मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से की शामिल होने की अपील
इस बार खरीफ में 48 लाख हेक्टेयर में बोनी का लक्ष्य
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेशवासियों से इस महीने की 20 तारीख को हरियर छत्तीसगढ़ अभियान के तहत राज्य में आयोजित होने वाले वृक्षारोपण समारोहों में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होने की अपील की है। मुख्यमंत्री आज सवेरे आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र से प्रसारित अपनी मासिक रेडियो वार्ता रमन के गोठ की 23वीं कड़ी में जनता को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस त्यौहार को हम सब मिल-जुलकर मनाएंगे। इस वर्ष राज्य में आठ करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य है, जिसे पूरा करने के लिए 20 जुलाई से विशेष अभियान की शुरूआत होगी। लक्ष्य पूर्ति का संकल्प हम सब लेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा-20 जुलाई को छत्तीसगढ़ के सभी जिलों, तहसीलों, विकासखण्डों और पंचायतों में त्यौहार के रूप में वृक्षारोपण समारोह मनाया जाएगा। जिला कलेक्टरों और वन विभाग के अधिकारियों को इसकी तैयारी के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। अगर आप स्वयं की जमीन में या खेत में पेड़ लगाना चाहेंगे तो उसके लिए भी पौधे उपलब्ध हैं। फलदार वृक्षों के पौधे भी उपलब्ध हैं। मुख्यमंत्री ने बारिश के मौसम को ध्यान में रखते हुए अपनी आज की रेडियो वार्ता को खेती-किसानी से जुड़ी योजनाओं पर केन्द्रित रखा।
उन्होंने कहा-इस बार खरीफ मौसम में प्रदेश में 48 लाख हेक्टेयर के रकबे में विभिन्न फसलों की बोनी का लक्ष्य है। इसमें से 36 लाख 50 हजार हेक्टेयर में धान, चार लाख हेक्टेयर में दलहन, तीन लाख हेक्टेयर में तिलहन और लगभग डेढ़ लाख हेक्टेयर में साग-सब्जी तथा गन्ना आदि की फसल लगाने का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री ने श्रोताओं को बताया कि राज्य में इस वर्ष अनाज, दलहन-तिलहन और साग-सब्जी आदि को मिलाकर 91 लाख 76 हजार मीटरिक टन फसल उत्पादन का अनुमान है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि यह लक्ष्य पूर्ण हो और अच्छी फसल से किसानों के घर खुशियों की बरसात हो।
खरीफ में 7.45 लाख क्विंटल बीज और 10.65 लाख टन खाद का इंतजाम
डॉ. रमन सिंह ने कहा-किसानों की सुविधा के लिए योजनाओं का ऐसा ताना-बाना हमने बुना है कि उन्हें हर चीज सही समय पर, बिना किसी दिक्कत के मिल सके। इस वर्ष खरीफ के लिए सात लाख 45 हजार क्विंटल बीजों के साथ-साथ दस लाख 65 हजार मीटरिक टन खाद का भी इन्तजाम किया गया है।
प्रदेश के ग्यारह लाख किसानों को ब्याज मुक्त ऋण सुविधा
किसानों को पहले खेती के लिए 14 प्रतिशत ब्याज पर ऋण लेना पड़ता था। ऊंची दर होने के कारण वे ब्याज पटाने के चक्कर में परेशान रहते थे और डिफाल्टर होने से उनकी प्रगति रूक जाती थी। मंहगे कर्ज के दुष्चक्र को हमने तोड़ दिया है। हमने लगातार ब्याज दर कम की है और अब किसानों को बिना ब्याज के अल्पकालीन कृषि ऋण दे रहे हैं, जिसका लाभ हर साल ग्यारह लाख किसानों को मिलता है। राज्य में किसान पहले सिर्फ 150 करोड़ रूपए का ही ऋण लेते थे, लेकिन ब्याज मुक्त ऋण मिलने के बाद धीरे-धीरे परिवर्तन आया और आज हमारे किसान तीन हजार करोड़ रूपए से अधिक कृषि ऋण उठा रहे हैं। इससे पता चलता है कि छत्तीसगढ़ में किसानों की अर्थव्यवस्था ने कितनी ऊंची छलांग लगाई है। डॉ. सिंह ने कहा-किसानों द्वारा बीस गुना अधिक ऋण लेने से उनके उत्पादन का मूल्य भी कई गुना बढ़ा है। उन्होंने कहा-धान छत्तीसगढ़ की जान है। इसलिए हमने धान खरीदी की शानदार और पारदर्शी व्यवस्था की है, हमारी किसान हितकारी व्यवस्था की तारीफ पूरे देश में हो रही है।
किसानों से तेरह साल में 6.22 करोड़ मीटरिक टन धान खरीदी
मुख्यमंत्री ने बताया – छत्तीसगढ़ में एक हजार 989 उपार्जन केन्द्रों में धान खरीदी की व्यवस्था है। विगत 13 वर्षों में 6 करोड़ 22 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया और किसानों को करीब 64 हजार 730 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया। कृषि लागत कम करने के उपाय, अच्छी फसल, खरीदी की शानदार व्यवस्था आदि के कारण किसानों में समृद्धि बढ़ी है। इसलिए मैं कहता हूं कि किसानों की जिंदगी में सुखद बदलाव आया है।
पहला किसान बाजार धमतरी में शुरू
धमतरी में प्रदेश का पहला ‘किसान-बाजार शुरू किया गया है। जिला प्रशासन की पहल पर ऐसी व्यवस्था की गई है, जिसमें उत्पादक और ग्राहक को नजदीक लाया गया है और मध्यस्थ को हटा दिया गया है। इस तरह सब्जी उत्पादक किसानों को अपनी उपज का अच्छा दाम मिल रहा है और नागरिकों को सस्ती और ताजी सब्जी मिल रही है।’किसान-बाजार में सब्जी उत्पादकों के सत्यापन, पंजीयन, काउंटर आवंटन, तौल-मशीन आदि की व्यवस्था की गई है। सब्जी की दर एक समिति तय करती है। यहां रोज लगभग डेढ़ टन सब्जी सुबह दो घण्टे में बिक जाती है। मैं चाहता हूं कि ऐसी व्यवस्था अन्य जिलों में भी हो।
छत्तीसगढ़ पहला राज्य, जहां पांच हार्सपावर तक पम्पों को नि:शुल्क बिजली
मुख्यमंत्री ने कहा-छत्तीसगढ़ पहला राज्य है, जिसने 5 हार्सपावर के पम्पों तक नि:शुल्क विद्युत प्रदाय की सुविधा दी है। प्रति पम्प 7500 यूनिट तक नि:शुल्क बिजली हर साल दी जा रही है। इससे प्रति किसान औसतन 31 हजार रुपये का वार्षिक लाभ मिल रहा है। अनुसूचित जाति/जनजाति के किसानों को प्रति किसान औसतन 50 हजार रुपये का लाभ इस योजना से मिल रहा है। इतना ही नहीं, जहां परंपरागत बिजली देना संभव नहीं, वहां ”सौर सुजला योजना के माध्यम से दो वर्षों में 51 हजार सोलर पम्प देने की योजना शुरू की गई है। इस योजना में 3 लाख से 5 लाख रूपये मूल्य का पम्प किसानों को केवल 7 हजार से 20 हजार रूपये तक में दिया जा रहा है। 12 हजार किसानों को इस योजना का लाभ मिल चुका है। डॉ. रमन सिंह ने श्रोताओं को यह भी बताया कि राज्य के किसानों को योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए हर दो गांव के बीच एक किसान संगवारी नामांकित किया गया है और प्रत्येक जिला मुख्यालय में किसान मितान केन्द्र खोले जा रहे हैं। उन्होंने कहा-किसान मितान केन्द्रों में किसानों को एक ही छत के नीचे खेती-किसानी से जरूरी जानकारी मिलेगी और सभी संबंधित विभागों का मार्गदर्शन और सहयोग मिलेगा।
ड्रिप-स्प्रिंकलर के लिए भी किसानों को अनुदान
डॉ. रमन सिंह ने अपनी रेडियो वार्ता में बताया-लघु एवं सीमांत किसानों को स्प्रिंकलर के लिये 11 हजार 800 रूपए तथा अन्य किसानों को 7 हजार 800 रूपए का अनुदान दिया जा रहा है। इसी तरह ड्रिप के लिये भी 40 हजार से 60 हजार रूपए प्रति हेक्टेयर तक अनुदान दिया जा रहा है। वर्ष 2016-17 में लक्षित 29 हजार हितग्राहियों की संख्या वित्तीय वर्ष 2017-18 में बढ़ाकर 1 लाख से अधिक की गई है। माइक्रो-एरीगेशन के लिए नाबार्ड से 193 करोड़ रूपये का ऋण लेकर बड़े पैमाने पर सिंचाई सुविधा देने का निर्णय लिया गया है।
राज्य के बारह हजार से अधिक गन्ना किसानों को बोनस का भुगतान
उन्होंने रेडियो श्रोताओं को बताया- प्रदेश में सहकारी क्षेत्र में 4 शक्कर कारखाने स्थापित किए गए हैं। प्रदेश के 12 हजार से अधिक किसानों को लगभग 33 हजार रूपये औसत की दर से गन्ना बोनस का भुगतान किया गया है। परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत छह जिलों सरगुजा, सूरजपुर, जशपुर नगर, कोण्डागांव, दंतेवाड़ा और कोरबा के गांवों में जैविक प्रमाणीकरण का अभियान चलाया जा रहा है। इस जिले में 9 हजार एकड़ क्षेत्र के 8 हजार से अधिक कृषकों को इसमें शामिल किया गया है। जैविक खेती मिशन में 5 जिले गरियाबंद, नारायणपुर, बीजापुर, सुकमा एवं दंतेवाड़ा तथा 22 जिलों के एक-एक विकासखंड को पूर्ण जैविक बनाने की कार्ययोजना तैयार की गई है। मुख्यमंत्री ने बताया -पर ड्रॉप मोर क्रॉप योजना में 59 करोड़ रूपए की लागत से 4 हजार 860 हेक्टेयर में ड्रिप तथा 23 हजार से अधिक हेक्टेयर में स्पिं्रकलर सिस्टम स्थापित किये गये हैं।
नदी-नालों के किनारे 29 हजार से अधिक सेलो ट्यूबवेल
डॉ. रमन सिंह ने कहा-राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत नदी, नालों के किनारे 29 हजार से अधिक सेलो ट्यूबवेल का खनन किया गया है, साथ ही 15 करोड़ रूपए की लागत से 185 चेक डेम का निर्माण किया गया है। किसान समृद्धि योजना के तहत वर्ष 2016-17 में 5 हजार किसानों के खेतों में 14 करोड़ रूपए की लागत से नलकूप का खनन किया गया है। शाकम्भरी योजना में लघु सीमांत कृषकों को 8 हजार 300 कूप खोद कर दिए गए तथा 1 लाख 86 हजार से अधिक पंप दिए गए। मुख्यमंत्री ने रमन के गोठ में बताया-खरीफ क्रांति विस्तार योजना में 4 लाख 76 हजार कृषकों को 108 करोड़ रूपये की लागत से बीज, फसल प्रदर्शन, एकीकृत कीटनाशक, बोरवेल, कृषि यंत्र आदि का लाभ दिया गया है। किसानों को 58 लाख रूपये से अधिक नि:शुल्क खसरा एवं नक्शा की प्रतिलिपि दी गई है। प्रदेश का सिंचित रकबा 22 प्रतिशत से बढ़कर 34 प्रतिशत हो गया है। अभियान लक्ष्य भागीरथी के तहत 106 पुरानी तथा अपूर्ण योजनाओं को पूर्ण करने से 51 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में नवीन सिंचाई क्षमता बनी है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में खारंग, मनियारी और केलो का चयन
डॉ. रमन सिंह ने श्रोताओं को बताया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में जल की मांग और उपलब्धता के अंतर को कम करने के लिए जिला तथा राज्य स्तरों पर अलग-अलग सिंचाई योजना तैयार की गई है। ‘फास्ट ट्रेक प्रगति के लिए राज्य की 3 सिंचाई परियोजनाओं- खारंग, मनियारी और केलो का चयन किया गया है। वर्ष 2019 तक इन योजनाओं में 42 हजार 625 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता सृजित होगी। डॉ. सिंह ने कहा- देश में पहली बार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए समयबद्ध कार्यक्रम बनाया गया है। जिसमें जलवायु, मिट्टी, स्थानीय विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए, रोड मैप तैयार किया गया है कि किस परिस्थिति में कौन सी फसल लेनी चाहिए।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
मुख्यमंत्री ने कहा-प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू करके जो क्रान्तिकारी पहल की थी, उसका भरपूर लाभ छत्तीसगढ़ के किसानों को मिल रहा है। सूखा पडऩे के अलावा खेतों पर खड़ी या खलिहान में रखी फसल को आग, पानी व अन्य तरह से सुरक्षा देने के लिए भी यह योजना एक वरदान है। ऋण लेने वाले किसानों के अलावा अऋणी किसान अर्थात् जो किसान कर्ज नहीं लेते और जिसमें भू-धारक तथा बटाईदार भी शामिल हैं, सभी को प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ दिया जा रहा है। प्रदेश में धान सिंचित, धान असिंचित, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, अरहर, मूंग, उड़द, उद्यानिकी फसलों जैसे केला, पपीता, अमरूद, टमाटर, भाटा, मिर्ची, अदरक, पत्तागोभी, फूलगोभी, प्याज आदि को भी बीमा के दायरे में लाया जा चुका है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना : सोलह लाख से ज्यादा किसानों को फायदा
विगत वर्ष खरीफ तथा रबी फसल को मिलाकर राज्य में 16 लाख से अधिक किसानों को इस योजना का लाभ मिला, जिसके लिए कुल 340 करोड़ रूपये की राशि प्रीमियम के रूप में सरकार द्वारा दी गई, जिसमें केन्द्र और राज्य सरकार की 50-50 प्रतिशत की भागीदारी होती है। वर्ष 2015 के सूखे में किसानों को हुए नुकसान के एवज में 650 करोड़ रूपये के बीमा दावे का भुगतान प्रभावित किसानों को किया गया।
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