आकाशवाणी गोरखपुर के वरिष्ठ भोजपुरी कवि पं.रामनवल मिश्र का गत 4जून को निधन हो गया है ।उनके निधन से भोजपुरी साहित्य के सूर्य का अवसान हो गया है।पूर्व केन्द्र निदेशक एवं साहित्यकार डा.उदयभान मिश्र ने अपनी श्रद्धांजलि में कहा है-"श्री रामनवल मिश्र भोजपुरी के उन विरल कवियों में थे ,जो आधुनिकता की चकाचौंध से आतंकित नहीं थे । आजीवन वे भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कवि थे । ठेंठ गँवई जवार के वे कवि थे । वे अकेले ऐसे कवि थे जिनकी कविता में 'जाता','ओखरी','कलछुल','पगहा'जैसे ठेंठ भोजपुरी शब्दों के दर्शन होते थे । ग्रामीण संस्कृति -उसके रीति रिवाज़, शादी-मरण सभी अवसरों के गीत उनकी लेखनी से निकले हैं जो भारतीय और भोजपुरी साहित्य की अमूल्य धरोहर है । उनके चुम्बकीय व्यक्तित्व की परिधि में नवोदित और मंचीय कवियों की एक भीड़ सदा एकत्रित रहती थी । मेरा उनसे व्यक्तिगत सम्बन्ध था । मेरे परम आत्मीय मित्र हिन्दी के कालजयी साहित्यकार डॉ रामदरश मिश्र के वे बड़े भाई थे । उनके निधन से मुझे लगता है भोजपुरी के एक प्रखर सूर्य का अवसान हो गया है ।"उनके निधन पर अनेक साहित्यकारों ने शोक व्यक्त करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।साथ ही "प्रसार भारती परिवार अपनी शोक संवेदना व्यक्त कर रहा है। प्रसार भारती परिवार प्रार्थना करता है की ईश्वर उनके आत्मा को शांति दे और उनके शोकाकुल परिवार को इस संकट की घडी को सामना करने की शक्ति प्रदान करे।
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आकाशवाणी गोरखपुर के वरिष्ठ भोजपुरी कवि पं.रामनवल मिश्र का निधन ।
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