पूर्वी उ.प्र.के तेजी से विकसित हो रहे छोटे शहर गोरखपुर की सबसे बड़ी बात यह है कि दशकों तक अपनी बीमारियों और आपराधिक बहुलताओं की सुर्खियां बटोरते रहने के बावज़ूद यह शहर अपनी गंगा जमुनी तहज़ीब, उत्कृष्ट सांस्कृतिक , धार्मिक धरोहरों ,कृषि उत्पादन की विविधता और राजनीतिक विरासत भी सहेजता चल रहा है।शहर ने सूबे के एक पदासीन मुख्यमंत्री को उप चुनाव में हराकर राजनीति में स्थानीयता को महत्व दिया था तो अपने ही दो लोकप्रिय राजनेताओं को सूबे के मुख्यमंत्री की कुर्सी भी दिलवा दी है। आज की तारीख़ में गोरखपुर ग्रामीण स्वच्छता में सूबे में प्रथम ही नहीं आया है बल्कि समग्र विकास की सीढ़ियों की ऊंची पायदान तक पहुंचने की अनथक कोशिशें भी कर रहा है।
इस छोटे शहर गोरखपुर ने अपनी उत्सवधर्मिता का नवीनतम उदाहरण दिखाया है विश्व रेडियो दिवस पर स्थानीय प्रमुख समाचार पत्र "दैनिक जागरण"में पूरा एक पृष्ठ रेडियो को समर्पित करके।आकाशवाणी गोरखपुर को केन्द्र में बनाकर एक सचित्र आलेख आज के दैनिक जागरण में प्रकाशित हुआ है।इसके लिए पत्र के सम्पादकीय सहयोगी डा.राकेश राय बधाई के पात्र हैं।
इससे यह बात भी प्रमाणित होती है कि बावजूद तमाम प्रतिस्पर्धियों के जन- मन में आज भी आकाशवाणी कार्यक्रम की लोकप्रियता पहले की ही तरह रची बसी हुई है।प्रसार भारती परिवार की ओर से विश्व रेडियो दिवस पर सभी श्रोताओं और शुभेच्छुओं को शुभकामनाएं।
द्वारा योगदान:-प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी,लखनऊ; darshgrandpa @gmail .com.