Quantcast
Channel: Prasar Bharati Parivar
Viewing all articles
Browse latest Browse all 9466

सामुदायिक रेडियो की वजह से बढ़ रही है वित्तीय साक्षरता

$
0
0


वित्तीय साक्षरता और समावेश के उद्देश्य से केनरा एचएसबीसी ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के प्रोजेक्ट "समर्थ"के सौजन्य से संचालित कार्यक्रम से देश के सर्वाधिक पिछड़े जिले नूंह (जिसे पूर्व में मेवात के नाम से जाना जाता था) में जागरूकता बढ़ने लगी है और अब यहां के लोग अपने जीवन की रोजमर्रा की जरूरतों में बैंकिंग सेवाओं को जीवन का महत्वपूर्ण अंग मानने लगे हैं। एटीएम, पेटीएम के डिजिटल दौर में 125 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले हमारे देश की लगभग 24 करोड़ आबादी बैंकिंग सेवाओं से नहीं जुड़ सकी है। ऐसा नहीं है कि सरकार द्वारा ग्रामीण भारत में बैंकिंग सेवाओं की व्यवस्था नहीं की गई है परन्तु सही समय पर सही जानकारी लोगों तक नहीं पहुंच पाती है, जिसके कारण आज भी बहुत से परिवार, खासकर ग्रामीण इलाकों में नकदी लेनदेन करते हैं और अपनी नकदी घर पर ही रखते हैं। इससे एक तो उनकी राशि असुरक्षित होती है, दूसरा उन्हें अपनी धनराशि पर कोई ब्याज भी नहीं मिलता है। ऐसी स्थिति में वित्‍तीय समावेश बहुत ज़रूरी है। वित्‍तीय समावेश का अर्थ देश की ऐसी आबादी तक वित्‍तीय सेवाएं पहुंचाना है, जो अभी तक इसके दायरे में नहीं आ सकी हैं। ---------
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और गुरुग्राम की चकाचौंध से मात्र 70 किलोमीटर की दूरी पर बसा नूंह ज़िला (दो वर्ष पूर्व तक मेवात के नाम से जाना जाता था) हाल ही में तब सुर्खियों में आया था जब नीति आयोग द्वारा इसे देशभर के जिलों की समीक्षा के बाद जारी की गई इस रिपोर्ट में सबसे पिछड़ा करार दिया था। इस सूची में हर जिले को शामिल करते वक्त नीति आयोग ने शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, बैंकिंग तथा वित्तीय सेवाओं और बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर के तमाम आंकड़ों को शामिल किया है। इस सबकी दृष्टि से मेवात को 26 प्रतिशत अंक मिले हैं। अगर देश के सबसे विकसित जिलों से मेवात की तुलना की जाए तो वह विकास की तराजू में उनसे एक-चौथाई ही है। इस जिले में कुल साक्षरता 56 प्रतिशत है और महिलाओं में यह महज 36 प्रतिशत ही है। जिले के लगभग 70 प्रतिशत बच्चे एनीमिया यानी खून की कमी के शिकार हैं। सिर्फ 27 प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण हुआ है। इस जिले में आज भी ऐसे बहुत से गाँव है जहां परिवार में एक भी सदस्य का बैंक खाता नहीं है। गाँव घाघस के रहने वाले सोहराब खान बताते हैं कि “आज भी यहां के अधिकतर लोग घर पर पैसा रखते हैं और ज़रूरत के समय साहूकार से ऋण लेते हैं।“
इस अंतर को कम करने के लिए “वित्तीय वाणी” रेडियो कार्यक्रम के जरिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। सामुदायिक रेडियो अल्फाज़–ए-मेवात पर वित्तीय वाणी कार्यक्रम की विशेष श्रृंखला प्रसारित की जा रही है जिसके माध्यम से केनरा एचएसबीसी ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के प्रोजेक्ट "समर्थ"के सौजन्य से लोगों को वित्तीय प्रबंधन से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रही है ताकि लोग वित्तीय प्रबंधन से समुचित बचत करके अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकें।
इस रेडियो सीरीज़ का उद्देश्य ग्रामीणों को वित्तीय साक्षर बनाना है । रेडियो कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीणों को धन के समुचित प्रबंधन के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है ताकि बैंकों के माध्यम से लागू सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर ग्रामीण अपने जीवन को सुरक्षित एवं बेहतर बना सकें। इस कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीणों को खाता खोलने, खाते को आधार कार्ड एवं मोबाइल से जोड़ने, बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए बैंकों द्वारा शिक्षा ऋण जैसी तमाम सुविधाओं की जानकारी विस्तार से प्रदान की जाती है। साथ ही प्रधानमंत्री जन-धन बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, फसल बीमा योजना, शिक्षा ऋण आदि सरकारी योजनाओं की जानकारी साँझा की जाती है। कैनरा एचएसबीसी ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारी कार्यक्रम में श्रोताओं के साथ सीधे जुड़ते हैं। वित्तीय सेवाओं की जानकारी ग्रामीणों के लिए अति आवश्यक हैं ताकि उनकी बचत बढ़े और सरकारी योजनाओं से उन्हें लाभ हो । सहगल फाउंडेशन की संचार निदेशक पूजा मुरादा का कहना है, "रेडियो पर प्रसारित सीरीज़ से हमें अनुभव हुआ है कि इसकी बहुत जरूरत है। ग्रामीणों को वित्तीय उत्पादों और सेवाओं की जानकारी न के बराबर है और बहुत से लोगों के बैंक खाते तक नहीं हैं। अब भी ज्यादातर लोगों के जीरो बैलेंस या बेसिक खाते हैं और वे बचत के पारम्परिक तरीके अपनाते हैं। अत: ग्रामीण अंचलों में बैंकिंग सुविधाओं की जानकारी पहुंचाना बेहद जरूरी है"।
“वित्तीय वाणी” रेडियो कार्यक्रम के अलावा ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए गाँव में वित्तीय साक्षरता कैंप भी लगाए गए हैं और इन कैम्पों में ग्रामीणों की बैंकों से जुड़ी शिकायतों के निवारण के लिए अलग से स्टाल लगाया गया है। साथ ही ग्रामीणों को वित्तीय साक्षरता के महत्व को समझाने के लिए स्थानीय कलाकारों द्वारा नुक्कड़ नाटक का भी आयोजन किया गया है, जिसमें कलाकारों द्वारा हर परिवार को बैंक में खाता खोलने, बैंक खाते के लाभ व वित्तीय सुरक्षा के बारे में अवगत कराया जाता है। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया जाता है कि जरूरत पड़ने पर बैंकों की मदद से अभिभावक अपने बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए ऋण तथा ज़रूरत के समय बीमा पेंशन आदि से भी लाभ ले सकते हैं। --------
सोनिया चोपड़ा

For more detail news please click on following link :- 
http://mediamorcha.com/entries/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A7-%E0%A4%96%E0%A4%AC%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%82/%E0%A4%B8-%E0%A4%AE-%E0%A4%A6-%E0%A4%AF-%E0%A4%95-%E0%A4%B0-%E0%A4%A1-%E0%A4%AF-%E0%A4%95--%E0%A4%B5%E0%A4%9C%E0%A4%B9-%E0%A4%B8--%E0%A4%AC%E0%A4%A2--%E0%A4%B0%E0%A4%B9--%E0%A4%B9--%E0%A4%B5-%E0%A4%A4-%E0%A4%A4-%E0%A4%AF-%E0%A4%B8-%E0%A4%95-%E0%A4%B7%E0%A4%B0%E0%A4%A4-


Contributed by :- Shri. Vijay Sharma
vijaysharmaht@gmail.com

Viewing all articles
Browse latest Browse all 9466

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>