सहरसा में मात्र 55 प्रतिशत साक्षरता है, वहीं डिजिटल साक्षरता इससे भी काफी कम, लेकिन डॉ० शैलजा ने इन बाधाओं के बाद भी ज्यादा से ज्यादा ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं की मदद पहुंचाई
‘एक आशावादी व्यक्ति हर मुश्किल में भी अवसर देखता है’, सर विंस्टन चर्चिल [1874-1965] के इस उद्धरण को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की अधिकारी डॉ. शैलजा शर्मा ने सही साबित किया है, जिन्हें इसी वर्ष 8 फरवरी 2020 को मुम्बई में ई-गवर्नेंस के 23 वें राष्ट्रीय सम्मेलन में जिला स्तर पर ई-गवर्नेंस की अनूठी पहल के लिए सम्मानित किया गया था।
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग भारत सरकार, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर वर्ष 1997 से प्रत्येक वर्ष ई-गवर्नेंस पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करता है और इस सम्मेलन मे ई-गवर्नेंस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिये जाते हैं | यह पुरस्कार ई-गवर्नेंस के सार्थक पहल के कार्यान्वयन के क्षेत्र में उत्कृष्टता को बढ़ावा देता है।
ई– गवर्नेंस सम्मेलन में सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, केंद्र सरकार के आईटी प्रबंधक विशेषज्ञों, उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के बुद्धिजीवियों आदि को विभिन्न ई-शासन के मुद्दों पर चर्चा करने, विचारों और अनुभवों को आदान-प्रदान करने के लिए मंच प्रदान करता है। साथ ही यह डिजिटल सेवाओं की समस्याओं को सुलझाने, जोखिमों को कम करने तथा प्रशासन मे ई-गवर्नेंस को लागू करने के प्रभावी तरीकों का प्रसार करने में मदद करता है।
ई-गवर्नेंस की एक ऐसी ही पहल बिहार के बाढ़ एवं पलायन प्रभावित जिले, सहरसा में की गई है, जिसे देश में मॉडल की तौर पर देखा जा रहा है। इस प्रशासनिक कदम ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है और पूरे बिहार राज्य के लिए प्रशंसा प्राप्त की है।
बाढ़ प्रभावित सहरसा जिले में चुनौतियों एवं कठिनाइयों के बीच ई-गवर्नेंस की पहल “प्रशासन, ब्लॉक से पंचायत भवन तक” की शुरूआत तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ. शैलजा शर्मा ने की थी। ई-गवर्नेंस की इस पहल को समझने के लिए हमें बिहार के बाढ़ प्रभावित सहरसा जिले की पृष्ठभूमि को समझना होगा।
मूल रूप से, सहरसा जिला बिहार राज्य के पूर्वी भाग में स्थित है, यह इलाका कोसी नदी के दो तटबंधों के बीच फैला हुआ है। कोसी नदी हर साल अपनी धारा को बदलने की प्रवृत्ति रखती है और इसके कारण इन क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहता है।
आर्थिक रूप से, सहरसा की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर है। बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर हैं, जो मजदूरी के लिए अन्य राज्यों में पलायन करते हैं। जिले में वर्तमान में 55 प्रतिशत साक्षरता है और डिजिटल साक्षरता और भी कम है। ऐसी स्थिति में जिला प्रशासन पर एक बड़ी जिम्मेदारी है कि वह कृषि आधारित मजदूरों के पलायन को रोके, सरकारी योजनाओं का लाभ पारदर्शी तरीके से लोगों को प्रदान करे, योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता लाये, स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थिति को बेहतर बनाये।
सहरसा जिले के तटबंधों पर बसे लोगों के लिए आज भी ब्लॉक तक आने-जाने के लिए नौका ही एक मात्र साधन है। प्रतिदिन ब्लॉक तक आना उनके लिए बहुत ही कठिन है ऐसी परिस्थिति में पंचायत भवन से ही राज्य एवं केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ मिलना जिला प्रशासन के लिए एक चुनौती पूर्ण काम था।
इस समस्या के निदान के लिये तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ. शैलजा शर्मा ने तटबंधों एवं अन्य स्थानों में “प्रशासन आपके द्वार” कार्यक्रम चलाया। जिसके तहत ई-गवर्नेंस की अनूठी पहल “प्रशासन, ब्लॉक से पंचायत भवन तक” नाम से एक पहल की शुरूआत की। इस पहल से लोगों को सरकारी योजनाओं का समुचित लाभ मिलने लगा।
मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से योजनाओ की समीक्षा करना
ई-गवर्नेंस की अनूठी पारदर्शी प्रणाली के तहत जाति, आवास, आय, जन्म, मृत्यु प्रमाण पत्र, विभिन्न प्रकार की सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना, राशन कार्ड, ऑनलाइन म्यूटेशन, एलपीसी आदि प्रमुखता से प्रदान किए जा रहे हैं। वर्ष 2018 जहां 3,84,726 लोग लाभान्वित हुए हैं वही इस ई-शासन प्रणाली के साथ, वर्ष 2019 में 460657 लोगों की सेवा की गई है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक है।
इसके अलावा, ई-गवर्नेंस की पहल राइट टू पब्लिक सर्विसेस (आरटीपीएस) के माध्यम से प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना के तहत, लगभग 100 प्रतिशत गर्भवती माताओं को लाभान्वित किया गया है और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) में, लगभग 32 प्रतिशत लक्षित परिवारों को 02 महीने के छोटे समय में स्वर्ण कार्ड दिए गए हैं। केवल इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट स्कीम के तहत, सामान्य एप्लिकेशन सॉफ़्टवेयर के माध्यम से, घरों का 68 प्रतिशत सर्वेक्षण 02 महीनों में पूरा किया गया है। चूंकि इस जिले का एक बड़ा हिस्सा हर साल बाढ़ से प्रभावित होता है, पिछले साल की बाढ़ में, 60,000 परिवारों को उनके ऑनलाइन आवेदन प्राप्त करके तत्काल राहत प्रदान की गई है। इसके अलावा जिले में उपलब्ध मानव संसाधनों के समुचित उपयोग से जिले की सभी पंचायतों में यह ई-गवर्नेंस प्रणाली लागू की गई है। जिला स्तर पर निगरानी के लिए मोबाइल एप्लिकेशन ‘होप’ के माध्यम से हर दिन पंचायतों में किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की जाती है।
ई-गवर्नेंस के इस अनूठी पहल से सहरसा जिले के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को लाभ मिलने लगा है। डॉ. शैलजा शर्मा ने अपने कार्यकाल के दौरान सहरसा जिला के प्रत्येक पंचायत को स्मार्ट पंचायत बनाने की कोशिश की थी, आज भले ही उनका तबादला हो गया है लेकिन सहरसा के लोग उन्हें उनकी इस अनूठी पहल के लिए याद करते हैं।
स्रोत :द बेटर इंडिया