आकाशवाणी लखनऊ से 24 दिसंबर,2017 को सायं 4बजे साप्ताहिक कार्यक्रम "अक्षयवट "में श्री प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर एक वार्ता प्रसारित होगी ।प्रस्तुत है वार्ता का आलेख।
अपनी प्रतिबद्धता,प्रखर चिंतन ,स्पष्ट विचार और दूरगामी सोच रखने वाले राष्ट्रसेवा को समर्पित शिखर पुरुष भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई का कल जन्मदिन है | 25 दिसम्बर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में इनका जन्म हुआ था |इनकी माताजी श्रीमती कृष्णा देवी कुशल गृहिणी थीं और इनके पिता श्री कृष्ण बिहारी वाजपेई प्रतिष्ठित ब्राम्हण और पेशे से एक शिक्षक थे | हिन्दी साहित्य में उनकी गहरी रूचि थी और काव्य लेखन में उन्हें महारत हासिल था |अटल जी ने अपने बचपन की शिक्षा ग्वालियर के गोरखी गाँव के गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल में सम्पन्न करने के बाद शहर के विक्टोरिया कालेज से हिन्दी,अंग्रेज़ी और संस्कृत में स्नातक की डिग्री प्राप्त की |इसके बाद डी .ए.वी.कालेज कानपुर से इन्होंने राजनीति विज्ञान में प्रथम श्रेणी में एम.ए.की उपाधि हासिल किया |आगे चल कर सन 1993 में कानपुर विश्वविद्यालय ने दर्शन शास्त्र में पी.एच.डी . की मानद उपाधि से आपको सम्मानित किया | अटल जी बचपन से ही राष्ट्र भक्ति के भाव से ओतप्रोत थे |ग्वालियर की आर्य कुमार सभा ने इन्हें राजनीति और समाज सेवा का ककहरा सिखाया और मात्र 20 वर्ष की उम्र में 1944 में इन्हें उसका जेनरल सेक्रेटरी बनाया गया | सन 1939 में आप राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ की शाखा में एक स्वयसेवक की तरह भाग लेने लगे थे |संघ में बाबा साहब आप्टे से प्रभावित होकर सन 1940 से 1944 के बीच अनेक प्रशिक्षण कैम्पों में इन्होने सक्रिय भाग लिया |भारत की आजादी का बिगुल उन दिनों बज चुका था और युवा अटल का गर्म खून देश की सेवा करने के लिए मचल उठा था |उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में अपना सक्रिय योगदान दिया और सन 1942 में उन्हें जेल भी जाना पड़ा | उन्होंने अविवाहित रहकर अपना पूर्ण जीवन देश की सेवा के लिए समर्पित करने का निश्चय किया | सन 1947 में वे आर.एस.एस.के पूर्णकालिक सदस्य बन गये |उनकी कानून की पढाई छूट गई थी और अब उन्हें प्रचारक के रूप में उत्तर प्रदेश भेज दिया गया था |यहाँ शीर्ष नेता पं.दीन दयाल उपाध्याय का उन्हें सानिध्य मिला और वे सम्पादन और पत्रकारिता की दिशा में “राष्ट्र धर्म”, ”पांचजन्य”, ”दैनिक स्वदेश” और ” वीर अर्जुन” आदि पत्र - पत्रिकाओं से जुड़ गए | सन 1951 में डा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्ववाली पार्टी भारतीय जनसंघ के वे संस्थापक सदस्य के रूप में भारत के राजनीतिक क्षितिज पर एक प्रखर सूर्य बनकर उदित हुए |उन्हीं दिनों में उन्हें इन समानताओं के चलते श्री लालकृष्ण आडवानी का सानिध्य मिला | शुरू से ही अटल जी का उद्देश्य भारतीय राजनीति को सुशासन और शुचिता की दिशा प्रदान करना था |उन्होंने इस लक्ष्य को पाने के लिए अपनी सक्रिय भूमिकाएं समय- समय पर निभाईं हैं|उसी क्रम में अटल जी एक इतिहास पुरुष भी बने जब 1996 में मात्र 13 दिनों के लिए प्रधानमंत्री पद पर रहकर उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया किन्तु सत्ता में बने रहने के लिए पार्टी और चरित्र से किसी प्रकार का समझौता नहीं किया | लोक सभा चुनावों में विजई होकर वाजपेई जी ने नौ बार { 1957, 1967, 1971, 1977, 1980, 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में } संसद में जनता का प्रतिनिधित्व किया |1962 में वे राज्यसभा के लिए चुने गए थे | 1957 में वे पहली बार बलरामपुर से दूसरी लोकसभा के लिए चुने गए थे | भारत के दसवें पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने पहले 1996 में मात्र 13 दिन तक और फिर 1998 से 2004 तक पूर्णकालिक पांच साल तक के लिए देश को अपनी गौरवशाली सेवायें प्रदान की हैं | स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के कारण उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया है | 24 मार्च 1976 को भारत के पांचवे प्रधानमंत्री के रूप में जब श्री मोरार जी देसाई की सरकार बनी थी तो इन्होने देश के विदेश मंत्री का दायित्व भी संभाला था | इन्हें सर्वोत्तम वक्ता के रूप मेंअंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिली है|वाजपेई जी 25 जून 1975 को देश में लागू आपातकाल की पीड़ा के पात्र और 1977 में लोकतंत्र के विजय के उल्लास के महत्वपूर्ण नायक भी रहे हैं| 1962 में चीन के हमले के दुखद परिणामों पर बहस के दौरान विदेश नीति और युद्ध पूर्व सैन्य तैय्यारियों पर कांग्रेस सरकार से विशिष्ट जानकारियों से युक्त श्वेत पत्र की मांग करने वाले वे पहले सांसद रहे हैं| अटल जी के उस भाषण को संसदीय इतिहास के सर्वोत्तम भाषणों में से एक माना गया है |उनके नेतृत्ववाली सरकार ने भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की श्रेणी शामिल किया,स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना शुरू की,100 साल से चले आ रहे कावेरी जल विवाद को सुलझाया,देश के सभी हवाईअड्डे और राष्ट्रीय राजमार्ग को विकसित किया ,सूचना प्रौद्योगिकी,विद्युत् नियामक नई टेलीकाम नीति,आवास निर्माण ग्रामीण रोजगार सृजन आदि की योजनाओं का कुशल संचालन किया | इसी प्रकार अटल जी भारतीय राजनीति के संघर्षमय और निर्णायक दौर के नायकत्व के लिए ही नहीं बल्कि अपने साहित्यिक योगदान के लिए भी वन्दनीय हैं | हिन्दी में मेरी इक्यावन कवितायेँ(1995),विचार बिंदु(1997),शक्ति से शान्ति(1999), न दैन्यं न पलायनम (1998),क्या खोया क्या पाया ,गठबंधन की राजनीति, मेरी संसदीय यात्रा और अंग्रेज़ी में डिसीसिव डेज़(1999),ट्वेंटीवन पोएम्स (2002) आदि रचनाएं एक कीर्तिमानक हैं | उनकी समग्र उपलब्धियों के लिए समय समय पर उन्हें अनेक सम्मान मिले हैं| इनमें से मुख्य हैं -वर्ष 1992 में पद्मविभूषण, 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार,1994 में श्रेष्ठ सांसद,1994 में भारत रत्न पंडित गोविन्द वल्लभ पन्त अवार्ड,2015 में भारत रत्न और उसी वर्ष उन्हें बांग्लादेश का लिबरेशन वार एवार्ड भी मिला |
वास्तव में यह हम देशवासियों का परम सौभाग्य है कि हमें एक विशिष्ट राजनेता , उत्कृष्ट साहित्यकार, संवेदनशील अभिभावक के रूप में आज भी अटल जी की स्नेह छाया मिली हुई है |सही मायने में वे भारतवर्ष के एक जागृत राजनेता और अनमोल रत्न हैं |हम उनके शतायु होने की शुभकामनाएं करते हैं |
ब्लाग रिपोर्टर : श्री. प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी, लखनऊ।
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