टेलीविजन, एलईडी, एलसीडी और इंटरनेट के जमाने के लोग भले ही रेडियो को गुजरे जमाने की चीज समझे पर इसका क्रेज आज भी बरकरार है। ऐसा मानना है रेडियो प्रेमी उमेश साव का। उमेश के दैनिक जीवन की शुरुआत रेडियो से ही होती है। सुबह उठकर राम चरित मानस का पाठ सुनना उन्हें काफी भाता है। जहां एक ओर उमेश के घर के अन्य लोग टीवी से चिपके रहते हैं, वहीं दूसरी ओर रेडियो से जुडी पुरानी यादों को अपने सीने में समेटे उमेश रेडियो को अपना सबसे बड़ा इंटरटेनर बताता है। चाहे विविध भारती के गीत हो या बिनाका गीत माला के बड़े एंकर अमीन सायनी की आवाज या फिर आकाशवाणी पटना के उद्घोषक बद्री प्रसाद यादव की जादू भरी आवाज। रेडियो की पुरानी स्मृतियां आज भी ताजा हो उठती हैं। ठुमरी हो राग दादरी या लोक गीतों की गूंज। इन सबको लोगों तक पहुंचाने वाले रेडियो को लोग आज तक नहीं भूल पाये हैं। भारतीय संस्कृति से जुड़ी लोक गीतों की अनुगूंज टीवी नहीं बल्कि रेडियो पर ही सुनाई पड़ती है। फगुआ, चौतारी और भोजपुरी लोक गीत जिसमें भारतीय ग्रामीण संस्कृति के गुण हो, रेडियो इन सबका संरक्षक और पोषक है।
स्त्रोत :- http://www.livehindustan.com/jharkhand/kodarma/story-there-are-still-radio-junkies-1182970.html
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