रचनात्मक व्यक्तित्व के धनी लोग हमेशा सृजन में संलग्न रहते हैं ।उनकी उम्र अथवा बीमारी उनके जोश को बाधित नहीं कर पाती है।वे हर हाल में अपने योगदान सेअपने संगठन, समाज और साहित्य से जुड़े रहना चाहते हैं ।आकाशवाणी में अपर महानिदेशक पद से वर्ष 2013में सेवानिवृत्त हुए श्री गुलाब चंद पर भी यह बात लागू है ।अपनी सेवाकाल के दिनों में जयपुर की पोस्टिंग के दौरान यद्यपि उन्हें आंशिक पक्षाघात की यंत्रणा से गुजरना पड़ा था किन्तु अपनी जिजीविषा के बल पर वे न सिर्फ उससे उबरे बल्कि दुगुनी गति से वे अपने रचना कर्म में जुट गये ।आज भी वे हर क्षण नित नवीन परिकल्पनाओं को मूर्त रुप देने में लगे रहते हैं ।कुछ -कुछ अंतराल पर जब भी वे मुझसे मिलते हैं, कुछ नयेपन के साथ मिलते हैं और मैं उनकी इस जिजीविषा पर हतप्रभ हो जाता हूं ।"सौर तापीय ऊर्जा","बिखरे मोती,""डा0अम्बेडकर का स्त्री विमर्श","मैं तुम्हारा कौन हूं "आदि पुस्तकों के क्रम में डा0आरती स्मित के साथ मिलकर उन्होंने पिछले दिनों "पगध्वनि"नामक कविता संग्रह का संपादन किया है ।साहित्यायन प्रकाशन,ग्रेटर नोयडा से प्रकाशित यह पुस्तक नयनाभिराम तो है ही सुंदर एवं भावपूर्ण काव्य रचनाओं से भी लबरेज है ।बाहर और अंदर की तमाम नैराश्यपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद इन कविताओं में आशा का भाव है जो पाठकों को आगे बढ़ने को प्रेरित करता है ।इसमें अनामिका,अनिता कपूर,अनिता ललित,अलका सिन्हा,अर्चना गुप्ता,अर्चना वर्मा,आरती स्मित,इरोम चानु शर्मिला,उर्मिल सत्यभूषण,कमल कुमार,कमला निखुर्पा,करुणा पांडेय,जेन्नी शबनम,ज्योत्सना प्रदीप,ज्योत्सना शर्मा,दिव्या माथुर,भावना कुंवर,भावना शुक्ला,ममता किरण,रचना श्रीवास्तव,रमणिका गुप्ता,सीमा मल्होत्रा,सुदर्शन रत्नाकर,सुधा ओम ढींगरा,सुधा गुप्ता,स्नेह सुधा नवल,सुशीला श्योराण,हरदीप कौर संधू आदि कवियत्रियों की रचनाएं हैं ।संग्रह के सह संपादन की भूमिका का निर्वहन करते हुए आरती स्मित का गुलाब चंद जी के बारे में यह कहना कि "उनकी यही सरलता और सहजता उन्हें भीड़ से अलग करती है "एकदम सच की अभिव्यक्ति है ।प्रसार भारती परिवार को अपने इन पुरोधाओं पर नाज़ है ।
ब्लाग रिपोर्टर :- श्री. प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी,लखनऊ;मोबाइल नं09839229128 darshgrandpa@gmail.com