बड़े गज़ब के हैं डॉक्टर अनिल सैकिआ
आकाशवाणी के लिए बिहू पर रूपक के निर्माण के सिलसिले में अपर असम में कई लोगों से मिलना हो रहा है.पिछली ०९ अप्रैल को शिबसागर में डॉक्टर अनिल सैकिआ से जब मुलाक़ात हुई तो बिहू और अखमिया लोकसंस्कृति के बारे में उनकी जानकारी से मैं हतप्रभ था.पता चला कि आप कुछ महीनों पहले मोरान डिग्री कॉलेज के प्रिंसिपल पद से रिटायर हुए हैं.और आज कल असम साहित्य सभा के शतवार्षिकी सम्मलेन की तैयारियों के सिलसिले में जोर शोर से लगे हैं.असम साहित्य सभा का शतवार्षिकी सम्मलेन ०१ से ०५ फरवरी २०१७ शिबसागर में होगा.बड़ा कार्यक्रम है.राष्ट्रपति उद्घाटन कर सकते हैं.कल सैकिआ साहब के घर मोरान जाने का मौक़ा मिला.मोरान डिब्रूगढ़ से ४० किलोमीटर की दूरी पर है.सैकिआजी का घर क्या है मानो संगीत और साहित्य का संग्रहालय.दर्जनों तो आपके पास ग्रामोफ़ोन रिकॉर्ड प्लेयर्स हैं.और सैकडों एल पी.कुछ छोटे रिकार्ड्स भी हैं जो प्लास्टिक के बने हैं.संगीत और साहित्य का ऐसा साधक,असम के एक छोटे से कस्बे में रह कर बिना किसी प्रचार के शांति से अपना जीवन गुज़ार रहा है और समाज सेवा में लगा है.सैकिआजी का परिवार बड़ा ही आत्मीय परिवार है.एक पुत्र है जो बंबई में फिल्मों में म्यूजिक देने के काम में पिछले ०५ साल से लगा है.भाभीजी बहुत ही विनम्र महिला हैं.सैकिआजी को कल कई संस्थाओं ने बिहू के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया था.मुझे भी उनके साथ जाने का मौक़ा मिला.उनके साथ के चलते यह नाचीज़ विशिष्ट अतिथि बनाया गया.
Source and Credit : Pratul Joshi