आकाशवाणी को अपनी 29 वर्षों की मूल्यवान सेवायें देकर आकाशवाणी अल्मोड़ा केंद्र में केन्द्राध्यक्ष और सहायक केंद्र निदेशक पद पर कार्यरत डा करुणा शंकर दुबे 30 जून 2018 को सेवा से कार्यमुक्त होने जा रहे हैं |14 जून 1958 को वाराणसी में पैदा हुए डा.दुबे हिन्दी,अंग्रेज़ी,संस्कृत और पालि भाषाओं में समान रूप से विशेषज्ञता रखते हैं |अपनी विद्वता ,कार्यकुशलता और सम्मोहक व्यक्तित्व से सभी को मंत्रमुग्ध कर देने वाले डा.दुबे ने नगर पालिका विद्यालय पक्की बाज़ार वाराणसी में प्रारम्भिक शिक्षा लेकर काशी हिन्दू वि.वि.से संस्कृत तथा पालि साहित्य में एम्.ए. तथा संस्कृत में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की है |वर्ष 1981 से 1983 तक संस्कृत विभाग का.हि.वि.वि. में प्रवक्ता रहे | वर्ष 1984-85 में इन्होने पत्रकारिता की स्नातक उपाधि भी प्राप्त की है |इसी दौरान आकाशवाणी के लिए संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित अखिल भारतीय सेवा में कार्यक्रम अधिकारी पद पर इनका चयन हो गया और इन्होने 5 अगस्त 1989 को आकाशवाणी रायपुर से अपनी आकाशवाणी की सेवा यात्रा प्रारम्भ की | इस यात्रा के अनेक रोमांचक और उपलब्धियों से भरे मोड़ भी आये | 28 फरवरी 2014 को जे.टी.एस. ग्रेड में पदोन्नति पाकर इनकी नियुक्ति विज्ञापन प्रसारण सेवा आकाशवाणी कानपुर में सहायक निदेशक के रूप में हुई |
आकाशवाणी के उ.प्र. और उत्तराखंड के सभी केन्द्रों से सुचारू रूप से विज्ञापन प्रसारण और राजस्व अर्जन के अत्यंत कठिन कार्य को इन्होने अपनी दक्षता से सम्पन्न कराया |इसके लिए इन्हें महानिदेशालय और अन्य संगठनों से कई बार प्रशंसा पत्र भी मिले हैं |आकाशवाणी के चुनाव प्रसारणों में इनके नेतृत्व में जब जब चुनाव सेल बनाये गए हमेशा त्रुटिहीन प्रसारण सम्पन्न हुआ है और चुनाव आयोग तक ने इनकी प्रशंसा की है |केन्द्रों की गृह पत्रिकाओं के प्रकाशन में डा .दुबे बढ़ चढ़ कर अपना योगदान देते रहे हैं और इनके सम्पादन में प्रकाशित पत्रिकाएँ अखिल भारतीय स्तर पर पुरस्कृत भी होती रही हैं |साहित्य जगत को इन्होने दो प्रमुख पुस्तकें दी हैं -सौन्दरनन्द महाकाव्यम और वैदिक एवं पालि साहित्य का संक्षिप्त इतिहास |इसके अलावे "कल्याण", आई.सी.सी.आर.की पत्रिका "गगनांचल",सूचना भारती."सोच-विचार", "उत्तर प्रदेश"आदि विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं के लिए इनका लेखन नियमित रूप से चलता रहा है और इंटरनेट पर इनका एक नियमित ब्लॉग arglaablogspot.comके नाम से चल रहा है जो अपने गंभीर और तथ्यपरक सामग्रियों के कारण अत्यंत लोकप्रिय है ||अपनी इन्हीं बहुआयामी प्रतिभा के चलते डा.दुबे ने अपने स्वनामधन्य पिता स्व.कीर्ति शंकर दुबे की कीर्ति और माता शशि प्रभा दुबे की आभा को आकाश की उंचाइयां प्रदान की है |अर्धांगिनी के रूप में श्रीमती गीता दुबे इन्हें श्रीमद्भागवतगीता के मूल मन्त्र कर्मयोगी बनने के लिए सदैव प्रेरणा देती रही हैं |डा.दुबे के सानिध्य में आकाशवाणी लखनऊ में अपने कार्यकाल के दौरान मुझे भी निजी,कार्यालयी और सार्वजनिक जीवन बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला है |डा.दुबे ने रायपुर,ओबरा,लखनऊ,रामपुर ,कानपुर और अल्मोड़ा आदि केन्द्रों को अपनी सेवायें दी हैं |इस बारे में आकाशवाणी के से.नि. अपर महानिदेशक श्री गुलाब चंद को जब जानकारी हुई तो उन्होंने मुझसे कहा कि आकाशवाणी महानिदेशालय को डा.दुबे जैसे कर्मठ और योग्य अधिकारियों की सेवाओं को उनके रिटायरमेंट के बाद भी अनुबंध के आधार पर आगे भी जारी रखना चाहिए क्योंकि आकाशवाणी के प्रसारण की गुणवत्ता को आगे भी बनाये रखने के लिए इनका योगदान आवश्यक है |
आकाशवाणी के उ.प्र. और उत्तराखंड के सभी केन्द्रों से सुचारू रूप से विज्ञापन प्रसारण और राजस्व अर्जन के अत्यंत कठिन कार्य को इन्होने अपनी दक्षता से सम्पन्न कराया |इसके लिए इन्हें महानिदेशालय और अन्य संगठनों से कई बार प्रशंसा पत्र भी मिले हैं |आकाशवाणी के चुनाव प्रसारणों में इनके नेतृत्व में जब जब चुनाव सेल बनाये गए हमेशा त्रुटिहीन प्रसारण सम्पन्न हुआ है और चुनाव आयोग तक ने इनकी प्रशंसा की है |केन्द्रों की गृह पत्रिकाओं के प्रकाशन में डा .दुबे बढ़ चढ़ कर अपना योगदान देते रहे हैं और इनके सम्पादन में प्रकाशित पत्रिकाएँ अखिल भारतीय स्तर पर पुरस्कृत भी होती रही हैं |साहित्य जगत को इन्होने दो प्रमुख पुस्तकें दी हैं -सौन्दरनन्द महाकाव्यम और वैदिक एवं पालि साहित्य का संक्षिप्त इतिहास |इसके अलावे "कल्याण", आई.सी.सी.आर.की पत्रिका "गगनांचल",सूचना भारती."सोच-विचार", "उत्तर प्रदेश"आदि विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं के लिए इनका लेखन नियमित रूप से चलता रहा है और इंटरनेट पर इनका एक नियमित ब्लॉग arglaablogspot.comके नाम से चल रहा है जो अपने गंभीर और तथ्यपरक सामग्रियों के कारण अत्यंत लोकप्रिय है ||अपनी इन्हीं बहुआयामी प्रतिभा के चलते डा.दुबे ने अपने स्वनामधन्य पिता स्व.कीर्ति शंकर दुबे की कीर्ति और माता शशि प्रभा दुबे की आभा को आकाश की उंचाइयां प्रदान की है |अर्धांगिनी के रूप में श्रीमती गीता दुबे इन्हें श्रीमद्भागवतगीता के मूल मन्त्र कर्मयोगी बनने के लिए सदैव प्रेरणा देती रही हैं |डा.दुबे के सानिध्य में आकाशवाणी लखनऊ में अपने कार्यकाल के दौरान मुझे भी निजी,कार्यालयी और सार्वजनिक जीवन बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला है |डा.दुबे ने रायपुर,ओबरा,लखनऊ,रामपुर ,कानपुर और अल्मोड़ा आदि केन्द्रों को अपनी सेवायें दी हैं |इस बारे में आकाशवाणी के से.नि. अपर महानिदेशक श्री गुलाब चंद को जब जानकारी हुई तो उन्होंने मुझसे कहा कि आकाशवाणी महानिदेशालय को डा.दुबे जैसे कर्मठ और योग्य अधिकारियों की सेवाओं को उनके रिटायरमेंट के बाद भी अनुबंध के आधार पर आगे भी जारी रखना चाहिए क्योंकि आकाशवाणी के प्रसारण की गुणवत्ता को आगे भी बनाये रखने के लिए इनका योगदान आवश्यक है |
आशा है कि विद्वता और सम्मोहक व्यक्तित्व के धनी डा. दुबे अब आकाशवाणी की सेवा से पदमुक्त होने के बाद लखनऊ स्थित अपने आवास पर गृहस्थ जीवन में रहते हुए कुछ ज्यादा ही सामाजिक और साहित्यिक सरोकारों से जुड़ सकेंगे |प्रसार भारती परिवार अपने वरिष्ठ सहकर्मी की सेवानिवृत्ति पर उन्हें हार्दिक बधाई दे रहा है और उनके लिए शुभकामनाएं व्यक्त कर रहा है |
डा.दुबे को आप भी अपनी भावनाओं से अवगत करा सकते हैं-उनका पत्राचार का पता है-1/148,रूचि खंड,-2,शारदा नगर,लखनऊ-226002 और दूरभाष तथा मोबाइल न० क्रमशः है- 0522 -2446711 , 9453061788.इसके अतिरिक्त उनका ईमेल आईडी है kdubey306@gmail.com
प्रसार भारती परिवार उनको इस निवृत्ति पश्चात जीवन के लिए हार्दिक शुभकामनाए देती है ।
अगर कोई अपने ऑफिस से निवृत्त होने वाले कर्मचारी के बारे में कोई जानकारी ब्लॉग को भेजना चाहते है तो आप जानकारी pbparivar @gmail .com पर भेज सकते है