आकाशवाणी इलाहाबाद के प्रतिष्ठित वार्ताकार,आकाशवाणी के पूर्व कार्यक्रम अधिकारी श्री प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी के नाना जस्टिस हरिश्चन्द्र पति त्रिपाठी को उनकी विधि एवं साहित्य जगत की मूल्यवर्द्धक सेवाओं के लिए उनकी तेइसवीं पुण्यतिथि(7अप्रैल) पर याद किया गया ।
पहली सितम्बर उन्नीस सौ नौ को गोरखपुर के भिटहां(डवरपार) गांव में उनका जन्म हुआ था ।पं. मदनमोहन मालवीय की छत्रछाया में का० हि० वि० वि० में जस्टिस त्रिपाठी की शिक्षा दीक्षा बी० ए०, एल० एल० बी० स्तर तक की सम्पन्न हुईं । उन्होंने 1934 से वकालत शुरू की ।कम ही समय में इनकी विधिक विशेषज्ञता ने इन्हें सुर्खियों में ला दिया । पहले गोरखपुर की जिला कचहरी और फिर1961 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में इन्हें फौजदारी के शासकीय अधिवक्ता की जिम्मेदारी मिली ।1963 में इन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया जहां 1971 तक इन्होंने उच्च कोटि का दायित्व निर्वहन किया । वे आकाशवाणी इलाहाबाद के वार्ताकार थे। तीन दशक तक अपने ओजस्वी स्वर ,चुम्बकीय व्यक्तित्व और त्रिभाषीय ज्ञान से इलाहाबाद के साहित्य, संगीत और संस्कृति संसार को इन्होंने आलोकित किया ।अन्ततः7अप्रैल 1995 को इस महान कर्मयोगी ने संसार से विदाई ली ।इनके चारो पुत्र आई० ए० एस० हुए जिनमें से तीन सर्वश्री धनन्जय पति, सुशील चन्द्र और प्रकाश चन्द्र त्रिपाठी सेवानिवृत्त होकर दिल्ली में ही बस गये हैं और एक सबसे छोटे श्री सुधीर चन्द्र त्रिपाठी अभी झारखंड के मुख्य सचिव हैं ।उनकी तीन पुत्रियां भी थीं।
आकाशवाणी इलाहाबाद में पं० नर्मदेश्वर उपाध्याय हिंदी कार्यक्रम के प्रोडयूसर कहा करते थे कि "वैसे तो इलाहाबाद में विद्वानों की कमी नहीं है किन्तु हिन्दी, अंग्रेज़ी और संस्कृत की विलक्षण वक्तृत्वकला सिर्फ जस्टिस त्रिपाठी में ही मिलती है ।"
आकाशवाणी इलाहाबाद के से.नि.कार्यक्रम अधिकारी डा.रामजी मिश्र उन्हें स्मरण करते हुए कहते हैं कि "न्यायमूर्ति पंडित हरिश्चंद्र त्रिपाठी जी का स्नेह मुझे भी प्राप्त था ।मेरी लिखी सरयूपारीण ब्राह्मण वंशावली उन्हें पसन्द थी।बहुत पहले सरयूपारीण ब्राह्मण की एक पत्रिका भी वे निकालते थे ।वर्ष १९९० में मैंने भी उनका एक इण्टरव्यू भी रिकार्ड किया था। मैं न्यायमूर्ति पंडित त्रिपाठी जी की कीर्ति कौमुदी को प्रणाम करता हूँ।"
प्रसार भारती परिवार उनके प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है।