एक लोक प्रसारक के रूप में आकाशवाणी ने अपनी भूमिका पूरी निष्ठा के साथ निभाई है| पूर्व प्रधानमन्त्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के निधन पर एक सप्ताह के राष्ट्रीय शोक के दौरान आकाशवाणी भोपाल ने भी जो दायित्व निभाया, वो निश्चित ही काबिल-ए-तारीफ़ है| दिनांक १६ से २२ अगस्त की अवधि में प्रसारित कार्यक्रमों में माननीय अटल जी को श्रद्धांजलि, उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व, राष्ट्र को उनके दिए योगदान, उनके काव्य संसार को नियमित रूप से सम्मिलित किया गया | विभिन्न क्षेत्रों की शख्सियतों के संस्मरण को जोड़ा| तमाम प्रस्तुतकर्ताओं ने जीवन दर्शन से जुड़े विविध तथ्यों को शामिल किया, वहीं गीतों का चयन भी समयानुकूल था| है सबसे मधुर वो गीत, जिसे हम दर्द के सुर में गाते हैं...कुछ ऐसी ही अनुभूति हुई दर्द भरे, किन्तु माधुर्य से परिपूर्ण गीतों को सुनकर| जीवन को सही दिशा दिखाने वाली संदेशपरक फ़िल्मी रचनाओं अथवा भजनों का प्रसारण भी उच्च कोटि का था| आकाशवाणी हमेशा हर एक के सुख-दुःख में सहभागी रही है और बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय के सूत्र वाक्य को पूर्णतया सार्थक कर रही है| यही वजह है कि बहुत अपनापन, बहुत करीबी रिश्ता बन गया है श्रोताओं का अपने प्रिय आकाशवाणी भोपाल से| यह सिलसिला निरंतर जारी रहे...बस यही कामना है|
Source : Sanjay Shrivastava