देश के अलग-अलग हिस्से में तमाम लोग अपने-अपने स्तर पर बदलाव की इबारत लिख रहे होते हैं। कोई समाज में बदलाव की चाह रखता है तो कोई चेहरे के बल पर नही बल्कि काम के बल पर पहचान बनाना चाहता है, कोई गरीबों का डॉक्टर है तो कोई अपने क्षेत्र का ‘सिंघम’ माना जाता है और कोई जनता की दीदी बन जाती है। लेकिन सबका मकसद एक ही है – समाज की बुराईयों को दूर करना, जनता की सेवा करना और लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना ----
..... युवा आईएएस राहुल कुमार अभी बिहार के गोपालगंज के डीएम हैं। बतौर डीएम राहुल कुमार ने सामाजिक बुराइयों के खिलाफ कई कदम उठाए। जिस एक घटना ने सबका ध्यान उनकी ओर खींचा, वह था एक विधवा को उसका हक दिलाने के लिए कानून की किताब से बाहर निकलकर कोशिश करना। गोपालगंज के एक गांव के दबंगों ने मिड डे मील बनाने वाली सुनीता देवी के हाथ से बने खाना खाने पर पाबंदी लगाने का फरमान सुनाया। उनका तर्क था कि विधवा के हाथों से बना खाना शुद्ध नहीं होता। इस कुरीति को दूर करने के लिए राहुल खुद स्कूल गए और सुनीता देवी के हाथों से बना खाना सबके सामने खाया।
वो कहते हैं: हम आईएएस में इसलिए भी हैं कि सामाजिक स्तर पर भी अपना योगदान दे सके। समाज में कई तरह की दिक्कतें और रुकावटें अब भी हैं। बतौर प्रशासनिक अधिकारी अगर मैं बुराइयों को हटाने या कम करने में थोड़ा भी योगदान निभाता हूं तो यह मेरी बहुत बड़ी कामयाबी होगी।
Source and full details : http://navbharattimes.indiatimes.com/ (2016)