समन्वित भारतीय संगीत के महासागर में बीसवीं सदी को इसके सर्वतोमुखी विकास की सदी मानी जा सकती है ।पंडित विष्णु नारायण भातखंडे ने भातखंडे संगीत शास्त्र के माध्यम से पुराने राग ग्रन्थों में निरूपित राग स्वरूपों का नीर क्षीर विवेक सिद्धांत पर मूल्यांकन करते हुए उसे आधुनिक सन्दर्भों में परिष्कृत रूप में प्रस्तुत किया था ।आचार्य बृहस्पति ने महर्षि भरत द्वारा निर्दिष्ट श्रुति, स्वर, ग्राम और मूर्छना पद्धति का सप्रयोग स्पष्ट करके संगीत जगत की अविस्मरणीय सेवा की ।ठाकुर जयदेव सिंह सहित कुछ अन्य भारतीय और विदेशी विद्वानों ने संगीत शास्त्र के सिद्धांत और क्रियापक्ष को परिष्कृत रूप उपस्थित किया ।आकाशवाणी गोरखपुर और उससे पहले लखनऊ केन्द्र से जुड़े मान्यताप्राप्त सितार वादक कलाकार और संगीतशास्त्र के विशेषज्ञ पं० देवेन्द्र नाथ शुक्ल ने लगभग 50वर्षों की गहन साधना करने के बाद मोक्षमूलक संगीत के आध्यात्मिक विवेचन को अपनी "राग जिज्ञासा"नामक पुस्तक में एक नये और रुचिकर रूप में प्रस्तुत किया है जिसे पिछले दिनों वाराणसी के विश्वविद्यालय प्रकाशन ने प्रकाशित किया है ।


इस पुस्तक के बहाने आज पं० देवेन्द्र नाथ शुक्ल की यादें ताजी हो उठी है ।आकाशवाणी गोरखपुर केन्द्र अभी नया नया अस्तित्व में आया था और अच्छे कार्यक्रमों का अभाव था कि तत्कालीन निदेशक इन्द्रकृष्ण गुर्टू ने 1975-76में आधे घन्टे अवधि और 11एपिसोड का"पुरानी यादें"नामक कार्यक्रम प्रस्तुत करने का अवसर दिया जिसमें लगभग एक सौ वर्ष के गायन वादन की सव्याख्या सोदाहरण प्रस्तुति ने संगीतप्रेमी श्रोताओं को चमत्कृत कर दिया था ।अपनी गोरखपुर में नियुक्ति के दौरान मैं भी उनके बेहद करीब आ गया था ।बेतियाहाता के अपने निजी आवास के एक भव्य हाल में उनकी नियमित संगीत साधना चलती रहती थी ।इतना ही नहीं प्रतिभाशाली शुक्ल जी की साहित्य और संस्कृति की शोधात्मक रुचि थी और उन्होंने दो अन्य शोधपूर्ण पुस्तकें भी लिखीं हैं -"एक संस्कृति: एक इतिहास"और "ब्राह्मण समाज का ऐतिहासिक अनुशीलन"जिसे उ० प्र० सरकार के हिन्दी संस्थान ने पुरस्कृत भी किया था ।पं० देवेन्द्र नाथ शुक्ल का निधन 17दिसम्बर 2006 को गोरखपुर में हो गया था किन्तु अपने संगीत औय साहित्य प्रेम के चलते वे हमेशा स्मृतियों में रचे बसे हुए हैं ।प्रसार भारती परिवार की ओर से संगीत के क्षेत्र में उनके इस अविस्मरणीय योगदान की सराहना की जाती है ।
ब्लॉग रिपोर्ट-प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी, लखनऊ; मोबाइल नंबर 9839229128