.......ये कितनी मार्मिक याद है बाबा की। कलापिनी जी ने इस बात के साथ ये दुर्लभ तस्वीर भी शेयर की है। जिसे हम साभार प्रस्तुत कर रहे हैं।
बाबा कुमार गंधर्व की दिन भर विकल याद आती रही। मध्यप्रदेश के दिनों में जिस भी शहर में रहे आकाशवाणी का हर केंद्र कुमार गंधर्व को सबेरे-शाम बजा करते थे। उनकी आवाज़ हमारे संस्कारों में बसी है। .....
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