बेटी का वचन
सम्पूर्ण धरा से चुन-चुन कर,
अच्छी चीजें लाऊँगी
पूरी पृथ्वी को बेल कर भी,
रोटी मीठी खिलाऊंगी ।
सीख लूँगी अपने पैरों पर,
खड़ा होना आपसे
नही माँगूंगी वस्त्र आभूषण,
कह रही हूँ विश्वास से ।
ओ माता ! ओ पिता !
मुझे मत मारो ! मुझे मत मारो !
कर समुन्द्र का मंथन भी,
अमृतपान कराऊँगी
स्वयं भूखी रहकर भी,
भोजन आप जुटाऊँगी ।
तेरे कुल-खानदान की,
लाज मैं बचाऊँगी
वचन मेरा ये लीजिए,
सीता बन साथ निभाऊँगी ।
हानि-मान न होने दूँगी,
इतना समझ लीजिए
निश्चित वचन निभाऊँगी,
पर जीवन दान दीजिए ।
होगा जब सूर्यास्त तुम्हारा,
स्वयं दीपक बन जाऊँगी
खुद तप सूरज की तरह
उजियाला फैलाऊँगी ।
मिले जरूर सत्यवान हमारा,
इतना मान लीजिए
फिर सावित्री बन दिखलाऊँगी,
पर जीवन दान दीजिए ।
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राम निवास कुमार
स्टेनोग्राफर ग्रेड-1
दूरदर्शन केंद्र
मुजफ्फरपुर (बिहार)
94 700 27048
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