आपने अक्सर सुना होगा या फिल्मों में देखा होगा कि संदेश भेजने के लिए रेडियो का इस्तेमाल किया जाता है। सेनाएं भी बात करने के लिए रेडियो का इस्तेमाल करती हैं जिस पर टैंगो-चार्ली, ओवर-ओवर करके बात होती है। कभी सोचा है कि ये कौन से रेडियो होते हैं? क्योंकि आप जिस रेडियो के बारे में जानते हैं वो तो बड़ा सा फिलिप्स का रेडियो होता था जिसे बचपन में घंटों आप छत पर लेकर इधर उधर घुमाया करते थे कि कहीं तो सिग्नल पकड़े और आप सदाबहार नगमों का आनंद ले पाएं। लेकिन उस रेडियो के भीतर से तो एक ही व्यक्ति बोलता है और सभी उसे सुनते हैं। तो फिर वो कौन सा रेडियो जिस पर बात भी होती है? उस रेडियो को कहते हैं हैम रेडियो। संचार का बेहद सशक्त माध्यम होने के बावजूद हैम रेडियो के बारे में न तो लोग पहले जानते थे और न आज जानते हैं।
क्या है हैम रेडियो ?
आमतौर पर हैम रेडियो का इस्तेमाल उस वक्त किया जाता है जब संचार के सारे माध्यम ठप्प पड़ जाते हैं। किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा में समय सबसे पहले फोन और इंटरनेट बाधित होते हैं। ऐसे समय में हैम रेडियो के माध्यम से ही सूचनाएं पहुंचाई जाती हैं। हैम रेडियो से सीधे तरंगो के माध्यम से संदेश एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाया जाता है इसलिए इसके बाधित होने का सवाल ही नहीं पैदा होता। आपदा प्रबंधन और सेनाएं भी इसका इस्तेमाल करती हैं। इसकी खास बात ये भी है कि इससे आप दुनिया भर में कहीं भी फ्री में बात कर सकते हैं यहां तक कि स्पेस स्टेशन में अंतरिक्ष यात्रियों से भी। इसके लिए बस शर्त इतनी है कि सामने वाले व्यक्ति के पास भी हैम रेडियो सेट होना चाहिए। आज कई लोग इसका इस्तेमाल शौक के तौर पर भी करते हैं। जो लोग हैम रेडियो ऑपरेट करते हैं उन्हें हैम कहते हैं।
कैसे पड़ा नाम हैम ?
हैम (HAM) रेडियो का नाम इसके तीन अविष्कारकों हर्ट्ज, आर्मस्ट्रांग और मार्कोनी के नाम पर पड़ा है। क्योंकि इसका उद्देश्य मुसीबत के समय सहायता करना भी है इसलिए इसे Help All Mankind भी कहा जाता है।
कौन बन सकता है हैम रेडियो ऑपरेटर?
दुनिया के लगभग सभी देशों में हैम रेडियो ऑपरेट करने के लिए अलग-अलग पात्रताएं हैं। इसके लिए आपको देश की सरकार की ओर से हैम रेडियो ऑपरेट करने का लाइसेंस दिया जाता है। भारत में 12 या उससे अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति हैम रेडियो ऑपरेटर बन सकता है। देश के लगभग सभी राज्यों में हैम रेडियो क्लब हैं। इन क्लब पर जाकर हैम रेडियो की परीक्षा के लिए आवेदन किया जा सकता है। इसके लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय का टेली कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट एक परीक्षा लेता है। इस परीक्षा में पास होने के लिए आपको बेसिक इलेक्ट्रॉनिक्स का ज्ञान होना जरूरी है। परीक्षा में पास होने के बाद आपकी पुलिस जांच की जाती है और सब कुछ सही पाये जाने पर आपको लाइसेंस दे दिया जाता है। परीक्षा और लाइसेंस के लिए एक मामूली सी फीस होती है जिसे आपको चुकाना होता है। इसके अलावा आपको लाइसेंस पर एक स्पेशल कॉल साइन भी दिया जाता है।
क्या है कॉल साइन?
कॉल साइन एक तरीके से आपका एक विशेष नाम होता है जिससे आप हैम कम्युनिटी में जाने जाते हैं। इस कॉल साइन को आपको हैम रेडियो पर दूसरे हैम से बात करते वक्त बताना होता है। भारत में दो तरह के कॉल साइन दिए जाते हैं। जिसमें जनरल ग्रेड के लाइसेंस पर VU2 और रिस्ट्रिक्टिड ग्रेड के लाइसेंस पर VU3 प्रिफिक्स वाला कॉल साइन दिया जाता है। जनरल ग्रेड के लाइसेंस के लिए बेसिक इलेक्ट्रॉनिक्स के अलावा एक और परीक्षा देनी होती है जिसमें आपको मोर्स कोड से मैसेज को 8 शब्द प्रतिमिनट के हिसाब से भेजना और ग्रहण करना आना चाहिए।
हैम रेडियो कैसे काम करता है?
हैम रेडियो को चलाने के लिए आपको मामूली से पावर बैकअप की जरूरत होती है इसे आप कार की बैटरी से भी ऑन कर सकते हैं। इसके बाद इसका एंटीना सेट करना होता है। आम रेडियो की तरह ही ये भी रेडियो तरंगों के माध्यम से काम करता है। यहां आप एक निश्चित फ्रिक्वेंसी पर कोई संदेश किसी को माइक्रोफोन से बोलकर या मोर्स कोड से भेजते हैं तो दूसरी तरफ बैठे व्यक्ति को वो मिल जाता है। हैम रेडियो एक वन टू वन कम्युनिकेशन सिस्टम है इसमें एक बार में आप एक ही व्यक्ति से बात करते हैं। जब आप बोल रहे होते हैं तो सामने वाला सिर्फ सुन रहा होता है जब वो बोल रहा होता है तब आप सिर्फ सुन रहे होते हैं। इसलिए बात खत्म करने से पहले ओवर बोला जाता है। इसका मतलब होता है कि सामने वाला अपनी बात खत्म कर चुका है अब उसकी बारी है।
कब कब हुआ हैम रेडियो का इस्तेमाल?
लगभग हर आपदा के समय हैम रेडियो का इस्तेमाल सूचनाएं पहुंचाने में होता आया है। हाल ही में 2015 नेपाल भूकंप और 2016 में उत्तराखंड आई बाढ़ के समय लोगों को मदद पहुंचाने से लेकर उनके परिजनों से हैम रेडियो के जरिए बात करवाई गई थी। इतना ही नहीं 2004 में आई सुनामी के लिए सबसे पहले अलर्ट हैम रेडियो से ही दिया गया था। तभी सरकार ने आसपास के इलाकों को समय रहते काफी हद तक खाली करवा लिया था और काफी नुकसान होने से बच गया था।
एक बेहद संवेदनशील माध्यम
हैम रेडियो पर बड़ी आसानी से आप दुनिया में बैठे किसी भी व्यक्ति से बात कर सकते हैं। इससे आतंकवादी और देश विरोधी घटनाएं होने का डर हर समय बना रहता है। यही वजह है कि इसका लाइसेंस देने से पहले सरकार कड़ी जांच प्रक्रिया अपनाती है। साथ ही इस पर बात करने के लिए कई हिदायतें भी हैं जिनमें आप किसी से अभद्र भाषा या कूट भाषा (सीक्रेट लैंग्वेज) में बात नहीं कर सकते, किसी दूसरे व्यक्ति का मैसेज पास नहीं किया जा सकता है। चूंकि इसका उपयोग मानव जाति की सेवा के लिए है इसलिए इस पर किसी भी प्रकार का व्यवसायिक प्रचार भी नहीं किया जा सकता है। आज भारत में लगभग 25 हजार हैम हैं जो आपदा के समय अपनी घटना स्थल पर हैम रेडियो ले जाकर अपनी सेवाएं देते हैं। अगर आप भी लोगों की मदद करना चाहते हैं तो आप भी हैम बन सकते हैं।
श्रेय :- श्री. श्री. झावेंद्र कुमार ध्रुवजी के फेसबुक अकाउंट से