आकाशवाणी के इस केंद्र की स्थापना और उसके प्रसारण की शुरुआत 2 अप्रैल, 1938 को 18, ऐबट मार्ग स्थित एक किराये के मकान से हुई थी। इसकी गिनती उन नौ पुरातात्विक महत्व के आकाशवाणी केन्द्रों में है, जो अखंड भारत की आज़ादी के पहले से ही कार्यरत थे। आज इस केंद्र ने अपनी स्थापना के 80 वें वर्ष में प्रवेंश कर लिया है ।
2 अप्रैल सन 1938 को इसका उद्घाटन यूनाइटेड प्रोविसेंज ऑफ़ आगरा एंड अवध के तत्कालील गवर्नर सर हेरी हेस ने किया था । बाद में यह 18, विधान सभा मार्ग स्थित वर्तमान भव्य स्टूडियो में स्थानांतरित हुआ। इसकी गिनती उन नौ पुरातात्विक महत्व के आकाशवाणी केन्द्रों में है, जो अखंड भारत की आज़ादी के पहले से ही कार्यरत थे । इस केन्द्र ने अपने सफ़र में अनेक उपलब्धियां पाई हैं।
इन 80 वर्षों में कई नामी-गिरामी कलाकारों ने इस आकाशवाणी केंद्र के माध्यम से संगीत और साहित्य की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। आकाशवाणी का लखनऊ केन्द्र वही संस्थान है, जहां से रमई काका (चंद्रभूषण द्विवेदी) और बताशा बुआ (सुमित्रा कुमारी सिन्हा) लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनाने में कामयाब रहे थे। इन दोनों शख्सियतों ने आकाशवाणी के माध्यम से अवधी बोली को एक नया आयाम दिया।
संगीत जगत के अधिकांश शीर्ष कलाकार शुरू में इसी केंद्र से जुड़े रहे हैं। शास्त्रीय संगीत में सिद्धेश्वरी देवी, बेगम अख़्तर, उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ, पंडित रविशंकर, उस्ताद अली अकबर ख़ान तथा सुगम संगीत में तलत महमूद, मदन मोहन, जयदेव और अनूप जलोटा जैसे नामी-गिरामी कलाकारों ने इस केंद्र का नाम रौशन किया है। इनमें से कई कलाकारों ने तो अपनी संगीत यात्रा की शुरुआत ही आकाशवाणी के इसी केंद्र से की थी।
आकाशवाणी के लखनऊ केंद्र का संगीत के अलावा साहित्य के क्षेत्र में भी अहम योगदान रहा है। देश के प्रमुख लेखकों और कवियों में शुमार होने वाले कई नामी-गिरामी लोगों ने आकाशवाणी लखनऊ को अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। पं. श्रीनारायण चतुर्वेदी, अमृतलाल नागर, यशपाल, भगवती चरण वर्मा, कुंवर चंद्र प्रकाश, मजाज़ लखनवी और के.पी. सक्सेना जैसे लेखक और कवि आकाशवाणी लखनऊ की ही देन कहे जा सकते हैं।
केंद्र के कार्यक्रम अधिशासी प्रतुल जोशी ने बताया कि आज आकाशवाणी लखनऊ के 80वें स्थापना दिवस पर सोमवार को आकाशवाणी लखनऊ सभागार में सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। इसकी शुरुआत 'आकाशवाणी-वर्तमान चुनौतियां'विषयक विचार गोष्ठी से होगी। वहीं आगरा के मशहूर गजल सुधीर नारायण और अवधी लोकगीत गायिका रंजना अग्रहरि अपनी संगीतमयी प्रस्तुति देंगीं ।
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Source-Mahendra Pathak, Blog Report-Praveen Nagdive