मनोज भार्गव का जन्म 1952 में Lucknow में हुआ था। जब वो 14 साल के थे तो उनका परिवार Philadelphia, अमेरिका चला गया।
मनोज Maths wizard माने जाते थे और उन्हें वहां एक private boarding school में स्कालरशिप मिल गयी। Schooling पूरी होने के बाद 1972 में उन्हें दुनिया की सबसे अच्छी universities में से एक Princeton में दाखिला मिल गया।
पर एक साल पढाई करने के बाद मनोज को लगा कि इस पढाई से कुछ फायदा नहीं है। और वो कॉलेज ड्रॉपआउट हो गए। कॉलेज में उन्होंने कुछ सीखा हो या ना सीखा हो पर साथ में पढने वाले दुनिया के सबसे अमीर students के संपर्क में आकर वो ये जान गए कि बहुत पैसा होने पर भी लोग परेशान ही रहते हैं। यही कारण था कि मनोज आध्यात्म की तरफ मुड़ गए और इंडिया वापस आ गए। स्वामी विवेकानंद ने उन्हें बहुत प्रभावित किया और वे आज भी वो उनकी प्रेरणा से काम कर रहे हैं।
मनोज भार्गव 12 साल तक भारत के विभिन्न मठों में रहे और एक सन्यासी की तरह जीवन व्यतीत किया।
इस बीच वो कभी-कभार अमेरिका आते-जाते रहे और जीवन का अनुभव लेने के लिए कई unconventional काम किये- उन्होंने taxi चलायी, पत्थर ढोए ,प्रिन्टिंग प्रेस में नौकरी की, etc.
मनोज कहते हैं-90 के दशक में मनोज permanently अमेरिका चले गए।
वहां जाकर उन्होंने एक company बनायीं Prime PVC Inc. (या शायद ये पहले से उनकी फॅमिली रन कर रही थी, I am not sure) जिसे अपनी कड़ी मेहनत से उन्होंने $20 million की कम्पनी बना दिया और अंत में year 2007 में 22 million dollar में एक firm को बेच दिया।
इस बीच Manoj Bhargava ने कई और कम्पनियाँ भी बनायीं जिसमे प्रमुख है Living Essentials जिसने 2004 में एक ऐसा energy drink बनया जिसने 8-9 साल के अन्दर अमेरिका के energy drink market के 90% हिस्से पे कब्ज़ा कर लिया और जो कभी एक monk था उसे एक billionaire बना दिया। उस drink क नाम था – 5-hour Energy
Market में launch होने के कुछ महीनो में ही 5-hour Energy की demand बढ़ने लगी और देखते देखते ये अमेरिका का सबसे ज्यादा बिकने वाला energy drink बन गया।
अगर आप सोच रहे हैं कि मनोज भार्गव इतने पैसों का क्या करेंगे? तो बता दें कि वो पहले ही अपनी कमाई का 99% हिस्सा charity (परोपकार/ दान ) के लिए pledge कर चुके हैं।
मनोज भार्गव अपने पैसों से basically दो काम कर रहे हैं :
Charity में दे रहे हैं। अगले 10 सालों में 5000 करोड़ रुपये चैरिटी में लगाया जायेगा, जो पूरा का पूरा भारत में लगेगा।
ऐसे प्रोजेक्ट्स में लगा रहे हैं जिससे कुछ ऐसा इन्वेंट किया जा सके जिससे दुनिया की bottom half आबादी को फायदा मिल सके।
अगर सब charity में दे देंगे तो उनके बेटे का क्या होगा ?
मनोज का एक 23 साल का एक बेटा है जिसका नाम शान है। जब मनोज से ये प्रश्न किया गया तो उन्होंने कहा कि अपने बेटे को पैसे देकर मैं उसे बर्वाद नहीं करना चाहता। जब वो 10 साल का तभी बता दिया था कि उसे मुझसे कुछ नहीं मिलने वाला। तब बेटे ने कहा था , “ बहुत अच्छा! मैं खुद से कमाऊंगा।”