मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कार्यक्रम ‘‘दिल से’’ में महिला स्वसहायता समूहों तथा महिला सुरक्षा पर आकाशवाणी के जरिये अपने दिल की बात की।
विगत् रविवार 14 जनवरी, 2018 को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यक्रम ‘‘दिल से’’ का प्रसारण शाम 06.00 बजे से शाम 06.44 बजे तक आकाशवाणी भोपाल से किया गया जिसे, मध्यप्रदेश स्थित अन्य सभी आकाशवाणी केन्द्रों द्वारा भी प्रसारित किया गया।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘‘दिल से’’ कार्यक्रम में मकर संक्रांति के अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए अपने प्रसारण में प्रदेश में महिला स्व सहायता समूह के संबंध में कहा कि, राज्य के करीब 2 लाख से ज्यादा महिलाओं के स्वसहायता समूहों की बचत ढाई सौ करोड़ रूपये हो गई है और जब भी इन समूहों की बहनों पर विपत्ति आती है उन्हें पैसों की जरूरत पड़ती है वे आपसी लेन-देन कर अपना काम चलाती हैं। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि इन समूहों में 1 लाख 43 हजार से अधिक ऐसी सदस्य बहनें हैं जिनकी सालाना आमदानी अब 1 लाख रूपये से ज्यादा हो गई है तथा इनके परिवारों में समृद्धि और खुशहाली आई है। मैं इन परिवारों की खुशहाली देखकर बहुत खुश होता हूं, आज प्रदेश में आजीविका मिशन के तहत् करीब 23 लाख परिवार तेजस्विनी कार्यक्रम से तथा 2 लाख से अधिक परिवार स्वसहायता समूह से जुड़े हैं। मुख्यमंत्री ने स्वसहायता समूहों को नई ज़िम्मेदारियां देने तथा इन समूहों को मज़बूत बनाने तथा आर्थिक रूप से उनकी मद्द और तकनीकी परामर्श के लिए हर ज़िले में एक नोडल अधिकारी देने की घोषणा करते हुए कहा कि संबंधित विभागों, जिला प्रशासन, बैंकों और संबंधित संस्थाओं से समन्वय स्थापित कर यह नोडल अधिकारी स्वसहायता समूहों को आगे बढ़ने में मदद करेंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि स्वच्छता अभियान को कामयाब बनाने में इन समूहों की मदद ली जाएगी तथा बहनों को साफ सफाई के काम में उपयोगी उपकरणों के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी। इन बहनों को सफाई दूत के रूप में पहचान तो मिलेगी ही साथ ही उनके समूहों की आमदनी भी बढ़ेगी।
श्री चौहान ने आजीविका मिषन के अंतर्गत स्वसहायता समूहों द्वारा साबुन निर्माण, अगरबत्ती, सब्जी, हथकरघा, मुर्गी पालन, विभिन्न कृषि आधारित कार्य, जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु वर्मीपीट और नॉपेड बनाने के कार्यो के साथ-साथ अगरबत्ती, सेनेटरी नेपकिन तथा परिधान निर्माण जैसी गतिविधियां चल रहीं हैं, वहीं तेजस्विनी कार्यक्रम के अंर्तगत डिण्डोरी जिले में महिलाएं कोदों-कुटकी का उत्पादन व प्रसंस्करण कर, एक परियोजना में आंगनबाड़ियों में इसकी चिक्की भी बनाकर आपूर्ति कर रहीं हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुशी जा़हिर करते हुए कहा कि, महिला स्व-सहायता समूह सदस्यों द्वारा 10 मुर्गी उत्पादन समितियों या उत्पादक कम्पनियों का गठन किया गया है जिसमें 5,174 महिलाएं मुर्गी पालन एवं मुर्गियों का व्यापार कर रही हैं। वर्ष 2016-17 में इन महिलाओं द्वारा लगभग 175 करोड़ रूपये का व्यापार किया गया है, शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हर जिले में हम महिला शक्ति-संगम आयोजित करने जा रहे हैं। अगले 3 वर्षों में हम पांच लाख परिवारों को स्वसहायता समूहों से जोड़ देंगे।
नये मध्यप्रदेश और नये भारत के निर्माण में आर्थिक रूप से सषक्त महिलायें मुख्य भूमिका निभायेंगी। मैं कह सकता हूं कि मध्यप्रदेश में महिलाओं के स्वसहायता समूह के माध्यम से नारी शक्ति के नई चेतना का उद्य हुआ है। ग्रामीण मध्यप्रदेश में महिलायें नेतृत्व संभाल रही हैं।
माननीय मुख्यमंत्री ने महिला सुरक्षा विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि बहनों और बेटियों के विरूद्ध होने वाली किसी भी प्रकार की हिंसा और प्रताड़ना के मैं खिलाफ हूं तथा अब मध्यप्रदेश में ऐसा कानून बना दिया है कि बेटियों की गरिमा को धूमिल करने वालों को फांसी होगी। श्री चौहान ने आव्हान करते हुए कहा कि मैं बेटियों से यह कहना चाहता हूं कि वे इतनी सक्षम बने कि उन्हें कोई घूरने की हिम्मत न जुटा पाए। महिला सुरक्षा को सुरक्षित करने के लिए अब बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया गया है तथा ऐसी बसों को ही परमिट दिया जाएगा जो इन शर्तों का पालन करेंगे, इससे स्कूल और सिटी बसों में होने वाली बहनों और बेटियों के साथ होने वाली छेडछाड़ की घटनाओं को रोकने में आसानी होगी तथा अपराधियों पर सख्त कार्रवाई होगी।
मुख्यमंत्री ने महिलाओं में अधिकारों के प्रति, जन चेतना सुरक्षा वा सामूदायिक भागीदारी हेतु 82 हजार से अधिक शौर्यादल, पुलिस में भर्ती के लिए 49 जिलों में महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए सुरभि वाहिनी कार्यक्रम, जनवरी 2013 से राज्य स्तरीय महिला हेल्प लाईन 1090, निर्भया पैट्रोलिंग, मैत्री पुलिस पैट्रोलिंग हेतु भोपाल, इन्दौर, ग्वालियर व जबलपुर जैसे बड़े जिलों में महिला पुलिस अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा संचालित दो पहिया वाहन, भोपाल, इन्दौर, ग्वालियर, उज्जैन, सतना, सागर, जबलपुर, रीवा, रतलाम व कटनी में 10 महिला थानों की स्थापना, कन्या छात्रावासों में महिला चौकीदारों की नियुक्ति, मध्यप्रदेश के 51 जिलों में फास्ट-ट्रेक-कोर्ट का गठन जिसमें अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश द्वारा बलात्कार सामूहिक बलात्कार तथा हत्या के प्रकरणों की सुनवाई तथा महिला संबंधी अन्य अपराधों के मामलों में हर ज़िले में जे.एम.एफ.सी स्तर के न्यायालयों को त्वरित निराकरण के निर्देश तथा सोशल मीडिया, डायल 100, मध्यप्रदेश पुलिस की बेवसाइट एप, एम.पी.ई.कॉप पर एस.ओ.एस सुविधा तथा महिला डेस्क के रूप में 141 महिला डेस्क बनाने की स्वीकृति दी है।
अपने प्रसारण के अंत में मुख्यमंत्री ने कहा कि, महिलाओं की सुरक्षा सरकार की ज़िम्मेदारी है लेकिन सरकार को समाज का सहयोग भी मिलना जरूरी है अतः समाज के सभी वर्गों से मैं आव्हान करता हूं कि, सब अपने-अपने स्तर पर, इस कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें।
योगदान—राजीव श्रीवास्तव, ब्लॉग रिपोर्ट—प्रवीण नागदिवे