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लताजी को घर में केवल के.एल. सहगल के गीत गाने की इजाजत थी. क्योंकि लताजी के पिता को शास्त्रीय संगीत से बेहद प्यार था. जब वह 18 वर्ष की थी तब उन्होने अपना पहला रेडियो खरीदा और जैसे ही रेडियोऑन किया तोके.एल.सहगल की मृत्यु का समाचार उन्हें प्राप्त हुआ। बाद में उन्होंने वह रेडियो दूकानदार को वापस कर दिया।"स्वर कोकिला लता मंगेशकर 89 साल की हो चुकी हैं। लता जी का जन्म 28 सितंबर, 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर रंगमंच के कलाकार और गायक थे। लता जी को बचपन से ही गाने का शौकथा और संगीत में उनकी दिलचस्पी भी शुरू से ही थी। लता ने 13 साल की उम्र में पहली बार साल 1942 में आई मराठी फिल्म ‘पहली मंगलागौर’ में गाना गाया। हिंदी फिल्मों में उनकी एंट्री साल 1947 में फिल्म ‘आपकी सेवा’ के जरिए हुई। उन्होंने अब तक करीब 30 हजार से ज्यादा गाने गाए हैं। भारत सरकार ने लता को पद्म भूषण (1969) और भारत रत्न (2001) से सम्मानित किया। बॉलीवुड में भी उन्हें ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’, ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ और ‘फिल्म फेयर’ जैसे कई अवार्ड्स से नवाजा गया है। साल 2011 में लता जी ने आखिरी बार ‘सतरंगी पैराशूट’ गाना गाया था, उसके बाद से वो अब तक सिंगिग से दूर हैं।
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लता ने करीब 10 फिल्मों में एक्टिंग की है, जिनमें ‘बड़ी मां’ (1945), ‘जीवन यात्रा’ (1946) और ‘मंदिर’ (1948) जैसी फिल्मों के नाम शामिल हैं।लता ने फिल्मों में ‘आनंदघन’ के नाम से म्यूजिक भी दिया है।लता जी बचपन मेंलता ने करीब 10 फिल्मों में एक्टिंग की है, जिनमें ‘बड़ी मां’ (1945), ‘जीवन यात्रा’ (1946) और ‘मंदिर’ (1948) जैसी फिल्मों के नाम शामिल हैं।लता ने फिल्मों में ‘आनंदघन’ के नाम से म्यूजिक भी दिया है।लता जी बचपन में पढ़ाई नहीं कर पाईं लेकिन दुनिया की 6 बड़ी यूनिवर्सिटीज सेउन्हें डॉक्टरेट की डिग्री मिली है।लता जी को हवाई सफर से डर लगता हैं। इसलिए जब फ्रांस की सरकार ने उन्हें ‘प्रेस्टीजियस अवॉर्ड’ से सम्मानित किया, तो लता ने उनसे मुंबई आकर ये अवॉर्ड देने की गुजारिश की थी।इंग्लैंड के लॉर्ड स्टेडियम में उनके लिए एकपरमानेंट गैलरी रिजर्व्ड है, जहां से वो अपना फेवरेट गेम क्रिकेट देख सकें।सन 1974 में दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड लता जी के नाम हुआ. स्वर-साम्राज्ञी, स्वरकोकिला, नाइटिंगेल ऑफ इंडिया और संगीत की देवी के रूप में प्रसिद्ध लता मंगेशकर की आवाज का पूरी दुनिया में कोई सानी नहीं। देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से अलंकृत लता मंगेशकर की आवाज में भारत कादिल धड़कता है। विदाई गीत हो या ममता भरी लोरी, मंगल वेला हो या मातमी खामोशी, उन्होंने हर भावना को अपने सुरों में ढालकर लोगों के मन की गहराइयों को छुआ है। उनकी आवाज में माँ की ममता, नवयौवना की चंचलता, प्रेम की मादकता,विरह की टीस, बाल-सुलभ निश्छलता, भक्त की पुकार और स्त्री के तमाम रूपों के दर्शन होते हैं। उनकी आवाज की यह खूबी है कि वे सुरों के तीनों सप्तकों—मंद्र, मध्य और तार में बड़ी सहजता से गा लेती हैं। उनकी लोकप्रियता देश की सीमा लाँघविदेश तक भी जा पहुँची है। इसका कारण यह है कि वे जो भी गाती हैं, दिल से गाती हैं। हर गीत में वे ऐसी आत्मा भर देती हैं, जो सीधे दिल में उतर जाता है। एक वाक्य में कहें तो—भारत के लिए ईश्वर का वरदान हैं लता मंगेशकर। लता मंगेशकर प्रतीक हैं उस मातृ शक्ति का, जिसने अनगिनत लोगों के जीवन को नई दिशा दी, नए विचार दिए अपनी आवाज के जरिए नए मायने दिए। लता मंगेशकर के गाने किसी घुटटी की तरह पीढ़ियों के कानों में घुलते रहे हैं। एक ऐसी आवाज जो अपने-पराए काभेद नहीं करती।
भारत की 'स्वर कोकिला'लता मंगेशकर ने 20 भाषाओं में 30,000 गाने गाये है। उनकी आवाज़ सुनकर कभी किसी की आँखों में आँसू आए, तो कभी सीमा पर खड़े जवानों को सहारा मिला। लता जी आज भी अकेली हैं, उन्होंने स्वयं को पूर्णत: संगीत को समर्पित कररखा है।लता ने करीब 10 फिल्मों में एक्टिंग की है, जिनमें ‘बड़ी मां’ (1945), ‘जीवन यात्रा’ (1946) और ‘मंदिर’ (1948) जैसी फिल्मों के नाम शामिल हैं।लता ने फिल्मों में ‘आनंदघन’ के नाम से म्यूजिक भी दिया है।लता जी बचपन में पढ़ाई नहीं कर पाईं लेकिन दुनिया की6 बड़ी यूनिवर्सिटीज से उन्हें डॉक्टरेट की डिग्री मिली है।लता जी को हवाई सफर से डर लगता हैं। इसलिए जब फ्रांस की सरकार ने उन्हें ‘प्रेस्टीजियस अवॉर्ड’ से सम्मानित किया, तो लता ने उनसे मुंबई आकर ये अवॉर्ड देने की गुजारिश की थी।इंग्लैंड के लॉर्ड स्टेडियम मेंउनके लिए एक परमानेंट गैलरी रिजर्व्ड है, जहां से वो अपना फेवरेट गेम क्रिकेट देख सकें।सन 1974 में दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड लता जी के नाम हुआ. स्वर-साम्राज्ञी, स्वरकोकिला, नाइटिंगेल ऑफ इंडिया और संगीत की देवी के रूप में प्रसिद्ध लता मंगेशकर की आवाज का पूरी दुनिया में कोई सानी नहीं। देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से अलंकृत लता मंगेशकर की आवाज में भारत कादिल धड़कता है। विदाई गीत हो या ममता भरी लोरी, मंगल वेला हो या मातमी खामोशी, उन्होंने हर भावना को अपने सुरों में ढालकर लोगों के मन की गहराइयों को छुआ है। उनकी आवाज में माँ की ममता, नवयौवना की चंचलता, प्रेम की मादकता,विरह की टीस, बाल-सुलभ निश्छलता, भक्त की पुकार और स्त्री के तमाम रूपों के दर्शन होते हैं। उनकी आवाज की यह खूबी है कि वे सुरों के तीनों सप्तकों—मंद्र, मध्य और तार में बड़ी सहजता से गा लेती हैं। उनकी लोकप्रियता देश की सीमा लाँघविदेश तक भी जा पहुँची है। इसका कारण यह है कि वे जो भी गाती हैं, दिल से गाती हैं। हर गीत में वे ऐसी आत्मा भर देती हैं, जो सीधे दिल में उतर जाता है। एक वाक्य में कहें तो—भारत के लिए ईश्वर का वरदान हैं लता मंगेशकर। लता मंगेशकर प्रतीक हैं उस मातृ शक्ति का, जिसने अनगिनत लोगों के जीवन को नई दिशा दी, नए विचार दिए अपनी आवाज के जरिए नए मायने दिए। लता मंगेशकर के गाने किसी घुटटी की तरह पीढ़ियों के कानों में घुलते रहे हैं। एक ऐसी आवाज जो अपने-पराए काभेद नहीं करती। भारत की 'स्वर कोकिला'लता मंगेशकर ने 20 भाषाओं में 30,000 गाने गाये है। उनकी आवाज़ सुनकर कभी किसी की आँखों में आँसू आए, तो कभी सीमा पर खड़े जवानों को सहारा मिला। लता जी आज भी अकेली हैं, उन्होंने स्वयं को पूर्णत: संगीत को समर्पित कररखा है।
Forwarded by :- Mitul Kansal ,kansalmitul@gmail.com