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रचना : प्रकृति पुत्र - आचार्य चन्द्रभूषण तिवारी

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आकाशवाणी लखनऊ से जुड़े एक वार्ताकार हैं आचार्य चन्द्रभूषण तिवारी ।खादी की सफेद धोती-कुर्ता या सफेद पैजामा-कुर्ता पहने ,बगल में झोला लटकाए और झोले में प्रकृति और पशु पक्षियों से सम्बन्धित साहित्य,पैम्फलेट,आडियो-विजुअल सी० डी०,कुछ छोटे पौधे और खुरपी लिए हुए ।उनके चेहरे पर हमेशा तैरती रहती है मुस्कराहट और वाणी में भरपूर मिठास ।इनका व्यक्तित्व औरों से अलग है इसलिए ये ख़ास हैं ।ये साधारण वार्ताकार नहीं हैं बल्कि प्रकृति और पर्यावरण के चलते फिरते साधक हैं ।इनके जीवन का उद्देश्य ही बन चुका है वृक्षारोपण, झुग्गी झोपड़ियों के बच्चों की शिक्षा ,प्रकृति और पर्यावरण के लिए जन चेतना संचार करना ।

पहली जुलाई 1969को देवरिया जिले के भठवा तिवारी गांव में जन्मे आचार्य चन्द्रभूषण के पिताजी श्री मिथिला बिहारी और मां श्रीमती कांति देवी हैं ।पत्नी डा० सुशीला तिवारी हैं जो लखनऊ के एक डिग्री कालेज में प्रवक्ता हैं और स्वैच्छिक रूप से घर की पूरी जिम्मेदारी संभालती हैं जिससे उनके पति समाज और प्रकृति सेवा के अपने संकल्प को पूरा कर सकें ।बेटी सृष्टि और बेटा सृजन लखनऊ में ही रहकर पढ़ रहे हैं ।आचार्य चन्द्र भूषण ने 1980 के दशक में लखनऊ विश्वविद्यालय से बी० ए०, बी० एड० और लखनऊ स्थित राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान से आचार्य की उपाधि ली ।वर्ष 1993-94में इनकी नियुक्ति केन्द्रीय विद्यालय, सम्बलपुर(उड़ीसा) में हुई ।किन्तु कुछ ही महीनों बाद इन्होंने अपने मन की पुकार सुनकर पूर्ण कालिक समाज सेवा करने का संकल्प ले लिया और वापस अपने कार्य क्षेत्र लखनऊ आ गये ।वर्ष 2006 में एक लाख पौधारोपण करने के संकल्प से इन्होंने अपनी शुरुआत की जो इस वर्ष दस लाख तक पहुंच चुकी है ।

15जुलाई से 13अगस्त 2011तक की अवधि में गोमती से गंगा तट तक की यात्रा के दौरान नैमिषारण्य तीर्थ में 88हजार ऋषियों की स्मृति में 84कोस की परिक्रमा के क्षेत्र में 88हजार पौधा लगाने व वितरण करने से इन्हें भरपूर ख्याति मिली और उ० प्र० के पूर्व राज्यपाल श्री बी० एल० जोशी ने इन्हें बुलाकर सम्मानित भी किया था ।पिछले अनेक वर्ष से लखनऊ के ग्रामीण इलाकों में ये नि: शुल्क शिक्षा केन्द्र और मोबाइल स्कूल का संचालन भी कर रहे हैं ।बी० बी० सी० लंदन ने इनके व्यक्तित्व पर केन्द्रित एक वृत्त रूपक भी पिछले दिनों टेलीकास्ट किया था ।इन्हें गाडफ्रे फिलिप ब्रेवरी पुरस्कार, अवध गौरव, श्री श्री रविशंकर द्वारा कर्मयोगी नागरिक सम्मान भी मिल चुका है ।इसी 20मई को आचार्य चन्द्रभूषण ने ब्लॉग रिपोर्टर से हुई एक मुलाक़ात में बताया है कि अब इन दिनों उनका फोकस "हरी-भरी व्रत कथा"का आयोजन करके आम लोगों में प्रकृति और पर्यावरण के प्रति अपना प्रेम बढ़ाने के लिए चल रहा है ।वे सस्वर इसके समापन में एक सम्मिलित कीर्तन भी करवाने की योजना बना रहे हैं- "आओ भइया बहना आओ, पेंड़ लगाओ पानी बचाओ, हरी भरी तुम कथा सुनो अब,हरा भरा सब कीर्तन गाओ ।"प्रसार भारती परिवार ऐसे सुयोग समाज और प्रकृति सेवक के प्रयासों की सराहना करता है और उनकी सफलता की कामना करता है ।

ब्लॉग रिपोर्ट-प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी ,लखनऊ: मोबाइल नंबर 9839229128

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