भगवती चरण वर्मा लखनऊ आकाशवाणी में हिंदी सलाहकार के पद पर काम कर रहे थे, पर उन्हें आकाशवाणी पर सुगम संगीत के नाम पर फिल्मी संगीत अंदर-अंदर ही बहुत साल रहा था। आकाशवाणी में जिस समय उनकी नियुक्ति हुई थी उस समय केंद्रीय सूचना मंत्री रंगनाथ दिवाकर थे, लेकिन कुछ दिन बाद बालकृष्ण केसकर सूचना मंत्री हो गए।
केसकर, भगवती बाबू के पुराने मित्र थे। वह केसकर को 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के समय से जानते थे क्योंकि केसकर इस आंदोलन के दौरान भगवती बाबू के मुंबई स्थित आवास पर लंबे समय तक गुप्तवास में रहे थे। भगवती बाबू को यह भी पता था कि केसकर को शास्त्रीय संगीत में काफी रुचि है। लिहाजा उन्होंने अपनी इच्छा उनके सामने रखने की ठानी और पहुंच गए दिल्ली।
वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानचंद जैन ने संस्मरण में लिखा है, ‘भगवती बाबू दिल्ली में केसकर जी से मिले और कहा, ‘आजादी के बाद भी आकाशवाणी पर सुगम संगीत के नाम पर फिल्मी संगीत बजे, यह अच्छा नहीं लगता। इसलिए शास्त्रीय संगीत का प्रयोग होना चाहिए।’ केसकर ने अधिकारियों से बात की तो उन्होंने दिक्कत बताई कि शास्त्रीय संगीत में यह काम करना मुश्किल होगा।
पर, भगवती बाबू ने तर्क दिया, ‘गायक व ठुमरी गायकी को छोड़कर शेष राग-रागनियों में पदों को बांधा जाए तो उन्हें रेडियो कार्यक्रमों में ठीक तरह से प्रसारित किया जा सकता है।’ केसकर को यह बात पसंद आई और उन्होंने भगवती बाबू को ही दिल्ली बुलाकर सुगम संगीत का प्रोड्यूसर नियुक्त कर दिया।
भगवती बाबू ने सुप्रसिद्ध सितारवादक राय सोमनाथ बली तथा मैरिस म्यूजिक कॉलेज प्रिंसिपल रतन जनकर की शिष्या डॉ. सुमति मुटाटकर की मदद से रेडियो पर सुगम संगीत कार्यक्रम में शास्त्रीय धुनों की शुरुआत की।
द्वारा अग्रेषित :- श्री. श्री. झावेंद्र कुमार ध्रुव
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