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सूचना और प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने क्षेत्रीय भाषाई प्रसारकों को ‘‘और आवाज तथा ताकत’’ दिए जाने की वकालत की और व्यूअरशिप मेजरमेंट सिस्टम का आह्वान किया जो कि क्षेत्रीय भाषा और दर्शकों की विभिन्न रुचियों की मजबूती को प्रदर्शित करे। ईरानी ने कहा, ‘‘अगर हम प्रसारण परिदृश्य को और शक्तिशाली बनाना चाहते हैं, जो हमारे लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करता है तो सबसे पहली चीज (जो हमें करनी होगी) क्षेत्रीय प्रसारकों को समान महत्व देना होगा चाहे खबर या मनोरंजन हो जैसा कि राष्ट्रीय राजधानी या अंग्रेजी रिपोर्टिंग में दिया जा रहा ।’’ केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि प्रसार भारती ग्रामीण इलाके में सेवा देता है जहां निजी प्रसारकों की दिलचस्पी नहीं होती। वह ‘सरदार पटेल स्मृति व्याख्यान 2017’ में ‘लोकतंत्र के लिए प्रसारण परिदृश्य का मॉडल’ विषय पर संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा, ‘‘ग्रामीण इलाके में व्यूअरशिप आकलन कितना सही है ? अगर हम अपने लोकतंत्र को मजबूती देने के लिए प्रसारण का एक मॉडल ढांचा चाहते हैं तो हमें पहले अपने देश में हमारी व्यूअरशिप के लिए मूल्यांकन तंत्र को लोकतांत्रिक करना होगा। ’’उन्होंने कहा कि प्रसारण का मॉडल ढांचा लोकतांत्रिक व्यूअरशिप पर फोकस होना चाहिए। ईरानी ने कहा, ‘‘यह सही मूल्यांकन तंत्र पर आधारित होना चाहिए जो कि क्षेत्रीय भाषाओं , दर्शकों की अलग-अलग पसंद की ताकत को प्रदर्शित करे और मुख्यधारा एवं क्षेत्रीय मंचों के बीच एजेंडा सेटिंग, सृजनात्मक विषयवस्तु और राजस्व संबंधी मुद्दों पर अंतर को पाटे। ’’
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एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अगर उनका संबोधन क्षेत्रीय भाषा जैसे कि मराठी में भी सामने आए तो यह और ज्यादा लोगों तक पहुंचेगा ।मंत्री ने कहा कि वह हिंदी में संबोधित करना चाहती थीं लेकिन बताया गया कि व्याख्यान का इतिहास रहा है कि यह हमेशा अंग्रेजी में हुआ है। ईरानी ने अपने संबोधन में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं का इस्तेमाल करते हुए कहा कि आजादी के बाद भारत की एकता के लिए अपना योगदान देने वाले पटेल कैसे सोचते कि उनका स्मृति व्याख्यान केवल अंग्रेजी में हो। लोक हित को फायदे और कारोबारी हितों से ऊपर बताते हुए उन्होंने कहा कि दूरदर्शन और आकाशवाणी को चलाने वाले प्रसार भारती देश के उन हिस्सों में सेवाएं मुहैया कराता है जहां निजी क्षेत्र के प्रसारक वहां जाना ना तो इसे वाजिब और न लाभकारी समझते हैं। मंत्री ने कहा कि प्रसार भारती पर भारी जिम्मेदारी है क्योंकि कई भाषाओं में कहने के लिए कई कहानियां होती है और उसे जनहित में कहा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोक प्रसारक खबरों के परिप्रेक्ष्य में ‘‘आम मसाला किस्म की खबरों से दूर रहकर ’’ देश की सेवा करता है। इस तरह की खबरों को ज्यादा तो देखा जा सकता है लेकिन देश के व्यापक हित में नहीं होता ।उन्होंने कहा , ‘‘प्रसारक के तौर पर हम सबसे बड़ी सेवा खबर देकर कर सकते हैं ना कि नाटकीय तत्व जोड़कर। ’’ ईरानी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘मन की बात’ कार्यक्रम एक आदर्श उदाहरण है कि किस तरह प्रौद्योगिकी मंच ने प्रधानमंत्री के संदेश को नागरिकों की समझ और हरेक एपिसोड में उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को लेकर जागरूकता से जोड़ा है ।
Source & Credit :-http://www.prabhasakshi.com/news/national/regional-linguistic-broadcasters-should-get-more-voice-strength-irani/34510.html#
Forwarded By :-Jhavendra Kumar Dhruw jhavendra.dhruw@gmail.com
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