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My Retired Life: डा0सतीश कुमार ग्रोवर:ए ब्राडकास्टर, बार्न विद सिल्वर स्पून !

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संस्कृत के प्रख्यात विद्वान,लेखक और पत्रकार डा0ऋषि देव और राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त प्रधानाध्यापिका मां श्रीमती गुणवती की संतान डा0सतीश कुमार ग्रोवर ने आकाशवाणी और दूरदर्शन में लगभग 33साल की अपनी सेवा में अनेक कीर्तिमान रचे हैं।5जनवरी 1951 को लखनऊ में जन्में डा0ग्रोवर ने लखनऊ विश्वविद्यालय से 1969 में बी0एस0सी0(केमेस्ट्री,बाटनी,जूलोजी)करने के बाद कानपुर विश्वविद्यालय से 1973 में प्लांट पैथोलाजी में बाटनी की एम0एस0सी0की डिग्री ली ।इसके बाद अपने पिता के मित्र एक शिक्षाविद के परामर्श पर वे शोध करने हेतु गोरखपुर चले गये ।यह अजीब इत्तफाक रहा कि डा0ग्रोवर जब दी0द0उ0गोरखपुर विश्वविद्यालय से वनस्पति विज्ञान में पी0एच0डी0के लिए लगभग पांच साल (1973 -78)की अवधि में गहन रुप से जुटे हुए थे और उन दिनों इनके कई शोध पत्र भी विश्व स्तरीय जर्नलों में छप रहे थे तो नियति इनके लिए कुछ और ही तय कर रही थी।गोरखपुर में रहते हुऐ शौकिया रुप में आकाशवाणी की उदघोषणा का काम जब ये कर रहे थे तो इन्हें खुद भी गुमान नहीं था कि यही मीडिया इनकी आजीविका का साधन बन जाएगी।दिसम्बर 1976 इन्होंने पहले आकस्मिक और फिर 4दिसम्बर 1978 से एक पूर्णकालिक उदघोषक के रुप में अपनी सेवाएं देते हुए डा0ग्रोवर का चयन कार्यक्रम अधिकारी पद पर हो गया और आकाशवाणी वाराणसी में इन्होंने 12जनवरी 1982को ज्वाइन किया।कुछ साल बाद लखनऊ चले गये और 24 मार्च 1991तक वहां रहते हुए अपनी सुयोग्यता के चलते इन्होंने सीधे केन्द्र निदेशक पद पर छलांग लगा दी ।25मार्च 1991को आकाशवाणी अम्बिकापुर इनका कार्यस्थल बना।

02जुलाई 1993को आकाशवाणी महानिदेशालय में निदेशक (उच्चरित शब्द) पद पर आ गये।और एक बार फिर एक नाटकीय घटनाक्रम में ये 29मार्च 1998 को पूर्वान्ह में दिल्ली से रिलीव होकर उसी दिन अपरान्ह में आकाशवाणी लखनऊ ज्वाइन कर लिए।शहर ए लखनऊ को प्रदेश का पहला एफ0एम0केन्द्र बनाने का सौजन्य इनको ही है ।इनकी ही अगुआई में वर्ष 2001में एफ0एम0केन्द्र का उदघाटन हुआ ।आज भी उसे याद करते हुए वे उसे अपना "Most loving baby at that time"मानते हैं ।इसके अलावा आकाशवाणी एनुअल एवार्ड का वह समारोह भी उन्हें अभी तक रोमांचित करता है जब पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी मुख्य अतिथि बनकर आए थे । यहां ठीक पांच साल रहकर 25मार्च2003को इन्होंने आकाशवाणी पटना ज्वाइन किया ।मीडिया के इतिहास ने यहां फिर से डा0ग्रोवर को "हीरो"बनाया और मंत्रालय ने इन्हें निदेशक के रुप में पटना आकाशवाणी और दूरदर्शन दोनों केन्द्रों को देखने के लिए कहा ।ऐसा पहली बार हुआ था इसलिए लोगों में इस बात को लेकर जिज्ञासाएं भी जगी थीं ।साहित्यकार रामबृक्ष बेनीपुरी की दो कहानियों पर इनके सुपरविजन और डाइरेक्शन में एक पेक्स द्वारा प्रस्तुत दो टेलीफिल्में बनीं थीं जो पटना दूरदर्शन और दूरदर्शन के नेशनल नेटवर्क पर प्रशंसित भी हुई थीं । 14जुलाई2006तक वहां रहकर इनको उप महानिदेशक पद पर पदोन्नति मिली और एक बार फिर लखनऊ आना हुआ, दूरदर्शन लखनऊ में । 20मई 2008तक यहां रहकर इनका स्थानान्तरण एक बार फिर दूरदर्शन महानिदेशालय में समान पद पर हुआ ।वहीं पर इनकी पदोन्नति अपर महानिदेशक पद पर हुई ।दूरदर्शन महानिदेशालय में रहकर इन्होंने डी0डी0इंडिया और डी0डी0भारती में ढेर सारे रचनात्मक फेरबदल किये जिसे सराहना मिली ।31जनवरी 2011को लगभग 33साल की अपनी प्रसारण यात्रा पूरी करते हुए डा0ग्रोवर ससम्मान रिटायर हुए ।

मुझे याद है कि आकाशवाणी गोरखपुर में डा0ग्रोवर के साथ मैनें प्राय:पहली और तीसरी सभा की सिलसिलेवार ड्यूटी की है।वे एक समर्पित अध्येता की तरह पूरी तैयारी से ड्यूटी पर आते थे।बच्चों के कार्यक्रम में उनके प्रिय भैय्या बना करते थे तो कभी उन दिनों वहां कार्यरत उस्ताद राहत अली,शुजात हुसैन खां और केवल कुमार के साथ संगीत स्टूडियो में बैठकर संगीत की बारीकियां भी सीखते थे ।उदघोषक के रुप में ख़ास तौर से फ़रमायशी फिल्मी गीत या सुगम संगीत के कार्यक्रमों में शेर आदि पढ़ते थे जो श्रोता बेहद पसंद करते थे।कुछ पूर्व जन्म का पुण्य ही कहूंगा कि डा0ग्रोवर को बैठे बिठाए हर वह चीज़ें मिलती चली गईं जिसे वे चाहते थे।शुरुआत में महानिदेशालय ने कुछ ख़ास अवधि तक कैजुअल ड्यूटी कर चुके लोगों को जब नियमित करने का मन बनाया तो डा0ग्रोवर ,मोहसिना ख़ान,अलका धूलिया और धीरा जोशी का चयन हुआ।उसी बीच उदघोषक की सीधी नियुक्ति के लिए बने पैनल में भी इनका नाम सर्वोच्च पर था। अलका धूलिया और धीरा जोशी उस बीच बाहर चली गईं थीं और उन्होंने ज्वाइन नहीं कियाकिन्तु डा0ग्रोवर ने ज्वाइन कर लिया ।इसी तरह गोरखपुर में ही काम करने के दौरान पेक्स पद पर यू0पी0एस0सी0से चयन न होने की सूचना मिल जाने के बावजूद महीनों बाद यकायक नियुक्ति पत्र का मिलना भी कुछ अचंभित कर देने जैसा रहा ।आकाशवाणी वाराणसी में काम करते हुए इनकी निकटता उस्ताद बिसमिल्ला खां साहब सहित अनेक वरिष्ठ कलाकारों से हुई।संकट मोचन संगीत समारोह हो या तुलसी घाट का ध्रुपद सम्मेलन,डा0ग्रोवर आकाशवाणी का प्रतिनिधित्व करते थे ।आकाशवाणी में काम करने के दौरान अर्चना जी से हल्की फुल्की मेल जोल में हुई मित्रता और नज़दीकियों का गृहस्थ जीवन में तब्दील होना भी उनके लिए कम रोमांचक नहीं रहा ।जब वे लखनऊ पेक्स के रुप में गये तो उनकी विषय विशेषज्ञता भी भरपूर काम आई और आकाशवाणी महानिदेशालय ने जब पहली बार "निसर्ग सम्पदा","रेडियो डेट","मानव का विकास"आदि जैसे लम्बी कड़ियों वाले सीरियल बनाए तो उस टीम में इनका मूल्यवान योगदान रहा ।ज्ञात रहे कि तम्बाकू और स्वास्थ्य विषय पर नवें विश्व सम्मेलन में पेरिस में इसी टीम के सदस्य डा0किशोर चौधरी ICMR ने Anti tobacco education activities of mass media in India शीर्षक से एक रिसर्च पेपर भी पढ़ा था ।सीरियल रेडियो डेट और उसकी टीम से जुडे़ लोग 1991 का "नेशनल मीडियाअवार्ड "पाकर सुर्खियों में रहे।इतना ही नहीं डा0ग्रोवर को आकाशवाणी और बी0बी0सी0के संयुक्त लेप्रोसी एलिमिनेशन प्रोजेक्ट से भी जुड़ने का अवसर मिला जिसे सोशल एक्शन प्रोग्रैमिंग की श्रेणी में 2001का कामनवेल्थ ब्राडकास्टिंग एशोसियेशन एवार्ड भी मिला था ।आगे चलकर एच0आई0वी0/एड्स के मास मीडिया प्रोजेक्ट में भी इनकी सहभागिता रही ।सियोल(साउथ कोरिया) श्रीलंका ,क्ववालामपुर मलयेशिया आदि देशों की आधिकारिक यात्रा पर भेजे गये ।मेरी दृष्टि में ये उपलब्धियां पृष्ठभूमि तैयार कर रही थीं डा0ग्रोवर के लिए उच्चतर पद दायित्व पर ताजपोशी की ।आगे चलकर यही हुआ भी ।पूरे भारत में कुछ ही सौभाग्यशाली लोग हैं जिन्होंने पेक्स से सीधे केन्द्र निदेशक पद पद छलांग लगाई हो ।हमें गर्व है कि हम सभी के बीच से डा0ग्रोवर भी उनमें से एक हैं ।इनकी इन्हीं उपलब्धियों के चलते इन्हें उ0प्र0के पूर्व राज्यपाल स्व0विष्णुकांत शास्त्री के हाथों विज्ञान भारती पुरस्कार,साहित्य एवं शहाफत एवार्ड मिला। भारत सरकार के डिपार्टमेंट आफ़ साइंस एन्ड टेक्नालाजी और इंडियन साइंस राइटर्स एसोशियेशन ने संयुक्त रुप से इन्हें 2001 में विज्ञान विषयक लेखन हेतु आनरेरी फेलोशिप प्रदान किया है।

डा0ग्रोवर रिटायरमेंट के बाद कुछ दिनों तक ज्ञानवाणी से भी जुड़े रहे।इनकी दो संतान हैं ।बिटिया शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी हैं और शौकिया गायिका भी हैं।बेटा यू0एस0की पुर्ड्यू यूनिवर्सिटी से कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट की डिग्री लेकर वहीं नौकरी कर रहा है ।वे स्वयं इन दिनों लखनऊ में अपने निजी आवास में रहते हुए अपना जीवन अध्ययन-मनन और आर्ट आफ़ लिविंग के सत्संगों में बिता रहे हैं।वे फेसबुक पर भी सक्रिय रहते हैं और उनसे फोन पर भी बातें की जा सकती हैं।उनका मोबाइल न0है 9415048888 और ईमेल आइ0डी0हैskgroverddg@gmail.comवे अपने संगी साथियों को हमेशा याद करते हैं और आज भी वे जब भी मुझसे मिलते हैं उनका दोस्ताना व्यवहार मुझे चमत्कृत कर देता है।गोरखपुर चूंकि उनके जीवन की उपलब्धियों का लांचिंग पैड रहा है इसलिए वे अब भी उसे और वहां के लोगों को संजीदगी से याद करते हैं।कुल मिलाकर अगर मुझे उनको सीमित शब्दों में सम्बोधन करना हो तो इतना ही कहूंगा - "डा0सतीश कुमार ग्रोवर,ए ब्राडकास्टर बार्न विद सिल्वर स्पून ।"प्रसार भारती परिवार उनके सपरिवार सुखमय जीवन की शुभकामनाएं व्यक्त कर रहा है ।

ब्लाग रिपोर्ट-प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी,सेवा निवृत्त कार्यक्रम अधिकारी,आकाशवाणी,लखनऊ ।मोबाइल नं09839229128

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