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आकाशवाणी गोरखपुर को याद है पं. जसराज के सुरोंसे भरी संगीतमय शाम। ।

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पंडितजसराजकेशास्त्रीयगायनसेदोबारसजीथीगोरखपुरकीशामऔरवेआकाशवाणीकेभीबनेथेमेहमान साठऔरनब्बेकेदशकमेंपंडितजसराजकेशास्त्रीयसुरगोरखपुरकीफिजाओंमेंभीमहकेथे।सोमवारकोजबमेवातीघरानेकीपहचानऔरदेशकेशास्त्रीयगायनकीशानपद्मविभूषणपंडितजसराजकेनिधनकीखबरआयीतोशहरकेसंगीतप्रेमियोंकेबीचशोककीलहरदौड़गई।
पंडितजसराजकेनामगोरखपुरमेंदोअहमऔरयादगारसंगीतकीशामजुड़ीहुईहैं।1960 मेंपंडितजसराजपहलीबारगोरखपुरकेमेहमानबनेथे।पूर्वोत्तररेलवेकेतीनदिवसीयसंगीतसम्मेलनकीएकशामपंडितजसराजकेनामथी।रेलवेस्टेडियममेंयादगारशामसजीथी।उनकेसाथतानपुरेपरसंगतकरनेकेलिएगोरखपुरकेदोयुवापंडितशरदमणित्रिपाठीऔरविपिनबिहारीशुक्लथे।
पं. शरदमणिनेउसआयोजनकोयादकरतेहुएबतायाकि, ‘पंडितजसराजकेसाथसंगतकरनेकोलेकरथोड़ासंकोचथा।लेकिनपंडितजसराजनेकार्यक्रमसेपहलेहीमाहौलहल्काकरदियाऔरआत्मविश्वासजगादिया।हमलोगोंकेसाथकार्यक्रमसेपहलेग्रीनरूममेंआधेघंटेतकतानपुरेकीट्यूनिगकियेमंचपरपहुंचेतोठण्डीहवाकेझोकेनेतानपुरेकीसारीट्यूनिंगबिगाड़दीक्योंकिहवासेतानपुरेकेतारोंपरअसरपड़ताहै।हालांकिवोआधाघंटाभीहजारोंदर्शकोंनेसिर्फपंडितजसराजकोदेखते-देखतेहीगुजारदिया।इसकेबादपंडितजीनेरागदरबारीकान्हड़ाकीप्रस्तुतिदी।जिसेलोगबससुनतेरहे।’ 
नब्बेकेदशकएकबारफिरआकाशवाणीकेआयोजनमेंपंडितजसराजकाआनाहुआऔरयहांभीउनकेसाथतानपुरेपरशरदमणित्रिपाठीऔरतबलेपरआकाशवाणीकेप्रेमशंकरकोसंगतकरनेकाअवसरमिला।उनकेसाथउनकीशिष्याश्वेताझावेरीभीथीं।शरदमणिनेबतायाकिआकाशवाणीमेंपंडितजसराजनेरागविहागकेसाथहीहवेलीसंगीतकीविशेषरचनाओंकेसाथअड़ानामेंमातामहाकालीकीप्रसिद्धबंदिशगोरखपुरकेनामकी।
जबस्वरमंडलसेदिखायीभक्ति :शरदमणित्रिपाठीनेबतायाकिप्रयोगधर्मीसंगीतकारपंडितजसराजभगवानकृष्णकेभक्तहोनेकेसाथहीसंगीतकीभक्तिकरतेथे।प्रस्तुतिसेपहलेअपनास्वरमंडलखोलकरनमनकरतेथे।बड़े-बड़ेसूफी, संतोंसेमिलेमोती, मालाकोएकछोटेसीसंदूकमेंरखतेथेऔरप्रस्तुतिसेपहलेउन्हेंअपनेमाथेसेलगातेथे।शरदमणिनेबतायाकिआकाशवाणीमेंप्रस्तुतिकेबादवहमेरेपिताऔरवयोवृद्धसंगीतज्ञपंडितरामनारायणमणित्रिपाठीसरसरंगसेमिले।पितानेकुछरचनाएंपंडितजसराजकोसुनायीतोपंडितजसराजनेनतमस्तकहोतेहुएपिताजीकेपैरछूकरआशीर्वादलिया। 
नहींभूलसकताउनकीशाबाशी : आकाशवाणीमेंहुएपंडितजसराजकेकार्यक्रमकासंचालनउद्घोषकसर्वेशदुबेनेकियाथा।सर्वेशदुबेनेबतायाकिहल्कीसर्दीमेंसन् 1990 मेंकार्यक्रमथा।एकदिनपहलेहीपंडितजसराजगएथे।परम्पराकेअनुरूपसंचालकहोनेकीहैसियतसेउनसेमिलनेगया।उन्होंनेएहसासहीनहींहोनेदियाकिवहइतनीबड़ीशख्सियतहैं।उन्होंनेअपनीकुछरचनाएंबताईंऔरकहाकिआगेमाहौलपरनिर्भरकरेगीउनकीगायिकी।वहमंचकेपीछेथेऔरमैंनेसंचालनशुरूकरदिया।जबवहमंचपरआएतोसबसेपहलेमुझेगलेलगा  लिएऔरउन्होंनेमंचसेकहाकिइसकीजुबानमेंसरस्वतीविराजमानहैं।बेटाबहुतआगेजाओगे।उनकीयेशाबाशीआजभीमेरेकानोंमेंगूंजतीहै।
स्त्रोत-हिन्दुस्तान(गोरखपुर)
द्वारायोगदान :- प्रफुल्लकुमारत्रिपाठी, लखनऊ।



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