
सालों से छत्तीसगढ़ी लोकगायन को समर्पित ममता ने नौ साल की उम्र से ही स्टेज पर गाना शुरू कर दिया था। ममता को प्रदेश का सबसे प्रतिष्ठित दाऊ मंदराजी सम्मान भी मिल चुका है। वह अभी आकाशवाणी रायपुर में केंद्र निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। एक समय ऐसा भी आया था जब उनके गुरू ने उन्हें संगीत की शिक्षा देने से ही इनकार कर दिया था पर ममता चंद्राकर ने हार नहीं मानी और वे लोक संगीत के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा और लगने के बल पर आगे बढती गयी और आज वे छत्तीसगढ की लोकसंगीत कला का पर्याय बन कर उभरी हैं ।

ब्लॉग रिपोर्ट—प्रवीण नागदिवे, ARU AIR Mumbai