अमरनाथ यात्रियों पर आतंकवादी हमले की घटना के बाद से ऑल इंडिया रेडियो (AIR) अमरनाथ यात्रा में मुस्लिमों के सहयोग और उनकी अहमियत बताने वाले कार्यक्रम प्रसारित कर रहा है। जम्मू और कश्मीर के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में सुने जाने वाले इन कार्यक्रमों के जरिए प्यार और भरोसे के रिश्ते को कायम रखने की कोशिश की जा रही है। यह कार्यक्रम 6 भाषाओं- उर्दू, कश्मीरी, डोगरी, गोगरी, पहरी और हिंदी में प्रसारित किए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों के माध्यम से यह भी बताने की कोशिश की जा रही है कि अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकी हमले के बाद से कश्मीरियों में कितना गुस्सा है। सात अमरनाथ यात्रियों की जान लेने वाले आतंकी हमले के अगले दिन प्रसारित किए गए कार्यक्रम में यह बताया गया है कि किस तरह अमरनाथ की खोज एक मुस्लिम ने की थी और सालों से इसकी देखरेख और रखरखाव मुस्लिम ही करते आए हैं। कार्यक्रम में इस बात का भी जिक्र था कि कई स्थानीय मुस्लिम अमरनाथ यात्रियों की मेजबानी, उनके आने-जाने की व्यवस्था और अन्य गतिविधियों में शामिल रहते हैं।
AIR के एक अन्य विशेष कार्यक्रम में बताया गया कि किस तरह 20,000 मुस्लिम अमरनाथ जाने के रास्ते में यात्रियों के सहयोग के लिए काम करते हैं। इनमें वे 7000 लोग भी शामिल हैं जो अपने घोड़ों के जरिए यात्रियों को आगे तक ले जाते हैं। कार्यक्रम में ऐसे कई किस्से बताए गए जब यात्रा के दौरान खराब मौसम या कोई हादसा हो जाने के चलते यात्रियों की जान बचाने के लिए स्थानीय मुस्लिम लोग सामने आए। खास तौर पर बालटाल बेस कैंप के नजदीक ऐसे कई मामले देखे गए हैं। इन कार्यक्रमों में यह भी सुनाया गया कि किस तरह पूरे प्रदेश के मुस्लिम अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले की निंदा कर रहे हैं और इसे मानवता पर हुआ हमला मान रहे हैं। एक कार्यक्रम में बताया गया कि हर साल हजारों मुस्लिम भी इस यात्रा का हिस्सा बनते हैं और घोड़े, पालकियां और अन्य सेवाएं उपलब्ध कराते हैं। इस दौरान मुस्लिम युवा बुजुर्ग यात्रियों को चंदनवाड़ी से आगे गुफा तक पालकी में बैठाकर ले जाते हैं।
एक सीनियर अधिकारी ने कहा, 'घाटी जैसी जगह में ऑल इंडिया रेडियो को काफी सुना जाता है। कुछ जगहों पर तो न्यूज सुनने का इकलौता माध्यम यही है। हम चाहते हैं यहां शांति कायम हो और किसी घटना के बाद कुछ अप्रिय न हो।'एक तरफ गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीरियत की भावना का खुलकर तारीफ की, तो दूसरी तरफ AIR ने ऋषियत (ऋषियों का संप्रदाय) और कश्मीरी शैव सम्प्रदाय की बात की। कार्यक्रम में बताया गया कि आस्था और आध्यात्म से भरपूर इस संप्रदाय और इस्लाम के बीच कई बातें एक जैसी थीं। सभी कार्यक्रमों में इस बात पर जोर दिया गया कि इस्लाम दूसरे धर्म के लोगों पर हमले को निंदनीय मानता है। एक कार्यक्रम में कहा गया, 'जम्मू और कश्मीर में कई ऋषि हुए हैं जिन्होंने पहाड़ों पर तपस्या की है। यहां कई मुस्लिम धर्म गुरू भी हुए हैं जिन्होंने दुनिया को पाठ पढ़ाया है। दोनों की सीख में कोई फर्क नहीं है। अगर कोई इंसान किसी के धर्म को लेकर उसे निशाना बनाता है, तो दरअसल वह अपने ही धर्म को नुकसान पहुंचा रहा होता है।'
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