आकाशवाणी कठुआ (जम्मू एवं कश्मीर) में वरिष्ठ उद्घोषक के पद पर कार्यरत श्री रमेश मराठा जी, का प्रथम काव्य संग्रह 'हथेली के आईने में'प्रकाशित हुआ है |
श्री रमेश मराठा जी का रेडियो पर बोलने का अंदाज ही कुछ ऐसा है कि साधारण शब्द भी उनकी जुबान से कविता के झरने की तरह झरते हुए प्रतीत होते हैं |उनके प्रथम काव्य संग्रह 'हथेली के आईने में'की कविताएं भी पहाड़ी नदी की भांति उछलती-कूदती अपना रास्ता आप तलाश करती, अपने गंतव्य की ओर खुद-ब-खुद बढ़ती जाती है |इन कविताओं का सबसे विशिष्ट व खूबसूरत पहलू है कुदरती परिवेश | कविताओं में सहज-सरल भावनाओं को प्राकृतिक प्रतीकों, बिम्बों व अलंकारों से सजाया गया है जो पाठक को आत्म विभोर कर जाते हैं |'हथेली के आईने में'की अधिकांश कविताओं का प्रमुख विषय प्रेम है | बिछड़े साथी की तलाश है | उसका इन्तज़ार है, संग-संग बिताए पलों की स्मृतियां है | अधूरे ख्वाब है, सिसकती-तड़पती हसरतें हैं | संवाद है, बार-बार मान जाने, चले जाने की पुकार है |अपनी आत्मानुभूति एवं सूक्ष्म जज़्बात को प्रगट करने के लिए जिन मौलिक प्रतीकों का प्रयोग कवि नें किया है, वे अनूठे हैं और उन्होंने कविताओं को नयापन एवं ताज़गी बख्शी है | जो कई बार दोहराये जाने के बावजूद भी अखरते नहीं |
श्री रमेश मराठा जी को प्रसार भारती परिवार की तरफ से हार्दिक बधाई व बहुत शुभकामनाएं
Source : झावेन्द्र कुमार ध्रुव