किसी शायर ने ठीक ही कहा है-"लखनऊ शहर की तासीर ही कुछ ऐसी है,हाज़िरी हजार बार हो जाए,हसरत नहीं जाती है।"तो जनाब इस शहर ए लखनऊ ने यूं तो नवाबी शान -ओ- शौकत से लेकर अंग्रेज़ी हुक़ूमत के ठाठ- बाट और उनके ज़ुल्म- ओ -सितम ख़ूब - ख़ूब देखे और सहे हैं ।बावज़ूद इन सबके इस शहर ने दुनियां को अपनी तहज़ीब, कला,संगीत और मुहब्बत का पैग़ाम बांटने का सिलसिला हमेशा से जारी रक्खा है।आज कई मायनों में लखनऊ बदल रहा है लेकिन उसकी हर शाम अब भी कुछ ख़ास हुआ करती है।गोमती नदी जो उपेक्षित सी थी अब रिवर फ्रन्ट की ख़ूबसूरती में इठलाती सी नज़र आ रही है।मुख्य बाज़ार हजरतगंज ,शहर के नये और पुराने आडिटोरियम,संगीत नाटक अकादमी,भातखंडे संगीत संस्थान,हिन्दी संस्थान,भारतेन्दु नाटक अकादमी,कई पार्कों में बने ओपेन एयर थियेटर,बारादरी,...हर जगह कुछ न कुछ ऐसा होता रहता है जो शहर की हर ख़ूबसूरत शाम में सलमे सितारे टांक- टांक जाता है।
गत 5फ़रवरी को राय उमानाथबलीआडिटोरियम में आयोजित "कोशिश"नामक वीडियो एल्बम के लोकार्पण समारोह की एक ऐसी ही ख़ूबसूरत मौसिक़ी भरी शाम का गवाह बना शहर ए ख़ास लखनऊ ।शहर की प्रतिष्ठित पैथालाजिस्ट और आकाशवाणी तथा मंच की प्रसिद्ध कलाकार डा0निधि निरंजन की गाई आठ संगीत प्रस्तुतियों को समेटे इस वीडियो सी0डी0 को इतिहासविद और साहित्यकार डा0योगेश प्रवीन ने लोकार्पित किया ।स्वरांजलि मीडिया प्रोडक्शन के बैनर तले बने इस सी0डी0के प्रस्तुतकर्ता /साउंड इंजीनियर आकाशवाणी लखनऊ के सेवा निवृत्त संगीत संयोजक श्री हेम सिंह हैं।अपने सधे हुए अंदाज़ में एफ0एम0रेनबो के आर0जे0 विजय अग्निहोत्री ने समारोह का संचालन किया ।इस सी0डी0में भजन,गीत,गज़ल और पारंपरिक लोकगीत की कुल आठ रचनाएं हैं जिन्हें अपने उस्ताद अब्दुल मजीद खां साहब के संगीत निर्देशन में डा0निधि निरंजन ने अपना मखमली स्वर दिया है।संगीत प्रेमी श्रोताओं के लिए ये सभी रचनाएं यू ट्यूब पर भी सुलभ हैं।इस वीडियो एल्बम को संगीत के जानकार लोगों की भरपूर सराहना मिल रही है।समारोह में उपस्थित आकाशवाणी लखनऊ के सुगम संगीत की एक प्रतिष्ठित कलाकार श्रीमती किरन वैश्य के शब्दों में "इन रचनाओं की प्रस्तुति के सराहनीय योगदान से डा0निधि निरंजन ने शहर की संगीत निधि को और भी मूल्यवान बना दिया है।"
*ब्लाग रिपोर्ट-प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी,से0नि0कार्यक्रम अधिकारी,आकाशवाणी,लखनऊ।मोबाइल नं०9839229128ईमेल;darshgrandpa@gmail.com