श्रोताओं से फीड बैक और अनुसंधान करके श्रोताओं की नब्ज़ टटोलने और तदनुकूल कार्यक्रम बनाने के उद्देश्य से आकाशवाणी में श्रोता अनुसंधान इकाइयों का गठन हुआ ।था।शायद इसी के चलते देश भर में कोई भी रेडियो प्रसारण एजेंसी आकाशवाणी की तुलना में अभी तक आगे नहीं बढ़ सकी है, क्योंकि इसी के पास इतना बड़ा श्रोता फीड बैक और अनुसंधान सहायक नेटवर्क है। आकाशवाणी की श्रोता अनुसंधान इकाई तत्काल फीड बैक और अनुसंधान सहायता न केवल अपने आंतरिक कार्यक्रम आयोजनाकारों और निर्माताओं को देती है बल्कि यह अपने प्रायोजकों, विज्ञापन दाताओं और विपणनकर्ताओं को भी जानकारी प्रदान करती है।बदलते हुए जनसंचार परिदृश्य के साथ, विशेष रूप से बाजार उन्मुख प्रसारण के लिए, आकाशवाणी की श्रोता अनुसंधान इकाई में स्वयं को एक नया रूप दिया है। अब प्रायोजकों, विज्ञापनदाताओं और विपणनकर्ताओं के बीच अपने लिए एक जगह बना लें और बदलावों को अपनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। यह विभिन्न एजेंसियों द्वारा हाल ही में श्रोता अनुसंधान इकाइयों को सौंपे गए अध्ययन कार्यों से स्पष्ट है।प्रायोजित अध्ययनों के अलावा श्रोता अनुसंधान नेटवर्क द्वारा नियमित रूप से रेडियो लिसनरशिप सर्वेक्षण कराए जाते हैं ताकि कार्यक्रम निर्माताओं और विज्ञापन दाताओं को आकाशवाणी पर विज्ञापन देने में रुचि बनाए रखने के लिए अद्यतन आंकड़े प्रदान किए जा सकें।इसी उद्देश्य हेतु 8जून 1963को आकाशवाणी लखनऊ में भी इस इकाई का गठन हुआ था जो आज भी अधिकारी/कर्मचारी बल की कमी के बावज़ूद काम कर रहा है।अक्सर केन्द्र पर आने वालों को ये मुख्य परिदृश्य में दिखाई नहीं देते हैं।केन्द्र के मुख्य भवन की पहली मंजिल के संकरे गलियारे से होकर बेहद पुराने कमरे में कार्यरत लगभग हाशिए पर ही रहकर यह यूनिट काम करते रहती है।इसीलिए यह और भी बधाई की सुपात्र है।इसकी 54वीं स्थापना दिवस पर इसे प्रसार भारती ब्लाग की ओर से हार्दिक बधाई देने और आगे भी बेहतर काम करते रहने की शुभकामनाएं तो मिलनी ही चाहिए...इसके लिए चाहे मुझ जैसे रिटायर्ड लोगों को ही क्यों न सामने आना पड़े !सो,हैप्पी एनिवर्सरी टू यू..।
Forwarded by :- prafulla kumar Tripathi,darshgrandpa@gmail.com