियम बनने देने गई, देखा- वहां अल्लन मियां के साथ गिलास में चाय पीते हुए नौशाद जी बातें किये जा रहे हैं, न जाने कौन कौन सी! अल्लन मियाँ तो ख़ुद में एक खज़ाना थे और नौशाद साहब हुनर को तराशने और इज़्ज़त देने वाले। वहीं छोटी सी दुकान में तमाम साज़ों से घिरे हुए अल्लन मियाँ से नौशाद साहब लखनऊ के पुराने फनकारों की बातें कर रहे थे।"
क्या सरलता, क्या नरमी थी उनके लहजे में!
जैसा मिज़ाज वैसा संगीत!
लता जी, रफ़ी साहब ने अपनी ज़िंदगी के बेहतरीन गाने नौशाद साहब की निगहबानी में गाये। शायद दोनों विलक्षण कलाकारों का निखरने का वह दौर था। अवध को जैसा उन्होंने सजाया, वैसा कोई नही सजा सका। मैं जब भी मंच पर कार्यक्रम देती हूं, नौशाद जी को संगीतात्मक श्रद्धांजलि देना नही भूलती।लोक से फिल्मों में गए गानों की लड़ियों में ज्यादातर नग़मे उन्ही के होते हैं। खनकदार और असरदार धुनें।नौशाद साहब लखनऊ के थे, और मुम्बई में रहते हुए भी, ताउम्र लखनऊ के ही होकर रहे, आज उन्ही के नाम पर प्रतिष्ठित नौशादसम्मान मुझे दिया जा रहा है।आज भावुकता के इस क्षण में सभी बड़ों का आशीर्वाद समेट लेना चाहती हूं, कभी नौशाद साहब को किसी इंटरव्यू मे कहते सुना था, कि 'सच्चा सुर एक पाक इंसान, एक अच्छा इंसान ही लगा सकता है।"इस पाकीज़गी, इस इंसानियत को बचाये बनाये रखने की ताउम्र कोशिश का नाम ही है ज़िंदगी, यह कोशिश जारी रहे,रियाज़ जारी रहे, मेहनत का जज़्बा बना रहे !"
प्रसार भारती मालिनी अवस्थी को इस उपलब्धि पर अपनी हार्दिक शुभकामनाएं दे रहा है।
द्वारा योगदान -श्री. प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी, लखनऊ,darshgrandpa@gmail.com.