हिन्दी फिल्मों का एक दौर था जब अमीर हीरोइन और गरीब हीरो के बीच इश्क दिखाया जाता था। इसमें एक दृश्य होता था जिसमें अमीर बाप हीरो के सामने चेकबुक फेंककर कहता था-”तुमने मेरी बेटी को इसलिए फंसाया कि यह अमीर है और भोली है। खाली चेक में जितना चाहे पैसा भरो और दफा हो जाओ, मेरी बेटी का पीछा छोड़ो।’ ऐसे बाप एक फिल्म में नहीं, अनेक फिल्मों में बने जयपुर में जन्मे अभिनेता पिंचू कपूर। जिन लोगों ने राज कपूर की “बॉबी’ फिल्म देखी है, उन्हें याद होगा कि इसमें ऋषि कपूर डिम्पल कपाड़िया से प्रेम करते हैं, लेकिन ऋषि कपूर के पिता बने प्राण अपना बिजनेस आगे बढ़ाने के लिए एक धनाढ्य मिस्टर शर्मा की मंदबुद्धि पुत्री (फरीदा जलाल) से उसका विवाह कराना चाहते हैं। इसमें मिस्टर शर्मा के किरदार में थे पिंचू कपूर। पिंचू कपूर ने ज्यादातर फिल्मों में ऐसी ही भूमिकाएं निभाईं जिनमें वे अमीर या उद्योगपति होते हैं और जिसके अंडरवर्ल्ड से तार जुड़े होते हैं।
खास बात यह कि पिंचू कपूर अपने वास्तविक जीवन में भी काफी सम्पन्न और रईस थे। जब थिएटर से जुड़े लोगों के पास टू-व्हीलर भी नहीं होते थे, तब वे जयपुर की सड़कों पर फोर्ड कार में घूमते थे। यह वो दौर था जब ओम शिवपुरी, मोहन महर्षि और भानु भारती जैसे लोग जयपुर थिएटर में सक्रिय थे। नाटकों में उस दौर के गवाह रहे मदन शर्मा बताते हैं-”उस समय रवीन्द्र मंच नहीं था और गवर्नमेंट हॉस्टल की पहली मंजिल पर बने हॉल में पिंचू कपूर के साथ हमने “जूलियस सीजर’, “कुत्ते की मौत’ जैसे कई नाटक किए।’
पिंचू कपूर के परिवार में पैसे की कमी नहीं थी और जयपुर में खासा कोठी के पास स्टेशन रोड पर उनकी अपार संपत्ति थी, लेकिन उन्होंने शौकिया तौर पर आकाशवाणी में प्रोडक्शन असिस्टेंट की नौकरी की। राज कपूर से उनके पारिवारिक रिश्ते थे और एक बार शशि कपूर जयपुर आए तो वे पिंचू कपूर को अपने साथ मुंबई ले गए। ये साठवें दशक के शुरुआती साल थे। इससे पहले जयपुर में रहते हुए उन्होंने कुछ फिल्में की, जिनमें “अनमोल घड़ी’ उनकी पहली फिल्म थी। मुंबई आने के बाद उन्होंने कोई फ्लैट नहीं लिया और वे एक होटल के कमरे में ही रहे। पिंचू कपूर को जिन फिल्मों के लिए याद किया जाएगा उनमें “अवतार’, “कर्ज’, “रोटी’, “खुद्दार’,”खानदान’,”हेराफेरी’,”ईमान-धर्म’ और “डॉन’ जैसी फिल्में शामिल हैं। अमिताभ बच्चन अभिनीत सुपरहिट फिल्म “डॉन’ में उन्होंने इंटरपोल ऑफीसर आर.के. मलिक की चर्चित भूमिका की। “डॉन’ की शूटिंग के बाद उनका निधन हो गया, इसलिए फिल्म रिलीज हुई तो उसकी शुरुआत में पूरी फिल्म पिंचू कपूर को समर्पित किए जाने की पंक्तियां परदे पर दिखाईं गईं।
पिंचू कपूर का 28 अप्रैल, 1989 को 62 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनकी कई फिल्में उनके निधन के बाद रिलीज हुईं। फिल्म “अफसर’ सहित 8-10 फिल्मों की बाद में डबिंग आर्टिस्ट चेतन शीतल से डबिंग कराई गई।
"पिंचू ये क्या हुआ?"
पिंचूकपूर एक बार जयपुर रेडियो स्टेशन पर अपने समय के विख्यात अभिनेता नंदलाल शर्मा के साथ एक नाटक में भूमिका कर रहे थे, जो लाइव ब्रॉडकास्ट हो रहा था। अचानक पिंचू कपूर अपने डायलॉग भूल गए। कुछ क्षण चुप रहे। फिर अचानक उन्होंने अपने माथे पर हाथ मारा और कहा-"व्हाट हैपन्ड टू यू पिंचू?'उनकी यह टिप्पणी भी लाइव ब्रॉडकास्ट में चली गई। ...........
द्वारा अग्रेषित :- Shri. Jhavendra Dhruw.jhavendra.dhruw@gmail.com