Quantcast
Channel: Prasar Bharati Parivar
Viewing all articles
Browse latest Browse all 9466

शहर में अब गाड़ियों के शोर के बीच वो एंबियंस

$
0
0
शकील साजिद
लिटरेचर लवर
मेरी यादों का शहर
याद है शहर की रेडियाे वाली बारिश...

शहर में अब गाड़ियों के शोर के बीच वो एंबियंस मिसिंग है, जिसमें बरसते पानी की तेज आवाज के बीच खरखराते रेडियाे में बजते नगमे- 
सावन का महीना, पवन करे सोर...,
सावन को आने दो...
बरखा बहार आई...
और हाय हाय से मजबूरी...
जैसे खूबसूरत गाने रेडियो पर बैकग्राउंड में बजते हुए सुनाई देते थे। तेज बारिश से बचने किसी आड़ में खड़े अंजान लोगों में होती दोस्ती और शहर के चौक, मुहल्ले में पुराने लोगों का बैठकर चाय सुड़ककर पीना। लगभग हर मुहल्ले में ऐसी दुकाने होती थीं जहां काफी जोर से रेडियो बजता था। रास्ते से आने-जाने वाले भी गाने सुना करते थे। पुरानी बस्ती, शास्त्री बाजार में ये सीन आम था। टीवी तब उतना ईजी टू यूज और अफाॅर्डेबल नहीं था। 
सुबह पांच बजे वो आकाशवाणी वाली थीम ट्यून को सुनने पर ही लगता था कि सुबह हुई है, ये अब भी बजती है मगर इसे सुनने के लिए आपको सुबह जल्दी उठना होगा। विविध भारती के पुराने गाने बजते और स्कूल के लिए बच्चे तैयार होना शुरू करते। ट्रैवलिंग चाहे ट्रेन से हो, चाहे बस से या फिर सायकिल से, हर जगह रेडियो, ट्रांज़िस्टर की मौजूदगी ज़रूरी होती थी। सैनिकों के लिए हर संडे दोपहर 3 बजे खास जयमाला का शो कोई मशहूर कलाकार ही पेश करता था।

आज भी रायपुर के कमल शर्मा जी की आवाज़ विविध भारती पर देश सुनता है। वो डिस्कवरी के लिए भी वाॅइसओवर करते हैं। किशोर कुमार का शो खुश है ज़माना आज पहली तारीख है आता था। रेडियो सेट गिनी चुनी कंपनियों का आता था। एक कंपनी के रेडियो पर क्यूट सा बच्चा बना होता था। सुंदर बच्चों को मरफी ब्यॉय कहा जाता था। फिल्म बरफी में भिलाई के अनुराग बसु ने भी इसका जिक्र किया। मार्च 1975 में हॉकी विश्वकप जीतने का आंखों देखा हाल जसदेव सिंह ने सुनाया था। वाकई लगा था कि हम मैच लाइव देख रहे हैं। आकाशवाणी रायपुर में युववाणी और फरमाइशी गीतों के साथ-साथ चौपाल में खेती किसानी के गोठ, शास्त्रीय संगीत होते थे। मिर्ज़ा मसूद और लाल रामकुमार सिंह की आवाज़ खूबसूरत लगती थी। गांवों मे धोती कमीज के साथ लाल मोज़े, काले जूते पहनकर साइकिल पर रेडियो या ट्रांज़िस्टर लटकाए चलना स्टेटस सिंबल होता था।

एफएम के रूप में रेडियो लौटा है। उम्मीद है वो दौर भी थोड़ा बदला हुआ सा ही सही, पर लौटेगा।

साभार : दैनिक भास्कर, 16 जुलाई 2017
स्त्रोत :- श्री. झावेंद्र कुमार ध्रुवजी के फेसबुक अकाउंट से

Viewing all articles
Browse latest Browse all 9466

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>