दूरदर्शन के पूर्व उप महानिदेशक श्री तेजिन्दर गगन की चर्चित पुस्तक "वह मेरा चेहरा"का दूसरा संस्करण पिछले दिनों प्रकाशित हुआ है।पुस्तक के बारे में वे बताते हैं..."वह अस्सी के दशक का भयावह माहौल था । पंजाब में आतंकवाद अपने चरम पर था । बेकसूर और निरीह लोग आतंकवादियों द्वारा मारे जा रहे थे । फिर श्रीमती इंदिरा गांधी की दुखद और जघन्य हत्या और उस के बाद के सिख विरोधी दंगे । भीतर तक चीर देने वाला अकेलापन । सोशल मीडिया था नहीं और न ही निजी टेलीविज़न चैनल । गिने चुने अखबार थे या फिर आकाशवाणी और दूरदर्शन । ऐसे घातक और अकेले समय में मैंने उस सिख युवा वर्ग की मनःस्थिति पर आधारित एक उपन्यास लिखा जो कभी पंजाब में रहा ही नहीं । 'वह मेरा चेहरा '। हिंदी साहित्य में इस उपन्यास के माध्यम से मेरा बपतिस्मा हुआ ।
इसे नामवर जी और राजेंद्र यादव सहित उस समय के प्रख्यात लेखकों और बुद्धिजीवियों की पर्याप्त सराहना मिली । पहले इसे नेशनल पब्लिशिंग हाउस,नई दिल्ली ने छापा था । लगभग तीस वर्ष के अंतराल के बाद इस उपन्यास का पुनर्प्रकाशन साहित्य भंडार , इलाहाबाद ने किया है , जिसे मैं एक बार फिर आप सब को आदर सहित सौंप रहा हूँ ।
प्रसार भारती परिवार अपने इन गुणी पुरोधा को बधाई देते हुए उनके प्रति अपनी शुभकामनाएं दे रहा है।
ब्लाग रिपोर्टर :- श्री. प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी,लखनऊ।मोबाइल 9839229128