आकाशवाणी शिलांग में नियुक्त कार्यक्रम अधिकारी श्री प्रतुल जोशी इन दिनों अपर असम में भ्रमण पर हैं और उनका एकसूत्री एजेंडा "बिहू"त्यौहार और उससे जुड़े प्रसंगों पर एक फीचर बनाना है ।इसी सिलसिले में वे जब पिछले दिनों शिबसागर पहुंचे तो उनकी मुलाक़ात हुई दिजेन गोगोई साहब से ।बड़े गज़ब के हैं गोगोई साहब । जी हां , वे विलश्रण प्रतिभा के एक ऐसे कलाकार हैं जो 65 किस्म के वाद्य यन्त्र बजा भी सकते हैं और बना भी सकते हैं ।इनकी एक दुकान घर के भीतर है जहाँ वाद्य यंत्रों की बिक्री होती है ।
इन दिनों इनके पास बिहू के चलते बहुत सारे लोग बांसुरी,पेपा, गोगोना आदि खरीदने पहुँच रहे हैं । पेपा एक ऐसा वाद्ययंत्र है जो सामान्यतः भैंस के सींग से बनता है और मुश्किल से आधे फ़ीट का होता है ।लेकिन गोगोई साहब ने ऐसा पेपा बनाया है जो बांस का है और १२ फ़ीट से ज़्यादा लंबा है ।इन्होने एक ऐसी अदभुत बांसुरी भी बनायी है जिसे सात व्यक्ति एक साथ मिल कर बजा सकते हैं ।वाकई अद्भुत कलाकार हैं दिजेन गोगोई ।लेकिन इन्हें किसी पुरस्कार वगैरह का मोह नहीं ।इनकी एक ही चिंता है और वह यह कि असम की लोक संस्कृति को कैसे ज़िंदा रखा जाए ।वह अपने बहुत से शिष्यों को अपनी कला के विविध गुण सिखाने में लगे हैं।ब्लॉग लेखक को ये जानकारियाँ देते हुए प्रतुल जी भावुक हो उठे ।सचमुच ऐसे कलकारों की सेवा वंदनीय है ।उनकी कलात्मकता को सलाम !
ब्लॉग रिपोर्ट - प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी, लखनऊ; मोबाइल नंबर 9839229128,darshgrandpa@gmail.com