2अक्टूबर को आकाशवाणी गोरखपुर अपना 48वां स्थापना दिवस मना रहा है। बिना किसी औपचारिक आयोजन के आकाशवाणी गोरखपुर की प्रसारण सेवा 02 अक्टूबर 1972 को आरंभ हुई थी। टाउनहाल गोरखपुर का वह छोर जो बरसों से खंडहर पड़ा था उस दिन यकायक गुलजार हो उठा था।इसे सौभाग्य कहें या दुर्भाग्य कि इसके प्रसारण की शुरुआत जब हुई तो उस समय कोई औपचारिक आयोजन नहीं हो सका था । महराजगंज रोड पर भटहट में एक सौ किलोवाट के मध्यम तरंग ट्रांसमीटर से श्री पी.एस.भगत, इंस्टालेशन इंजीनियर और श्री पी.के.बंसल , ए.एस.ई. की तकनीकी देखरेख में प्रायोगिक आंशिक प्रसारण कुछ दिन पहले से ही आरंभ हो चुका था।
मुझे याद है कि सुश्री संतोष धर और श्री नवनीत मिश्र की रिकार्डेड आवाज़ टेस्टिंग के रुप में गूंजती थी ।शुरुआती दौर में स्व.आई.के.गुर्टू केन्द्र निदेशक, कार्यक्रम अनुभाग के अगुआ थे और प्रथम उदघोषणा आकाशवाणी लखनऊ से आए वरिष्ठ उदघोषक स्व. अरुण श्रीवास्तव ने की थी। शुरु में तीसरी सभा की "युववाणी"एयर पर आई और फिर क्रमश: तीनों सभाओं का प्रसारण चलने लगा।
मैं मूलत:गोरखपुर का हूं और उन दिनों वहीं विश्वविद्यालय में विधि का छात्र था ।अपनी साहित्यिक अभिरुचियों के चलते इस नवागत केन्द्र से जुड़ने को उत्सुक रहा करता था । मेरा भी सपना सच हुआ और इस केन्द्र पर 1977से 2003तक मैनें प्रसारण अधिशासी और कार्यक्रम अधिकारी के रुप में अपनी सेवाएं दीं हैं।ढेर सारे प्रसंग और यादों की बारात अब तक संग साथ चल रहे हैं ।चाहे वह आपातकाल में लाइव स्टूडियो में घुसकर इंदिरा गांधी जिन्दाबाद नारे लगाने की कुछ युवा कांग्रेसियों की असफल कोशिश का प्रसंग हो या भोजपुरी बुलेटिन शुरु करने के लिए चले धरना ,घेराव या प्रदर्शन की सिलसिलेवार कड़ी ।तीन- तीन दिनों तक बरसों इस केन्द्र पर सिलसिलेवार चले कंसर्ट तो अब मानों सपना ही हो गया है।उन दिनों कंसर्ट के कार्ड के लिए दबाब बना करता था ।वे दिन ,वे लमहे कुछ और ही हुआ करते थे जब अकेले उस्ताद राहत अली और ऊषा टंडन की जोड़ी संगीत आयोजनों के सिलसिले में भारत परिक्रमा करते हुए आकाशवाणी गोरखपुर का परचम लहराया करती थी ।
वैसे आज भी अपने संस्कारी परंपरागत लोकगीतों, (पूर्वी, दादरा, नकटा, निर्गुण, कहरवा,नगारी, धोबीउहवा, चैता, फाग, सावनी, बिरहा,बसंती, आदि),और लोकनृत्यों (फरुवाई, धोबीउहवा,बिदेसिया,हुड़का, आदि) तथा टेराकोटा हस्तशिल्पकारी से यह इलाका समृद्ध है ।किन्तु अपेक्षित रुप से राष्ट्रीय स्तर पर इसका प्रचार प्रसार अभी तक नही हो पा रहा है ।आकाशवाणी गोरखपुर से प्रादेशिक समाचार एकांश पहली सभा में नियमित स्टाफ की कमी के बावज़ूद सफलतापूर्वक प्रात: 7-20से 7-30तक बुलेटिन प्रसारित करता जा रहा है और शाम को भोजपुरी में भी पांच मिनट की बुलेटिन प्रसारित हो रही है।एफ.एम.पर विविध भारती का प्रसारण हो रहा है।इसके ट्रांसमीटर से कुछेक प्राइवेट एफ.एम.चैनल भी शहर की फ़िजा में इन्टरटेनमेंट का तड़का लगा रहे हैं।
जैसा कि सभी जानते हैं आकाशवाणी गोरखपुर से ढेर सारी विभूतियाँ जुड़ी रही हैं।पं.विद्यानिवास मिश्र,मोती.बी.ए.,धरीक्षण मिश्र,उस्ताद राहत अली,ऊषा टंडन,मालिनी अवस्थी, केवल कुमार, मैनावती देवी,डा.उदयभान मिश्र आदि ।यहां के स्टूडियो में कैफ़ी आजमी,फिराक़ गोरखपुरी,आदि पधार चुके हैं। धूप छांव सरीखे अपनी विकास यात्रा पर चल रहे इस केन्द्र से अभी भी श्रोताओं की ढेर सारी उम्मीदें जुड़ी हैं।इन बूढ़ी होती आंखों ने इस केन्द्र का स्वर्णिम अतीत देखा है ।श्रोतागण अब प्रौढ़ावस्था में पहुंचे इस केन्द्र से कुछ चमत्कार की आशा संजोए हुए हैं।अच्छा या बुरा इस केन्द्र ने अपनी शानदार प्रसारण यात्रा के 48वर्ष पूरे कर लिये हैं।ढेर सारे लोग इससे जुड़े रहे हैं।श्रोताओं ने इसे अपना भरपूर प्यार भी दिया है।पहले सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और अब प्रसार भारती के नियंत्रण में यह केन्द्र काम कर रहा है।
तकनीकी, प्रशासन और कार्यक्रम अनुभाग में बेहतर समन्वय है और वे अपना सर्वश्रेष्ठ परफार्मेंस दे रहे हैं।कुछ दिक्कतें भी हैं जैसे ट्रांसमीटर का पुराना होना जिसके चलते प्रसारण की गुणवत्ता प्रभावित होना , अपना आने जाने के स्वतंत्र रास्ते का ना होना,स्टाफ और बजट की कमी का होना आदि ।लेकिन हिम्मत और हौसलों से इन पर भी राह निकाल लेने की कोशिशें चल रही हैं ।सूबे के मुख्यमंत्री इसी शहर से हैं और आकाशवाणी से उनका गहरा लगाव भी रहा है इसलिए शहरवासियों को यह उम्मीद है कि उन्नत तकनीकी विकास का लाभ इस केन्द्र को भी मिल सकेगा जिससे इसकी प्रसारण पहुंच और गुणवत्ता पहले की तरह हो जाय ।
प्रसार भारती परिवार आकाशवाणी गोरखपुर को इसके अड़तालीसवें स्थापना दिवस पर अपनी शुभकामनाएं दे रहा है।
द्वारा योगदान :-श्री प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी,पूर्व कार्यक्रम अधिकारी,आकाशवाणी,लखनऊ।