ये तस्वीर 2010 में इलाहाबाद में क्रिसमस के दिन ली गयी थी। हम एक आयोजन के सिलसिले में साथ वहां गए थे। उसके बाद से उनसे एक क़रीबी रही। उनके भीतर बहुत दर्द था, तड़प थी, जिंदगी ने उनके साथ इंसाफ़ नहीं किया। जिस तरह की बातें उनके बारे में प्रचलित थीं, उसके बाद उनके क़रीब जाते डर लगता था। पर उनकी दुनिया में जाकर पता लगा कि उनके भीतर एक मासूम बच्ची है। बहुत भोली थीं वो। बच्चों जैसी चाहतें और वैसी ही जिद।
विविध-भारती के लिए 2014 में उनसे लंबी बातचीत की थी। तब वो बहुत कुछ भूल जाती थीं। इसलिए इंटरव्यू का स्वरूप ऐसा बना लिया था कि मानो घर के किसी बुजुर्ग से पुरानी बातें दोहरवाई जा रही हों। वो कुछ 'मिस'करतीं तो मैं बस एकाध वाक्य में क्लू दे देता। और फिर यादों का कारवां चल पड़ता।
जिंदगी भर संघर्ष किया 'आपा'ने।
याद आ रहा है कि पच्चीस दिसंबर की उस शाम जब मंच से उन्होंने गाया था--'बेमुरव्वत बेवफ़ा बेगाना-ए-दिल आप हैं/ आप मानें या ना मानें मेरे क़ातिल आप हैं'और ये भी 'मेरे आंसुओं पे ना मुस्कुरा कई ख्वाब थे जो मचल गए'
आप ख्वाब बन गयीं 'आपा'।
बच्चों जैसी आपकी हंसी हमेशा याद आएगी।..........
श्री. यूनुस खान, वरिष्ठ उद्घोषक, विविध भारती.
प्रसार भारती परिवार अपनी संवेदना प्रगट करते हुए श्रद्धांजली अर्पित करता है।
Source :- Facebook account of Shri. Yunus Khan.
श्री. यूनुस खान, वरिष्ठ उद्घोषक, विविध भारती.
प्रसार भारती परिवार अपनी संवेदना प्रगट करते हुए श्रद्धांजली अर्पित करता है।
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