19मार्च शुक्रवार को भारत रत्न शहनाई नवाज़ उस्ताद बिसमिल्लाह खां की जन्मशती पर उनकी कर्मभूमि वाराणसी में संगीत नाटक अकादमी की ओर से कलाकारों द्वारा उन्हें खिराज-ए-अकीदत पेश करने का चार दिवसीय समारोह "सुर बनारस"का आगाज़ हुआ ।नागरी नाटक मंडली प्रेक्षागृह में सम्पन्न इस कार्यक्रम "सुर बनारस "का बिसमिल्लाह दिल्ली से आए शहनाई वादक जगदीश प्रसाद और पार्टी ने शहनाई की धुनों से किया ।इसके बाद आकाशवाणी लखनऊ के पूर्व वादक तथा बांसुरी के 'टाप 'ग्रेड के कलाकार पं० हरिमोहन श्रीवास्तव और मुम्बई से आए रूपक कुलकर्णी ने बांसुरी की धुनों से ऐसा माहौल बनाया मानो 'शाम-ए-अवध 'के खूबसूरत रंगों ने 'सुबह-ए-बनारस'की खूबसूरती में चार चांद लगा दिए हों ।उसी क्रम में दिल्ली के लोकेश आनन्द ने एक बार फिर शहनाई और देवाशीष डे के शास्त्रीय गायन ने श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध कर दिया ।पं० हरिमोहन श्रीवास्तव ने फोन पर बताया कि वैसे तो उन्होंने देश विदेश में अब तक अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किये हैं किन्तु इस सरजमीं पर कार्यक्रम प्रस्तुत करने का अद्भुत रोमांच रहा है ।विदेश यात्रा के दौरान पिछले साल टर्की के एरजिएस यूनिवर्सिटी के म्यूजिक फैकल्टी के डीन ने उन्हें सम्मानित भी किया था । ब्लॉग के पाठकों को बताना भी मुनासिब होगा कि जब तक उस्ताद बिसमिल्लाह खां साहब जीवित रहे रंग भरी इसी एकादशी के दिन उनकी शहनाई काशी विश्वनाथ मंदिर के नौबतखाने में गूँजती रही ।
ब्लॉग रिपोर्ट-प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी, लखनऊ; मोबाइल नंबर 9839229128