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स्वरचित मौलिक रचना :राम निवास कुमार की कविता

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बेटी का वचन

सम्पूर्ण धरा से चुन-चुन कर,
अच्छी चीजें लाऊँगी
पूरी पृथ्वी को बेल कर भी, 
रोटी मीठी खिलाऊंगी ।

सीख लूँगी अपने पैरों पर,
खड़ा होना आपसे
नही माँगूंगी वस्त्र आभूषण,
कह रही हूँ विश्वास से ।

ओ माता ! ओ पिता ! 
मुझे मत मारो ! मुझे मत मारो !

कर समुन्द्र का मंथन भी,
अमृतपान कराऊँगी
स्वयं भूखी रहकर भी,
भोजन आप जुटाऊँगी ।

तेरे कुल-खानदान की, 
लाज मैं बचाऊँगी
वचन मेरा ये लीजिए,
सीता बन साथ निभाऊँगी ।

हानि-मान न होने दूँगी,
इतना समझ लीजिए
निश्चित वचन निभाऊँगी,
पर जीवन दान दीजिए ।

होगा जब सूर्यास्त तुम्हारा,
स्वयं दीपक बन जाऊँगी
खुद तप सूरज की तरह
उजियाला फैलाऊँगी ।

मिले जरूर सत्यवान हमारा,
इतना मान लीजिए
फिर सावित्री बन दिखलाऊँगी,
पर जीवन दान दीजिए ।

*************************

राम निवास कुमार
स्टेनोग्राफर ग्रेड-1
दूरदर्शन केंद्र
मुजफ्फरपुर (बिहार)
94 700 27048

नोट : इच्छुक व्यक्ति अपनी रचनाओं को krantiblog@gmail.com पर भेज सकते हैं। साथ में अपनी तस्वीर ,नाम ,स्टेशन का नाम ,पदनाम ,मोबाइल नंबर भी भेजें।


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