आज भारतरत्न बाबा साहेब अंबेडकर की 125 वीं जयंती है। भारत के इस सपूत का जन्म 14 अप्रैल 1891 को इंदौर के निकट मऊ में हुआ था। वे मानव-मुक्ति के महानायक थे और समग्र मानवीयता के वे अग्रदूत थे। इस महामानव ने समाज में क्रांति लाने के लिए शांति का उद्घोष किया और युद्ध को नहीं बल्कि बुद्ध के धम्म को अपनाया। हम सभी भारतरत्न बाबा साहेब अंबेडकर को भारत के संविधन निर्माताओं में से एक के रूप में पहचानते हैं। वे भारतीय संविधान के प्रणेता तो थे ही, साथ ही स्वतंत्रता पूर्व प्रांतीय सरकार में श्रम मंत्री के रूप में कार्यरत थे। श्रम मंत्री के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने कई योजनाओं को अग्रेषित किया। जैसे बड़ी बड़ी निदयों पर बडे बड़े बांध, मज़दूरों और महिलाओं के लिए आठ घंटे कार्य का निर्धारण इत्यादि। उनके लिखे आर्थिक और सामाजिक विषयों पर निबंध आज विश्व के कई महाविद्यालयों में पढ़ाए जाते हैं। यह उनके दृष्टा होने का परिचायक भी है। उन्होंने बुद्ध के सिद्धांतों को अपनाया क्योंकि वे जानते थे कि ज्ञान से ही विकास संभव है।
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