कला,साहित्य,संस्कृति और भाषा के लिए प्रतिबद्ध ‘श्यामलम’ संस्था द्वारा कला एवं संस्कृति साधकों पर केन्द्रित कार्यक्रम ’संस्कृति परिक्रमा’ का चतुर्थ आयोजन बुन्देली लोक गायकी के साधक शिव रतन यादव के सांस्कृतिक अवदान पर केन्द्रित रहा।
रवीन्द्र भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्हें श्यामलम संस्था और मंचासीन अतिथियों द्वारा शाल-श्रीफल, स्मृति चिन्ह और सम्मानपत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। नगर की कला, साहित्य, संस्कृति, समाज सेवा से जुडी़ संस्थाओं और गणमान्य नागरिकों द्वारा भी यादव को सम्मानित कर उनके जन्म दिन का संयोग होने पर शुभ कामनाएं दी गईं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिल्ली से आए भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक सुप्रसिद्ध कवि लीलाधर मंडलोई ने कहा कि समूचे बुंदेलखंड में लोकगीतों की समृद्ध परंपरा है। पूर्व में आकाशवाणी और दूरदर्शन के महानिदेशक रह चुके मंडलोई ने कहा कि उन्होंने छतरपुर, टीकमगढ़ तथा सागर की गलियों में घूम-घूमकर लोक संस्कृति और गायन की परंपरा समझी तथा उसे आकाशवाणी व दूरदर्शन के माध्यम से संजोकर संरक्षित रखा गया है।
कार्यक्रम का प्रारंभ में ऐश्वर्या दुबे ने सरस्वती वंदना की। श्यामलम संयोजक श्याम पाण्डेय ने स्वागत भाषण दिया। कपिल चौरासिया ने स्वागत गीत गाया। शिवरतन यादव द्वारा प्रशिक्षित बालिकाओं ने बाल-गीत और बुन्देली संस्कार गीतों कि मनमोहक प्रस्तुति भी दी। कवि ऋषभ समैया ने सम्मान पत्र का वाचन किया। कार्यक्रम का संचालन सतीश साहू और रचना तिवारी ने किया।
लोकगायक के कृतित्व पर बोले अतिथि
इस अवसर पर कवि, आलोचक महेंद्र सिंह भोपाल ने कहा कि लोक बहुत व्यापक है। लोक से, जीवन से जुड़ी़ तमाम चीजें ही समय और समाज को जीवंत बनाती हैं। विशिष्ट अतिथि नाट्यकर्मी प्रशांत पाठक नीलू भोपाल ने मंडलोई के कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। डाॅ. महेश तिवारी ने शिवरतन यादव का जीवन परिचय दिया। अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅ. सुरेश आचार्य ने कहा कि शिवरतन यादव की गीत साधना की ऊँचाई और उनके व्यक्तित्व से आने वाली पीढ़ियां प्रेरणा लेंगी। शिवरतन यादव ने अपने सम्मान को सागर वासियों के स्नेह और प्रेम का प्रतिफल बताते हुए श्यामलम संस्था का आभार जताया। लोगों के अनुरोध पर उन्होंने कवि ईसुरी की एक रचना का सुमधुर गायन कर मंत्रमुग्ध कर दिया।
रवीन्द्र भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्हें श्यामलम संस्था और मंचासीन अतिथियों द्वारा शाल-श्रीफल, स्मृति चिन्ह और सम्मानपत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। नगर की कला, साहित्य, संस्कृति, समाज सेवा से जुडी़ संस्थाओं और गणमान्य नागरिकों द्वारा भी यादव को सम्मानित कर उनके जन्म दिन का संयोग होने पर शुभ कामनाएं दी गईं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिल्ली से आए भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक सुप्रसिद्ध कवि लीलाधर मंडलोई ने कहा कि समूचे बुंदेलखंड में लोकगीतों की समृद्ध परंपरा है। पूर्व में आकाशवाणी और दूरदर्शन के महानिदेशक रह चुके मंडलोई ने कहा कि उन्होंने छतरपुर, टीकमगढ़ तथा सागर की गलियों में घूम-घूमकर लोक संस्कृति और गायन की परंपरा समझी तथा उसे आकाशवाणी व दूरदर्शन के माध्यम से संजोकर संरक्षित रखा गया है।
कार्यक्रम का प्रारंभ में ऐश्वर्या दुबे ने सरस्वती वंदना की। श्यामलम संयोजक श्याम पाण्डेय ने स्वागत भाषण दिया। कपिल चौरासिया ने स्वागत गीत गाया। शिवरतन यादव द्वारा प्रशिक्षित बालिकाओं ने बाल-गीत और बुन्देली संस्कार गीतों कि मनमोहक प्रस्तुति भी दी। कवि ऋषभ समैया ने सम्मान पत्र का वाचन किया। कार्यक्रम का संचालन सतीश साहू और रचना तिवारी ने किया।
लोकगायक के कृतित्व पर बोले अतिथि
इस अवसर पर कवि, आलोचक महेंद्र सिंह भोपाल ने कहा कि लोक बहुत व्यापक है। लोक से, जीवन से जुड़ी़ तमाम चीजें ही समय और समाज को जीवंत बनाती हैं। विशिष्ट अतिथि नाट्यकर्मी प्रशांत पाठक नीलू भोपाल ने मंडलोई के कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। डाॅ. महेश तिवारी ने शिवरतन यादव का जीवन परिचय दिया। अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅ. सुरेश आचार्य ने कहा कि शिवरतन यादव की गीत साधना की ऊँचाई और उनके व्यक्तित्व से आने वाली पीढ़ियां प्रेरणा लेंगी। शिवरतन यादव ने अपने सम्मान को सागर वासियों के स्नेह और प्रेम का प्रतिफल बताते हुए श्यामलम संस्था का आभार जताया। लोगों के अनुरोध पर उन्होंने कवि ईसुरी की एक रचना का सुमधुर गायन कर मंत्रमुग्ध कर दिया।
Forwarded By:Jhavendra Dhruw,jhavendra.dhruw@gmail.com