पता नहीं कौन-से महीने की कौन-सी तारीख़ थी। संगीत-सरिता में छाया (गांगुली) जी ने दादा मनोहारी सिंह को बुलवाया था। ये वो दिन थे जब हम मनोहारी दादा के दो इंस्ट्रूमेन्टल कैसेट्स खोज रहे थे। उनमें से एक अकबरअलीज़ में बरामद हुआ 'मिसिंग यू'जिसमें उन्होंने किशोर कुमार के गानों को अपने 'सैक्सोफोन'पर बजाया था। कितनी एनर्जी, कितना इन्टेन्स एलबम। बहरहाल... जब मनोहारी दादा को बताया कि 'मिसिंग यू'अभी अभी हासिल किया है तो उन्होंने कहा, 'अरे बाप रे, वो तो अब मेरे पास भी नहीं है'।मनोहारी दादा के पैर छुए थे। और उनसे कहा था, आप नहीं जानते कि हम आपके कितने दीवाने हैं। आपकी कला को हम सलाम करते हैं। मनोहारी दादा की आंखें नम थीं। शायद परदे के पीछे के लोगों के साथ ऐसा ही होता होगा। अद्भुत थे मनोहारी दादा।
बाद के दिनों में जब मनोहारी दादा बीमार थे, उन्हें एक लंबे इंटरव्यू के सिलसिले में फोन किया। उन्होंने थोड़ी हिचक दिखायी, पता नहीं कैसे बेसाख्ता मेरे मुंह से निकला, दादा आप नहीं आयेंगे तो मैं टेन्ट लगाकर आपके घर के सामने हड़ताल कर दूंगा। वो बहुत जोर से हंसे, मेरी इस दीवानगी ने उन्हें मना ही लिया। और फिर मनोहारी दादा अपने सैक्सोफोन और मेटल फ्लूट के साथ विविध भारती के स्टूडियो में थे। एक अद्भुत सम्मोहन था। एक शानदार यात्रा की कहानियां थीं।
जिंदगी में पता नहीं होता, कौन सा दिन यादगार बन जाने वाला है। शायद उस मौक़े की कोई तस्वीर भी नहीं। ज़ेहन मे छपी तस्वीर के अलावा। मुंबई में कई बार उन्हें बजाते देखा। अच्छा लगता है ये कहना, हम मनोहारी दादा से वाकिफ हैं।श्री. मनोहारी सिंह का जन्म कलकत्ता में ८ मार्च १९३१ में नेपाली परिवार में हुआ। उनके पिताजी और चाचा ब्रास बैंड बजाते थे। १९४२ में मनोहारी सिंह बाटा शू कंपनी के ब्रास बैंड में शामिल हुए। १९४५ में एच्. एम्. व्ही में शामिल हुए। मशहूर संगीतकार सलील चौधरी के कहने पर वह १९५८ में मुंबई आये और उन्हें संगीतकार आर. डी. बर्मन ने सेक्सोफोन बजनेका मौका दिया। आगे चलके उनके संगीतकार आर. डी. बर्मन के साथ अच्छे रिश्ते रहे। १३ जुलाई २०१० को हृदय गति रुकने से उनका निधन हुआ।
युनुस खान - उद्घोषक विविध भारती मुंबई
सातवे स्मृति दिवस पर प्रसार भारती परिवार की ओर से मनोहारी दादा को भावपूर्ण आदरांजलि।
स्त्रोत :- श्री. युनुस खानजी के फेसबुक अकाउंट से और https://www.youtube.com/watch?v=eL4Q7PHlri0