तब रेडियो का नाम इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस था। फील्डन को यह नाम संस्था के चरित्र को उद्घाटित करने के लिए अपर्याप्त लगता था। उन्होंने इसे बदलने का प्रस्ताव रखा। उनके वरिष्ठ अधिकारियों ने इसका विरोध किया, तो उन्होंने वायसराय से डिनर पर इस बारे में चर्चा की। वायसराय को भी 'इंडियन स्टेट'कुछ अटपटा लगा। वायसराय ने खुद इसे नया नाम दे दिया ऑल इंडिया रेडियो। 08 जून 1936 को इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस का नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो हो गया। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता थे शहर के प्रख्यात इतिहासविद्, कवि एवं विद्वान डॉ योगेश प्रवीण, समाजशास्त्री डॉ कृति रस्तोगी एवं लखनऊ विश्वविद्यालय में फैकल्टी डॉ राकेश निगम। समारोह में इनके अलावा शहर के कई अन्य गणमान्य अतिथि एवं आकाशवाणी लखनऊ के सभी अधिकारी-कर्मचारी भी उपस्थित थे। डॉ कृति रस्तोगी ने रेडियो के सामाजिक पहलुओं का बारीकी से विश्लेषण किया। उन्होंने कहा कि पोर्टेबिलिटी और रीच के लिहाज से रेडियो कई मायनों में मीडिया के दूसरे संसाधनों से कई गुना बेहतर है। इसे पॉकेट में रखकर कहीं भी चलते-फिरते, घूमते-टहलते सुन सकते हैं और यही नहीं रेडियो की आवाज दूर-दूर तक आसानी से सुनी जाती है। इसके लिए बैठकर ध्यान से तस्वीरें देखने की जरूरत नहीं, आप अपना काम भी करते रह सकते हैं।
शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मन की बात देशवासियों से साझा करने के लिए ऑल इंडिया रेडियो को ही माध्यम बनाया है ताकि वह ज्यादा से ज्यादा आम जनता से सीधे जुड़ सकें। वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय में फैकल्टी डॉ राकेश निगम ने खुद को ऑल इंडिया रेडियो परिवार का ही अंग बताते हुए बीते दिनों की यादें साझा कीं। उन्होंने बताया कि जिस सभागार में आज यह संगोष्ठी हो रही है, वहां उनके समय में स्टूडियो हुआ करता था। स्टूडियो में रिकॉर्डिंग के दौरान बाहर भीड़ लगी रहती थी और लोग ताक-झांककर उत्सुकता से देखा करते थे। उन्हें ऑल इंडिया रेडियो से जुड़ने और यहां के स्टाफ से काफी सहयोग मिला, इसका जिक्र उन्होंने कई सारे अनुभवों की बानगी सुनाकर किया। सबसे आखिर में शहर के प्रख्यात इतिहासकार, कवि व विद्वान डॉ योगेश प्रवीन ने ऑल इंडिया रेडियो से जुड़ी यादें साझा कीं। उन्होंने कहा कि बॉलीवुड के कई बड़े गायक-संगीतकार-गीतकार व अन्य कलाकार, कुर्रतुल-एन-हैदर आदि हिंदी और उर्दू के कई बड़े साहित्यकार ऑल इंडिया रेडियो से जुड़े रहे हैं। खास तौर पर आकाशवाणी लखनऊ का काफी गौरवशाली अतीत रहा है। उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि ऑल इंडिया रेडियो आज भी देश की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजकर समाज के सामने रोचक ढंग से पेश कर रहा है और आने वाली पीढ़ी के लिए एक स्वस्थ समाज के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका बखूबी अदा कर रहा है। उन्होंने अपने समकालीन कलाकारों के साथ रोचक अनुभव भी श्रोताओं से साझा किए और उस जमाने के कई सारे शेर भी सुनाए, जिसे सुनकर सभागार में तालियां और ठहाके गूंज उठे। इस मौके पर आकाशवाणी के सभी अधिकारी-कर्मचारी भी उपस्थित रहे।
Contributed By: Station Director AIR Lucknow,sdairlko2011@gmail.com