आकाशवाणी और विशेषकर विविध भारती से लाखों श्रोताओं का भावनात्मक जुड़ाव जग जाहिर है।याद कीजिए उस दौर को जब मनोरंजन की दुनियां में सिर्फ़ ध्वनि तरंगों का एकाधिकार था ।उनमें चित्र तरंगों का विलय नहीं हुआ था बल्कि चित्र तो श्रोता स्वयं अपनी बहु आयामी परिकल्पना से बनाया करते थे।मैं स्वयं आकाशवाणी के अनेक केन्द्रों पर रहा हूं और मैनें पाया है कि ऐसे श्रोताओं की यह चाहत दीवानगी की सारी हदें पार कर लेना चाहता है।कभी कभी तो अपने प्रिय उदघोषकों से मिलने के लिए वे स्टूडियो तक में घुस जाने की कोशिशें भी कर लिया करते थे।यह दीवानगी अब भले ही कुछ कम हुई हो लेकिन अब भी वे उदघोषकों को भगवान की तरह ही चाहते हैं।ऐसे अनेक श्रोता हैं जो आज भी सक्रिय हैं जो पोस्टकार्ड,फ़ोन काल्स के जरिये अपनी फ़रमाइशों से आकाशवाणी के केन्द्रों से जुड़े हुए हैं।
बात मैं एक ऐसे ही श्रोता की करना चाहूंगा।इन्होंने अब तक 85 केंद्रों में पत्र भेजकर छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे भारत में अपनी एक अलग पहचान बना ली है।ये हैं रायपुर निवासी 52वर्षीय श्री डोमन ठाकुर । पेशे से राज्य सरकार के कर्मचारी श्री ठाकुर का रेडियो के प्रति प्रेम प्रशंसनीय है।वे अनेक रेडियो श्रोता संघ से भी जुड़े हैं।
दिक़्कत इस बात की है कि यह प्रेम अक्सर एकतरफ़ा हुआ करता है।मेरे संज्ञान में आज तक आकाशवाणी महानिदेशालय स्तर से ऐसा कोई मंच नहीं सुलभ किया जा सका है जो इन जैसे समर्पित श्रोताओं से और श्रोता संघों से तादात्म बैठा सके। केन्द्र स्तर पर तो अक्सर फ़रमायशी प्रोग्राम के उदघोषकों तक ही इन सभी की पहुंच हो पाती है।हालांकि श्रोताओं से फीड बैक के लिए दशकों से श्रोता अनुसंधान इकाई कार्यरत हैं लेकिन उनके साथ साथ अगर ऐसे समर्पित श्रोताओं और श्रोता संघों से हम सीधा संवाद स्थापित कर सकें तो वह भी बहुत मायने रखता है।
सक्रिय श्रोता श्री डोमन ठाकुर को आकाशवाणी से उनके इस जुड़ाव के लिए बधाई।
ब्लाग रिपोर्टर - श्री. प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी,लखनऊ।,darshgrandpa@gmail.com