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आकाशवाणी, सम्बलपुर केंद्र में दिनांक 16/11/2017 को अपराह्न 4 से 6 बजे तक संयुक्त हिन्दी कार्यशाला का आयोजन युग्म रूप से आकाशवाणी एवं दूरदर्शन, सम्बलपुर द्वारा किया गया । सेवानिवृत हिन्दी रीडर एवं वर्तमान सम्बलपुर विश्वविद्यालय की हिन्दी विभाग का संयोजक डॉक्टर मुरारीलाल शर्मा जी को ब्याख्याता के रूप में आमंत्रित किया गया । कार्यशाला का विषय “सरकारी कामकाज में राजभाषा का व्यवहार”रहा । कार्यशाला में दोनों ही केंद्र के कुल 26 प्रतिभागी उपस्थित थे ।
सर्व प्रथम श्री क्षेत्रमणि बिभार वरिष्ठ आशुलिपिक तथा हिन्दी कार्यकारी निमंत्रित व्याख्याता एवं उपस्थित अधिकारी एवं कर्मचारियों का स्वागत किया । केंद्राध्यक्ष श्री एम आर के राव ने अध्यक्षयीय अभिभाषण में कहा कि राजभाषा विभाग द्वारा जारी वार्षिक कार्यक्रमों का कार्यान्वयन स्वरूप हुए यह कार्यशाला का आयोजन किया गया जिससे हम सबको सरकारी कामकाज में हिन्दी की व्यवहार को सरल एवं सहज बनाने के लिए मदद मिलेगी । दूरदर्शन के कार्यालय प्रमुख श्री मोहन कुमार दास जी ने भी कार्यशाला का महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि शिक्षालाभ करना एक निरंतर प्रयाश है एवं हम सब शिखते रहना चाहिए । उन्होने आशा व्यक्त की कि इस कार्यशाला भी सबके लिए लाभदायी होगी ।
डॉक्टर शर्मा नें हिन्दी शब्दों के गठन तथा तद्भव एवं तत्सम शब्दों के बारे में जानकारी दी । उन्होने कहा कि शब्द बनते है घिसते है और मर जाते है । इसीलिए हिन्दी भी नित्यनैमित्त अन्य भाषाओं के शब्दों को अपने अंदर शामिल करते जा रहा है । हिन्दी के कारगर प्रचार प्रसार में सर्व प्रथम रेडियो का सदैव सक्रिय भूमिका रहा है । उन्होने कहा कि रेडियो का अवदान हिन्दी के प्रति सदा वरदान के स्वरूप है । रेडियो एवं दूरदर्शन अपने मर्यादा को कायम रखते हुए हिन्दी के प्रचार प्रसार में सर्वदा तत्पर है । उन्होने बाल नागी रेड्डी एवं चंद्रप्रकाश द्वारा प्रकाशित चांदमामा का जीकर करते हुए कहा कि हिन्दी कि प्रचार प्रसार में इस छोटी सी पत्रिका का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है । व्याख्यान के दौरान डॉक्टर शर्मा नें तुलसीदास, सूरदास, कबीरदास, रसखान एवं हरिश्चंद्र भारतेन्दु आदि हिन्दी के महान कवियों के दोहे एवं कविताओं के अंश प्रस्तुत करके कार्यशाला को रसमय किया ।
डॉक्टर शर्मा ने व्यावहारिक एवं वैचारिक हिन्दी के बारे में भी चर्चा की । भाषा सम्प्रेषण का माध्यम है, लोगों कि जन कि भाषा है । सरकारी कामकाज में व्यावहारिक हिन्दी की प्रयोग करने के लिए सबको समझाया । पत्राचार एवं टिप्पण प्रारूप प्रस्तुत करते समय यथासंभव सरल एवं सहज हिन्दी की व्यवहार करना चाहिए ताकि समझने में कठिनाइयाँ न हो ।
उन्होने बताया कि हिन्दी को सरल एवं सहज बनाने के लिए उसका मानकीकरण किया जा चुका है ।मानकीकरण के चलते हिन्दी शब्दों के लेखन में आए बदलाव के बारे में उदाहरण के साथ व्याख्या किया । कम्प्युटर में यूनिकोड का प्रयोग से हिन्दी में काम करना और भी सहज हो चुका है । अंत में दूरदर्शन केंद्र के राजभाषा अधिकारी, श्री एस.के स्वाईं व्याख्याता एवं समस्त प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापन किया ।
रिपोर्ट प्रस्तुति - क्षेत्रमणि बिभार, वरिष्ठ आशुलिपिक, आकाशवाणी, सम्बलपुर